Sundar Shyam Sakha Sab Sundar

सुंदर श्याम सुंदर स्याम सखा सब सुंदर, सुंदर वेष धरैं गोपाल सुंदर पथ सुंदर गति आवन, सुंदर मुरली शब्द रसाल सुंदर लोक, सकल ब्रज सुंदर, सुंदर हलधर, सुंदर चाल सुंदर वचन विलोकनि सुंदर, सुंदरि गन सब करति विचार ‘सूर’ स्याम को संग सुख सुंदर, सुंदर भक्त हेतु अवतार

Hari Ko Herati Hai Nandrani

माँ का स्नेह हरि को हेरति है नँदरानी बहुत अबेर भई कहँ खेलत, मेरे साँरगपानी सुनहति टेर, दौरि तहँ आये, कबके निकसे लाल जेंवत नहीं बाबा तुम्हरे बिनु, वेगि चलो गोपाल स्यामहिं ल्यायी महरि जसोदा, तुरतहिं पाँव पखारे ‘सूरदास’ प्रभु संग नंद के, बैठे हैं दोऊ बारे

Koi Kahiyo Re Prabhu Aawan Ki

विरह व्यथा कोई कहियौ रे प्रभु आवन की, आवन की मन भावन की आप न आवै, लिख नहिं भेजै, बान पड़ी ललचावन की ए दोऊ नैन कह्यो नहिं माने, नदियाँ बहे जैसे सावन की कहा करूँ कछु नहिं बस मेरो, पाँख नहीं उड़ जावन की ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, चेरी भई तेरे दामन […]

Tum Bin Meri Kon Khabar Le Govardhan Giridhari

लाज तुम बिन मोरी कौन खबर ले, गोवर्धन गिरधारी मोर-मुकुट पीतांबर सोहै, कुण्डल की छबि न्यारी द्रुपद सुता की लाज बचाई, राखो लाज हमारी ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, चरण-कमल बलिहारी

Payo Ji Mhe To Ram Ratan Dhan Payo

हरि भक्ति पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो वास्तु अमोलक दी म्हाने सतगुरु, किरपा कर अपनायो जनम-जनम की पूँजी पाई, जग में सभी खोवायो खरच न हौवे, चोर न लेवै, दिन दिन बढ़त सवायो सत की नाव केवटिया सतगुरु, भव-सागर तर आयो ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, हरख हरख जस गायो

Bhaj Man Charan Kamal Avinasi

नश्वर संसार भज मन चरण-कमल अविनासी जे तई दीसे धरण गगन बिच, ते तई सब उठ जासी कहा भयो तीरथ व्रत कीन्हें, कहा लिए करवत कासी या देही को गरब न करियो, माटी में मिल जासी यो संसार चहर की बाजी, साँझ पड्या उठ जासी कहा भयो भगवाँ का पहर्या, घर तज के सन्यासी जोगी […]

Main To Sanware Ke Rang Rachi

प्रगाढ़ प्रीति मैं तो साँवरे के रँग राची साजि सिंगार बाँधि पग घुँघरू, लोक-लाज तजि नाची गई कुमति लई साधु की संगति, स्याम प्रीत जग साँची गाय गाय हरि के गुण निस दिन, काल-ब्याल सूँ बाँची स्याम बिना जग खारो लागत, और बात सब काँची ‘मीराँ’ गिरिधर-नटनागर वर, भगति रसीली जाँची

Sakhi Mharo Kanho Kaleje Ki Kor

प्राणनाथ कन्हैया सखी म्हारो कान्हो कलेजे की कोर मोर मुकुट पीतांबर सोहे, कुण्डल की झकझोर वृंदावन की कुञ्ज-गलिन में, नाचत नंदकिशोर ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, चरण-कँवल चितचोर

Janam Dhokhe Main Khoy Dayo

मोह माया जनम धोखे में खोय दयो बारह बरस बालपन बीते, बीस में युवा भयो तीन बरस के अंत में जाग्यो, बाढ्यो मोह नयो धन और धाम पुत्र के कारण, निस दिन सोच भयो बरस पचास कमर भई टेढ़ी, सोचत खात लह्यो बरस साठ सत्तर के ऊपर, केस सफ़ेद भयो कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, […]

Man Lago Mero Yar Fakiri Main

संतुष्टि मन लागो मेरो यार फकीरी में जो सुख पाओ राम-भजन में, सो सुख नाहिं अमीरी में भला-बुरा सबका सुन लीजै, करि गुजरान गरीबी में प्रेमनगर में रहनि हमारी, भलि बन गई सबूरी में हाथ में कूँड़ी बगल में सोटा, चारो दिसा जगीरी में आखिर यह तन खाक मिलेगा, कहाँ फिरत मगरूरी में कहत ‘कबीर’ […]