Sis Jata Ur Bahu Visal

राम से मोह सीस जटा उर बाहु विसाल, विलोचन लाल, तिरीछी सी भौहें बान सरासन कंध धरें, ‘तुलसी’ बन-मारग में सुठि सौहें सादर बारहिं बार सुभायँ चितै, तुम्ह त्यों हमरो मनु मोहैं पूछति ग्राम वधु सिय सौं, कहौ साँवरे से सखि रावरे कौ हैं

Udho Hot Kaha Samjhaye

हरि की याद ऊधौ! होत कहा समुझाये चित्त चुभी वह साँवरी मूरति, जोग कहाँ तुम लाए पा लागौं कहियो हरिजू सों दरस देहु इक बेर ‘सूरदास’ प्रभु सों विनती करि यहै सुनैयो टेर

Khelan Ke Mis Kuwari Radhika

राधा कृष्ण लीला खेलन के मिस कुँवरि राधिका, नंदमहर के आई सकुच सहित मधुरे करि बोली, घर हैं कुँवर कन्हाई ? सुनत श्याम कोकिल सम बानी, निकसे अति अतुराई माता सों कछु करत कलह हरि, सो डारी बिसराई मैया री, तू इन को चीन्हति, बारम्बार बताई जमुना-तीर काल्हि मैं भूल्यो, बाँह पकरि लै आई आवत […]

Jagahu Jagahu Nand Kumar

प्रभाती जागहु जागहु नंद-कुमार रवि बहु चढ्यो रैन सब निघटी, उचटे सकल किवार ग्वाल-बाल सब खड़े द्वार पै, उठ मेरे प्रानअधार घर घर गोपी दही बिलोवै, कर कंकन झंकार साँझ दुहां तुम कह्यो गाईकौं, तामें होति अबार ‘सूरदास’ प्रभु उठे तुरत ही, लीला अगम अपार

Tum Pe Kon Dehave Gaiya

गौ-दोहन तुम पै कौन दुहावै गैया लिये रहत कर कनक दोहनी, बैठत हो अध पैया इत चितवत उत धार चलावत, एहि सखियो है मैया ‘सूरदास’ प्रभु झगरो सीख्यौ, गोपिन चित्त चुरैया

Nisi Din Barsat Nain Hamare

विरह व्यथा निसि दिन बरसत नैन हमारे सदा रहत पावस-ऋतु हम पर, जब तें श्याम सिधारे अंजन थिर न रहत अँखियन में, कर कपोल भये कारे कचुंकि-पट सूखत नहीं कबहूँ, उर बिच बहत पनारे आँसू सलिल भये पग थाके, बहे जात सित तारे ‘सूरदास’ अब डूबत है ब्रज, काहे न लेत उबारे

Bal Krishna Kahe Maiya Maiya

माँ का स्नेह बालकृष्ण कहे मैया मैया नन्द महर सौं बाबा-बाबा, अरु हलधर सौं भैया ऊँचे चढ़ि-चढ़ि कहति जसोदा, लै लै नाम कन्हैया दूर खेलन जनि जाहु ललारे, मारेगी कोउ गैया गोपी ग्वाल करत कौतूहल, घर-घर बजत बधैया ‘सूरदास’ प्रभु तुम्हरे दरस को, चरणनि की बलि जैया

Mero Mai Hathi Ye Bal Govinda

हठी बाल कृष्ण मेरौ माई हठी ये बाल-गोबिंदा अपने कर गहि गगन बतावत, खेलन माँगे चंदा बासन मैं जल धर्यो जसोदा, हरि कौं आनि दिखावे रूदन करत ढूँढत नहिं पावत, चंद धरनि क्यों आवे मधु मेवा पकवान मिठाई, माँगि लेहु मेरे छौना चकई डोरी पाट के लटकन, लेहु मेरे लाल खिलौना संत उबारन असुर सँहारन, […]

Mo Sam Kon Kutil Khal Kami

शरणागति मो सम कौन कुटिल खल कामी जेहिं तनु दियौ ताहिं बिसरायौ, ऐसौ नोनहरामी भरि भरि उदर विषय कों धावौं, जैसे सूकर ग्रामी हरिजन छाँड़ि हरी-विमुखन की, निसिदिन करत गुलामी पापी कौन बड़ो है मोतें, सब पतितन में नामी ‘सूर’ पतित को ठौर कहाँ है, सुनिए श्रीपति स्वामी

Lal Teri Fir Fir Jat Sagai

माखन चोरी लाल तेरी फिर फिर जात सगाई चोरी की लत त्याग दे मोहन, लड़ लड़ जाय लुगाई दूध दही घर में बहुतेरो, माखन और मलाई बार बार समुझाय जसोदा, माने न कुँवर कन्हाई नंदराय नन्दरानी परस्पर, मन में अति सुख पाई सूर श्याम के रूप, शील गुण, कोउ से कहा न जाई