माया
राम सुमिर, राम सुमिर, यही तेरो काज रे
माया को संग त्याग, प्रभुजी की शरण लाग
मिथ्या संसार सुख, झूठो सब साज रे
सपने में धन कमाय, ता पर तूँ करत मान
बालू की भीत जैसे, दुनिया को साज रे
‘नानक’ जन कहत बात, बिनसत है तेरो गात
छिन-छिन पर गयो काल, तैसे जात आज रे