Aasakti Jagat Ki Nashta Kare
सत्संग की महिमा आसक्ति जगत् की नष्ट करें, खुल जाता है मुक्ति का द्वार स्वाध्याय, सांख्य व योग, त्याग, प्रभु को प्रसन्न उतने न करें व्रत, यज्ञ, वेद या तीर्थाटन, यम, नियम, प्रभु को वश न करें तीनों युग में सत्संग सुलभ, जो करे प्रेम से नर नारी यह साधन श्रेष्ठ सुगम निश्चित, दे पूर्ण […]
Ichchaaon Ka Parityag Karo
प्रबोधन इच्छाओं का परित्याग करो कर्त्तव्य करो, निष्काम रहो एवम् सेवा का कार्य करो जो कुछ भी प्रभु से मिला हमें,वह करें समर्पित उनको ही संकल्प जो कि हम करें जभी संयमित जपें प्रभु को ही मन को मत खाली रहने दो, वरना प्रपंच घुस जायेगा इसलिये सदा शुभ कर्म करो, दुर्भाव न मन में […]
Uddeshya Purna Yah Jiwan Ho
जीवन का उद्देश्य उद्देश्यपूर्ण यह जीवन हो लक्ष्य के प्रकार पर ही निर्भर, मानव स्वरूप जैसा भी हो जो सुख की खोज में भटक रहे, प्रायः दुःख ही मिलता उनको हो जाय समर्पित यह जीवन, एकमात्र प्रभु के पाने को वे अन्दर ही हैं दूर नहीं, प्रभु की इच्छा सर्वोपरि हो सौंप दे समस्याएँ भी […]
Kathinai Se Dhan Arjan Ho
सात्विक दान कठिनाई से धन अर्जन हो, और दान कर पाये धन का लोभ सदा ही रहता, त्याग कठिन हो जाये याद रहे अधिकांश धर्म में व्यय हो, कमी न आये कुएँ से जल जितना निकले, फिर से वह भर जाये धन कमाय जो भी ईमान से, वह सात्विक कहलाये कृषि एवं व्यवसाय से अर्जित, […]
Kirtan Se Man Shanti Pate
कीर्तन महिमा कीर्तन से मन:शांति पाते प्रभु के स्वरूप का चिन्तन हो, आनन्दरूप मन में आते अनुभूति प्रेम की हो जाये, तो भक्ति स्वतः मिल जाती है अपनापन होने से ही तो, माँ हमको प्यारी लगती है तन्मयता से जब कीर्तन हो, तो हरि से लौ लग जायेगी सब छुट जायेगा राग द्वेष, प्रभु-प्रीति ही […]
Kya Yagya Ka Uddeshya Ho
यज्ञ क्या यज्ञ का उद्देश्य हो दम्भ अथवा अहं हो नहीं, शुद्ध सेवा भाव हो हो समर्पण भावना, अरु विश्व का कल्याण हो इन्द्रिय-संयम भी रहे, अवशिष्ट भोगे यज्ञ में शाकल्य का मंत्रों सहित, हो हवन वैदिक यज्ञ में संयम रूपी अग्नि में, इन्द्रिय-सुखों का हवन हो अध्यात्म की दृष्टि से केवल, शास्त्र का स्वाध्याय […]
Gayon Ke Hit Ka Rahe Dhyan
गो माता गायों के हित का रहे ध्यान गो-मांस करे जो भी सेवन, निर्लज्ज व्यक्ति पापों की खान गौ माँ की सेवा पुण्य बड़ा, भवनिधि से करदे हमें पार वेदों ने जिनका किया गान, शास्त्र पुराण कहे बार-बार गौ-माता माँ के ही सदृश, वे दु:खी पर हम चुप रहते माँ की सेवा हो तन मन […]
Garharsthya Dharma Sarvottam Hi
गृहस्थ जीवन गार्हस्थ्य धर्म सर्वोत्तमही इन्द्रिय-निग्रह व सदाचार, अरु दयाभाव स्वाभाविक ही सेवा हो माता पिता गुरु की, परिचर्या प्रिय पति की भी हो ऐसे गृहस्थी पर तो प्रसन्न, निश्चय ही पितर देवता हो हो साधु, संत, सन्यासी के, जीवनयापन का भी अधार जहाँ सत्य, अहिंसा, शील तथा, सद्गुण का भी निश्चित विचार
Duniya Main Kul Saat Dwip
भारतवर्ष दुनियाँ में कुल सात द्वीप, उसमें जम्बू है द्वीप बड़ा यह भारतवर्ष उसी में है, संस्कृति में सबसे बढ़ा चढ़ा कहलाता था आर्यावर्त, प्राचीन काल में देश यही सम्राट भरत थे कीर्तिमान, कहलाया भारतवर्ष वही नाभिनन्दन थे ऋषभदेव, जिनमें यश, तेज, पराक्रम था वासना विरक्त थे, परमहंस, स्वभाव पूर्णतः सात्विक था सम्राट भरत इनके […]
Pulakit Malay Pawan Manthar Gati
वसंतोत्सव पुलकित मलय-पवन मंथर गति, ऋतु बसंत मन भाये मधुप-पुंज-गुंजित कल-कोकिल कूजित हर्ष बढ़ाये चंदन चर्चित श्याम कलेवर पीत वसन लहराये रंग बसंती साड़ी में, श्री राधा सरस सुहाये भाव-लीन अनुपम छबिशाली, रूप धरे नँद-नंदन घिरे हुवे गोपीजन से वे क्रीड़ा रत मन-रंजन गोप-वधू पंचम के ऊँचे स्वर में गीत सुनाती रसनिधि मुख-सरसिज को इकटक […]