Aab Tum Meri Aur Niharo
शरणागति अब तुम मेरी ओर निहारो हमरे अवगुन पै नहि जाओ, अपनो बिरुद सम्भारो जुग जुग साख तुम्हारी ऐसी, वेद पुरानन गाई पतित उधारन नाम तिहारो, यह सुन दृढ़ता आई मैं अजान तुम सम कुछ जानों, घट घट अंतरजामी मैं तो चरन तुम्हारे लागी, शरणागत के स्वामी हाथ जोरि के अरज करति हौं, अपनालो गहि […]
Aab Jago Mohan Pyare
प्रभाती अब जागो मोहन प्यारे, तुम जागो नन्द दुलारे हुआ प्रभात कभी से लाला, धूप घरों पर छाई गोपीजन आतुरतापूर्वक, तुम्हें देखने आर्इं ग्वाल-बाल सब खड़े द्वार पर, कान्हा ली अँगड़ाई गोपीजन सब मुग्ध हो रहीं, निरखें लाल कन्हाई जसुमति मैया उठा लाल को, छाती से लिपटाये चन्द्रवदन को धुला तभी, माँ मक्खन उसे खिलाये