परिचय
कहाँ के पथिक कहाँ, कीन्ह है गवनवा
कौन ग्राम के, धाम के वासी, के कारण तुम तज्यो है भवनवा
उत्तर देस एक नगरी अयोध्या, राजा दशरथ जहाँ वहाँ है भुवानवा
उनही के हम दोनों कुँवरावा , मात वचन सुनि तज्यो है भवनवा
कौन सो प्रीतम कौन देवरवा ! साँवरो सो प्रीतम गौर देवरवा
‘तुलसिदास’ प्रभु आस चरन की मेरो मन हर लियो जानकी रमणवा
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