भरत का प्रेम
बड़ी माँ! जीऊँ कैसे बिन राम
सिया, राम, लछमन तो वन में, पिता गये सुरधाम
कुटिल बुद्धि माँ कैकेयी की, बसिये न ऐसे ग्राम
भोर भये हम भी वन जैहें, अवध नहीं कछु काम
अद्भुत प्रेम भरत का, प्रस्थित गये मिलन को राम
भरत का प्रेम
बड़ी माँ! जीऊँ कैसे बिन राम
सिया, राम, लछमन तो वन में, पिता गये सुरधाम
कुटिल बुद्धि माँ कैकेयी की, बसिये न ऐसे ग्राम
भोर भये हम भी वन जैहें, अवध नहीं कछु काम
अद्भुत प्रेम भरत का, प्रस्थित गये मिलन को राम
Ram Ram media (a third world should know the third eye to publish in that way to have faith not among mass but in almighty God the supreme power as the supreme word is now used with the ruling head of parties as read supremo so verses How supreme thinks if he or she the power exist in panch tatwa unseen.