Dekha Dekha Yashoda Tera Lal
श्रीकृष्ण माधुरी देखा देखा यशोदा तेरा लाल मैंने देखा कस्तूरी का तिलक बिराजे, उर पचरंगी माल मोर पखा सिर ऊपर सोहे, घूँघर वारे बाल पीताम्बर को कटि में धारे, काँधे कारी शाल कानों में तो कुण्डल सोहे और लालिमा गाल चरणों में नुपूर छमकाये, चले लटकनी चाल यमुना तट पे रास रचाये, नाचे दे-दे ताल […]
Dhara Par Pragte Palanhar
श्रीकृष्ण प्राकट्य धरा पर प्रगटे पालनहार, बिरज में आनँद छायो रे पीत पताका घर घर फहरे, मंगल गान हर्ष की लहरें गूँजे पायल की झंकार, विरज में आनँद छायो रे नर-नारी नाचे गोकुल में, मात यशोदा बलि बलि जाए द्वारे भीर गोप-गोपिन की, बिरज में आनंद छायो रे दान दे रहे नंद जसोदा, माणिक मोती […]
Aaj Grah Nand Mahar Ke Badhai
जन्मोत्सव आज गृह नंद महर के बधाई प्रात समय मोहन मुख निरखत, कोटि चंद छवि छाई मिलि ब्रज नागरी मंगल गावति, नंद भवन में आई देति असीस, जियो जसुदा-सुत, कोटिन बरस कन्हाई अति आनन्द बढ्यौ गोकुल में, उपमा कही न जाई ‘सूरदास’ छवि नंद की घरनी, देखत नैन सिराई
Dhuri Bhare Ati Shobhit Shyam Ju
श्री बालकृष्ण माधुर्य धूरि-भरे अति शोभित स्यामजू, तैसी बनी सिर सुंदर चोटी खेलत-खात फिरै अँगना, पग पैंजनी बाजति, पीरी कछौटी वा छबि को रसखानि बिलोकत, बारत काम कलानिधि कोटी काग के भाग कहा कहिए हरि, हाथ सों लै गयो माखन रोटी शेष, महेश, गनेश, दिनेस, सुरेशहु जाहि निरन्तर गावैं जाहि अनादि अखण्ड अछेद, अभेद सुवेद […]
Karat Shrangar Maiya Man Bhavat
श्रृंगार करत श्रृंगार मैया मन भावत शीतल जल तातो करि राख्यो, ले लालन को बैठ न्हवावत अंग अँगोछ चौकी बैठारत, प्रथमही ले तनिया पहरावत देखो लाल और सब बालक, घर-घर ते कैसे बन आवत पहर्यो लाल झँगा अति सुंदर, आँख आँज के तिलक बनावत ‘सूरदास’, प्रभु खेलत आँगन, लेत बलैंया मोद बढ़ावत
Nand Grah Bajat Aaj Badhai
श्रीकृष्ण प्राकट्य नंद गृह बाजत आज बधाई जुट गई भीर तभी आँगन में, जन्मे कुँवर कन्हाई दान मान विप्रन को दीनो, सबकी लेत असीस पुष्प वृष्टि सब करें, देवगण जो करोड़ तैंतीस व्रज-सुंदरियाँ सजी धजी, कर शोभित कंचन थाल ‘परमानंद’ प्रभु चिर जियो, गावत गीत रसाल
Kahan Lage Mohan Maiya Maiya
कहन-लागे-मोहन मैया मैया नंद महर सौ बाबा-बाबा, अरु हलधर सौं भैया ऊँचे चढ़ि चढ़ि कहति जसोदा, लै लै नाम कन्हैया दूर खेलन जिनि जाहु लला रे, मारेगी कोउ गैया गोपी-ग्वाल करत कौतूहल, घर घर बजति बधैया ‘सूरदास’ प्रभु तुम्हे दरस कौ, चरननि की बलि जैया
Nand Ghar Pragte Anand Kand
श्रीकृष्ण प्राकट्य नन्द घर प्रकटे आनँद कंद हुआ पुत्र यशुमति मैया को, छायो परमानन्द जात कर्म संस्कार हो गया, विपुल दियो है दान भेंट करें सब ग्वाल गोपियाँ, गाये मंगल गान दुन्दुभियाँ भेरी भी बाजे, करें मंगलाचार सजे सभी घर ब्रज मण्डल में, शोभित वन्दनवार आगन्तुक को रोहिणी मैया, करें जहाँ सत्कार नन्दमहल में ऋद्धि […]
Kanh Kahat Dadhi Dan N Deho
जकाती श्याम कान्ह कहत दधि दान न दैहों लैहों छीनि दूध दधि माखन, देखत ही तुम रैहों सब दिन को भरि लेहुँ आज ही, तब छाँड़ौं मैं तुमको तुम उकसावति मात पिता को, नहीं जानो तुम हमको (सखी) हम जानत हैं तुमको मोहन, लै लै गोद खिलाए ‘सूर’ स्याम अब भये जकाती, वे दिन सब […]
Nand Mahar Ghar Bajat Badhai
श्रीकृष्ण प्राकट्य नंद महर घर बजत बधाई, बड़े भाग्य जाये सुत जसुदा, सुनि हरषे सब लोग लुगाई भाँति भाँति सो साज साजि सब, आये नंदराय गृह धाई नाचहिं गावहिं हिय हुलसावहिं, भरि-भरि भाण्ड के लई मिठाई भयो अमित आनन्द नंदगृह, करहिं महर सबकी पहुनाई ‘परमानँद’ छयो त्रिभुवन में, चिरजीवहु यह कुँवर कन्हाई