Shyam Kahat Puja Giri Mani

अन्नकूट श्याम कहत पूजा गिरि मानी जो तुम भाव-भक्ति सों अरप्यो, देवराज सब जानी तुम देखत भोजन सब कीनो, अब तुम मोहि प्रत्याने बड़ो देव गिरिराज गोवर्धन, इनहि रहो तुम माने सेवा भली करी तुम मेरी, देव कही यह बानी ‘सूर’ नंद मुख चुंबत हरि को, यह पूजा तुम ठानी

Shyam Bina Unaye Ye Badara

विरह व्यथा स्याम बिना उनये ये बदरा आज श्याम सपने में देखे, भरि आए नैन ढुरक गयो कजरा चंचल चपल अतिही चित-चोरा, निसि जागत मैका भयो पगोरा ‘सूरदास’ प्रभु कबहि मिलोगे, तजि गये गोकुल मिटि गयो झगरा

Ho Ik Nai Bat Suni Aai

श्री राधा प्राकट्य हौं इक नई बात सुनि आई कीरति रानी कुँवरी जाई, घर-घर बजत बधाई द्वारे भीर गोप-गोपिन की, महिमा बरनि न जाई अति आनंद होत बरसाने, रतन-भूमि निधि छाई नाचत तरुन वृद्ध अरु बालक, गोरस-कीच मचाई ‘सूरदास’ स्वामिनि सुखदायिनि, मोहन-सुख हित आई

Chod Mat Jajo Ji Maharaj

म्हारी लाज छोड़ मत जाजो जी महाराज मैं अबला बल नाहिं गुसाईं, तुम मेरे सिरताज मैं गुणहीन गुण नाहिं गुसाईं, तुम समरथ महाराज थाँरी होय के किणरे जाऊँ, तुम हिवड़ा रा साज मीराँ के प्रभु और न कोई, राखो म्हारी लाज

Daras Mhane Bega Dijyo Ji

विरह व्यथा दरस म्हाने बेगा दीज्यो जी, खबर म्हारी बेगी लीज्यो जी आप बिना मोहे कल न पड़त है, म्हारा में गुण एक नहीं है जी तड़पत हूँ दिन रात प्रभुजी, सगला दोष भुला दिज्यो जी भगत-बछल थारों बिरद कहावे, श्याम मोपे किरपा करज्यो जी मीराँ के प्रभु गिरिधर नागर, आज म्हारी लाज राखिज्यो जी

Fagun Ke Din Char Re Hori Khel Mana Re

आध्यात्मिक होली फागुन के दिन चार रे, होरी खेल मना रे बिन करताल पखावज बाजै, अणहद की झणकार रे बिन सुर राग छतीसूँ गावै, रोम-रोम रणकार रे सील संतोष की केसर घोली, प्रेम प्रीति पिचकार रे उड़त गुलाल लाल भयो अंबर, बरसत रंग अपार रे घट के सब पट खोल दिये हैं, लोक लाज सब […]

Mukhada Ni Maya Lagi Re

मोहन का सौंदर्य (गुजराती) मुखड़ानी माया लागी रे, मोहन प्यारा मुखड़ूँ मैं जोयुँ तारूँ, सब जग थयुँ खारूँ, मन मारूँ रह्युँ न्यारूँ रे संसारी, नुँ सुख एवुँ, झाँझवाना नीर जेवुँ, तेने तुच्छ करी फरिये रे ‘मीराँबाई’ बलिहारी, आशा मने एक तारी, हवे हुँ तो बड़भागी रे

Ya Braj Me Kachu Dekho Ri Tona

मुग्धा या वृज में कछु देखोरी टोना ले मटुकी गिर चली गुजरिया, आय मिले बाबा नंद को छोना दधि की पांग बिसरि गई प्यारी, लीजो रीं कोई श्याम सलौना बृन्दावन की कुंज गलिन में, आँख लगायो री मन-मोहना ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, सुन्दर श्याम सुघर रस लोना

Hamro Pranam Banke Bihari Ko

मीरा का प्रणाम हमरो प्रणाम बाँके बिहारी को मोर मुकुट माथे तिलक बिराजै, कुण्डल अलका कारी को अधर धर मुरली मधुर बजावै, रिझावै राधा प्यारी को यह छबि देख मगन भई ‘मीराँ’, मोहन गिरिवर धारी को

Tune Hira So Janam Gawayo

भजन महिमा तूँने हीरा सो जनम गँवायो, भजन बिना बावरे ना संता के शरणे आयो, ना तूँ हरि गुण गायो पचि पचि मर्यो बैल की नाईं, सोय रह्यो उठ खायो यो संसार हात बनियों की, सब जग सौदे आयो चतुर तो माल चौगुना कीना, मूरख मूल गवाँयो यो संसार माया को लोभी, ममता महल चितायो […]