Braj Main Ghar Ghar Bajat Badhai
श्री राधा प्राकट्य ब्रिज में घर घर बजत बधाई अतिशय रूप निरख कन्या का माँ कीरति है हर्षाई सकल लोक की सुंदरता, वृषभानु गोप के आई जाको जस सुर मुनी सब कोई, भुवन चतुर्दश गाई नवल-किशोरी गुन निधि श्यामा, कमला भी ललचाई प्रगटे पुरुषोत्तम श्री राधा द्वै विधि रूप बनाई
Bheje Man Bhawan Ke Uddhav Ke Aawan Ki
गोपियों की ललक भेजे मन-भावन के उद्धव के आवन की, सुधि ब्रज-गाँवनि में पावन जबैं लगी कहैं, ‘रतनाकर’ गुवालिनि की झौरि-झौरि, दौरि-दौरि नंद-पौरि आवन तबै लगीं उझकि-उझकि पद-कंजनि के पंजनि पै, पेखि-पेखि पाती छाती छोहनि छबै लगीं हमकौं लिख्यौ है कहा, हमकौं लिख्यौ है कहा, हमकौं लिख्यौ है कहा, कहन सबै लगीं
Main Apno Man Hari So Joryo
मोहन से प्रीति मैं अपनो मन हरि सों जोर्यो, हरि सों जोरि सबनसो तोर्यो नाच नच्यों तब घूँघट कैसो, लोक-लाज डर पटक पिछोर्यो आगे पाछे सोच मिट गयो, मन-विकार मटुका को फोर्यो कहनो थो सो कह्यो सखी री, काह भयो कोऊ मुख मोर्यो नवल लाल गिरिधरन पिया संग, प्रेम रंग में यह तन बोर्यो ‘परमानंद’ […]
Mrig Naini Ko Pran Naval Rasiya
रसिया मृगनैनी को प्रान नवल रसिया, मृगनैनी बड़ि-बड़ि अखिंयन कजरा सोहे, टेढ़ी चितवन मेरे मन बसिया अतलस को याकें लहेंगा सोहे, प्यारी झुमक मेरे मन बसिया छोटी अंगुरिन मुँदरी सोहे, बीच में आरसी मन बसिया बाँह बड़ो बाजूबन्द सोहे, हियरे में हार दीपत छतिया ‘पुरुषोत्तम’ प्रभु की छबि निरखत, सबै छोड़ ब्रज में बसिया रंग […]
Latak Latak Chalat Chaal
मोहन माधुरी लटक-लटक चलत चाल, मोहन आवे रे भावे मन अधर मुरली, मधुर सुर बजावे रे श्रवण कुण्डल चपल चलन, मोर मुकुट चन्द्रकलन मन्द हँसन चित्त हरन, मोहनि मुरति राजे रे भृकुटि कुटिल लोल लोचन, अरुण अधर मधुर बैन मंथर गति अरु चारु चितवन, भाल पर बिराजे रे ‘लखनदास’ श्याम रूप, नख शिख शोभा अनूप […]
Vrat Snan Pratishtha Pujanadi
शालिग्राम महात्म्य व्रत स्नान प्रतिष्ठा पूजनादि, जो कर्म करें हम श्रद्धा से जहाँ शालिग्राम की सन्निद्धि हो, तो पुण्य अपार मिले इससे जल शालिग्राम शिला का हो, उसका जो पान करे नित ही वर पाता है वह मनवांछित, इसमें तो संशय तनिक नहीं मृत्यु के समय जलपान करे, पापों से मुक्त वह हो जाता जो […]
Shri Krishna Chandra Sab Main Chaye
सर्वेश्वर श्रीकृष्ण श्री कृष्णचन्द्र सब में छाये जड़ चेतन प्राणीमात्र तथा कण कण में वही समाये जो महादेव के भक्त करे, गुणगान स्तुति उसमें ये विघ्नेश्वर गणपति रूप धरे, विघ्नों का नाश कर देते हम दुर्गाजी का पाठ करें, होते प्रसन्न उससे भी ये सद्बुद्धि देते सूर्यदेव, उनमें भी प्रकाशित तो ये चाहे पूजें किसी […]
Sakhi Ye Naina Bahut Bure
प्रीति माधुर्य सखि, ये नैना बहुत बुरे तब सौं भये पराये हरि सो, जबलौं जाई जुरे मोहन के रस बस ह्वै डोलत, जाये न तनिक दुरे मेरी सीख प्रीति सब छाँड़ी, ऐसे ये निगुरे खीझ्यौ बरज्यौ पर ये नाहीं, हठ सो तनिक मुरे सुधा भरे देखत कमलन से, विष के बुझे छुरे
Kali Nam Kam Taru Ram Ko
राम स्मरण कलि नाम कामतरु राम को दलनिहार दारिद दुकाल दुख, दोष घोर धन धाम को नाम लेत दाहिनों होत मन वाम विधाता वाम को कहत मुनीस महेस महातम, उलटे सूधे नाम को भलो लोक – परलोक तासु जाके बल ललित – ललाम को ‘तुलसी’ जग जानियत नामते, सोच न कूच मुकाम को
Purte Nikasi Raghuvir Vadhu
वन में सीता राम पुरतें निकसी रघुवीर वधू धरि धीर दए मग में डग द्वै झलकीं भरि भाल कनीं जल कीं, पुट सूखि गए मधुराधर वै फिरि बूझति है, चलनो अब केतिक पर्ण कुटी करिहौ कित ह्वै तिय की लखि आतुरता पिय की अखियाँ अति चारु चलीं जल च्वै