रामाश्रय
जानकीनाथ सहाय करे, तब कौन बिगाड़ सके नर तेरो
सूरज, मंगल, सोम, भृगुसुत, बुध और गुरु वरदायक तेरो
राहु केतु की नाहिं गम्यता, तुला शनीचर होय है चेरो
दुष्ट दुशासन निबल द्रौपदी, चीर उतारण मंत्र विचारो
जाकी सहाय करी यदुनन्दन, बढ़ गयो चीरको भाग घनेरो
गर्भकाल परीक्षित राख्यो, अश्वत्थामा को अस्त्र निवार्यो
भारत में भूरही के अंडा, तापर गज को घंटो गेर्यो
जिनकी सहाय करे करूणानिधि, उनको जग में भाग्य घनेरो
रघुवंशी संतन सुखदायी, ‘तुलिदास’ चरनन को चेरो