गिद्ध पर कृपा
राघव गीध गोद करि लीन्हों
नयन-सरोज सनेह-सलिल सुचि मनहुँ अर्घ्य जल दीन्हों
बहु विधि राम कह्यो तनु राखन, परम धीर नहिं डोल्यो
रोकि प्रेम अवलोकि बदन-बिधु, वचन मनोहर बोल्यो
‘तुलसी’ प्रभु झूठे जीवन लगि, समय न धोखे लैहों
जाको नाम मरत मुनि दुर्लभ तुमहिं कहाँ पुनि पैहों