He Antaryami Prabho
हितोपदेश हे अंतर्यामी प्रभो, आत्मा के आधार तो तुम छोड़ो हाथ तो, कौन उतारे पार आछे दिन पाछे गये, हरि से किया न हेत अब पछताये होत क्या, चिड़िया चुग गई खेत ऊँचे कुल क्या जनमिया, करनी ऊँच न होई सुवरन कलस सुरा भरा, साधू निन्दे सोई ऐसी बानी बोलिये, मन का आपा खोय औरन […]
Uth Jaag Musafir Bhor Bhai
चेतावनी उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है जो सोवत है सो खोवत है, जो जागत है सो पावत है अब नींद से अँखियाँ खोल जरा, ओ बेसुध प्रभु से ध्यान लगा यह प्रीति करन की रीति नहीं, सब जागत है तू सोवत है नादान, भुगत करनी अपनी, ओ पापी पाप […]
Krishna Katha Nit Hi Sune
सदुपदेश कृष्ण-कथा नित ही सुनें, श्रद्धा प्रेम बढ़ाय जो भी वस्तु परोक्ष हो, सुनें ध्यान में आय नेत्र-कोण की लालिमा, मन्द मन्द मुस्कान वस्त्राभूषण प्रीतिमा, मोहन का हो ध्यान श्रीहरि के माहात्म्य का, करे नित्य ही गान सुदृढ़ प्रेम उन से करें, माधुरी का रस-पान श्रवण, कीर्तन, भजन हो, स्वाभाविक हरि-ध्यान विषयों में रुचि हो […]