Ram Nam Matu Pita Swami Samarath Hitu

राम नाम आश्रय राम नाम मातु-पिता, स्वामि समरथ, हितू आस रामनाथ की , भरोसो राम नाम को प्रेम राम नाम ही सों, नेम राम नाम ही को जानौ, राम नाम मर्म, अन्य नहीं काम को स्वारथ सकल परमारथ को राम नाम राम नाम हीन ‘तुलसी’ एकमात्र नाम को राम की शपथ सरबस मेरे राम नाम […]

Aavat Mohan Dhenu Charay

गो-चारण आवत मोहन धेनु चराय मोर-मुकुट सिर, उर वनमाला, हाथ लकुटि, गो-रज लपटाय कटि कछनी, किंकिन-धुनि बाजत, चरन चलत नूपुर-रव लाय ग्वाल-मंडली मध्य स्यामघन, पीतवसन दामिनिहि लजाय गोप सखा आवत गुण गावत, मध्य स्याम हलधर छबि छाय सूरदास प्रभु असुर सँहारे, ब्रज आवत मन हरष बढ़ाय

Kyon Tu Govind Nam Bisaro

नाम स्मरण क्यौं तू गोविंद नाम बिसारौ अजहूँ चेति, भजन करि हरि कौ, काल फिरत सिर ऊपर भारौ धन-सुत दारा काम न आवै, जिनहिं लागि आपुनपौ हारौ ‘सूरदास’ भगवंत-भजन बिनु, चल्यो पछिताइ नयन जल ढारौ

Jasumati Palna Lal Jhulave

यशोदा का स्नेह जसुमति पलना लाल झुलावे, निरखि निरखि के मोद बढ़ावे चीते दृष्टि मन अति सचु पावे, भाल लपोल दिठोना लावे बार बार उर पास लगावे, नन्द उमंग भरे मन भावे नेति नेति निगम जेहि गावे, सो जसुमति पयपान करावे बड़भागी ब्रज ‘सूर’ कहावे, मैया अति हर्षित सुख पावे

Tab Nagari Man Harash Bhai

श्री राधा की प्रीति तब नागरि मन हरष भई नेह पुरातन जानि स्याम कौ, अति आनंदमई प्रकृति पुरुष, नारी मैं वे पति, काहे भूलि गई को माता, को पिता, बंधु को, यह तो भेंट नई जनम जनम जुग जुग यह लीला, प्यारी जानि लई ‘सूरदास’ प्रभु की यह महिमा, यातैं बिबस भई

Nand Gharni Sut Bhalo Padhayo

बाल क्रीड़ा नंद-घरनि! सुत भलौ पढ़ायौ ब्रज-बीथिनि पुर-गलिनि, घरै घर, घात-बाट सब सोर मचायौ लरिकनि मारि भजत काहू के, काहू कौ दधि –दूध लुटायौ काहू कैं घर में छिपि जाये, मैं ज्यों-त्यों करि पकरन पायौ अब तौ इन्हें जकरि के बाँधौ, इहिं सब तुम्हरौ गाँव भगायौ ‘सूर’ श्याम-भुज गहि नँदरानी, बहुरि कान्ह ने खेल रचायौ

Bal Mohan Dou Karat Biyaru

बल मोहन बल मोहन दोऊ करत बियारू, जसुमति निरख जाय बलिहारी प्रेम सहित दोऊ सुतन जिमावत, रोहिणी अरु जसुमति महतारी दोउ भैया साथ ही मिल बैठे, पास धरी कंचन की थारी आलस कर कर कोर उठावत, नयनन नींद झपक रही भारी दोउ जननी आलस मुख निरखत, तन मन धन कीन्हों बलिहारी बार बार जमुहात ‘सूर’ […]

Meri Shudhi Lijo He Brajraj

शरणागति मेरी सुधि लीजौ हे ब्रजराज और नहीं जग में कोउ मेरौ, तुमहिं सुधारो काज गनिका, गीध, अजामिल तारे, सबरी और गजराज ‘सूर’ पतित पावन करि कीजै, बाहँ गहे की लाज

Maiya Ri Mohi Makhan Bhawe

माखन का स्वाद मैया री मोहिं माखन भावै मधु मेवा पकवान मिठाई, मोहिं नहीं रूचि आवै ब्रज-जुबती इक पाछे ठाढ़ी, सुनति श्याम की बातैं मन मन कहति कबहुँ अपने घर, देखौं माखन खातैं बैठे जाय मथनियाँ के ढिंग, मैं तब रहौं छिपानी ‘सूरदास’ प्रभु अंतरजामी, ग्वालिन मन की जानी

Re Man Krishna Nam Kah Lije

नाम स्मरण रेमन, कृष्ण-नाम कह लीजै गुरु के वचन अटल करि मानहु, साधु-समागम कीजै पढ़ियै-सुनियै भगति-भागवत, और कथा कहि लीजै कृष्ण-नाम बिनु जनम वृथा है, वृथा जनम कहाँ जीजै कृष्ण-नाम-रस बह्यौ जात है, तृषावन्त ह्वै पीजै ‘सूरदास’ हरि-सरन ताकियै, जनम सफल करि लीजै