Dou Bhaiya Jewat Ma Aage
भोजन दोउ भैया जैंवत माँ आगै पुनि-पुनि लै दधि खात कन्हाई, और जननि पे माँगे अति मीठो दधि आज जमायौ, बलदाऊ तुम लेहु देखौ धौं दधि-स्वाद आपु लै, ता पाछे मोहि देहु बल-मोहन दोऊ जेंवत रूचि सौं, सुख लूटति नँदरानी ‘सूर’ श्याम अब कहत अघाने, अँचवन माँगत पानी
Nand Nandan Aage Nachungi
गाढ़ी प्रीति नँद-नंदन आगे नाचूँगी नाच नाच पिय तुमहिं रिझाऊँ, प्रेमीजन को जाँचूँगी प्रेम प्रीत का बाँध घूँघरा, मोहन के ढिंग छाजूगीं लोक-लाज कुल की मरजादा, या मैं एक न राखूँगी पिय के पलँगाँ जा पौढूँगी, ‘मीराँ’ हरि रँग राँचूँगी
Main To Giridhar Aage Nachungi
समर्पण मैं तो गिरिधर आगे नाचूँगी नाच नाच मैं पिय को रिझाऊँ, प्रेमी जन को जाचूँगी प्रेम प्रीति के बाँध घुँघरूँ, सुरति की कछनी काछूँगी लोक लाज कुल की मर्यादा, या मैं एक न राखूँगी पिया के चरणा जाय पडूँगी, ‘मीराँ’ हरि रँग राचूँगी