श्रीराम प्राकट्य
करुणा के सागर, सुखदाता, यश गाये जिनका वेद संत
श्यामल सुन्दर राजीव नयन, शोभा-सागर कीरति अनन्त
माँ कौसल्या ने जन्म दिया, आयुध है चार भुजाओं में
भूषण गल माला अद्वितीय, हर्षित सब ऋषि मुनि सुर मन में
अवतार लिया दशरथ सुत हो, शिशु रूप धरा तब राघव ने
प्रिय लीला करने लगे तभी, माता को सुख प्रदान करने
मैं बारम्बार प्रणाम करूँ, शिशु राघव के श्री चरणों में
जिनका है रूप अनूप वही, छवि बस जाये मेरे उर में