Krishna Ghar Nand Ke Aaye Badhai Hai Badhai Hai
श्रीकृष्ण प्राकट्य कृष्ण घर नंद के आये, बधाई है बधाई है करो सब प्रेम से दर्शन, बधाई है बधाई है भाद्र की अष्टमी पावन में प्रगटे श्याम मनमोहन सुखों की राशि है पाई, बधाई है बधाई है मुदित सब बाल, नर-नारी, चले ले भेंट हाथों में देख शोभा अधिक हर्षित, बधाई है बधाई है कृष्ण […]
Goutam Rishi Patni Ahilya Hi
अहिल्या-उद्धार गौतम ऋषि पत्नि अहिल्या ही, शापित होकर पाषाणहुई श्रीराम चरण स्पर्श मिला, देवी तप-मूर्ति प्रकट भई बड़भागिन प्रभु के चरणों से, होकर अधीर तब लिपट गई बोली- ‘प्रभु मैं तो अभागिन हूँ, जो चरण शरण में हूँ आई मुनिवर ने शाप दिया था जो अनुग्रह का रूप लिया उसने वह दूर हुआ हरि दर्शन […]
Ghanshyam Mujhe Apna Leo
शरणागति घनश्याम मुझे अपना लेओ, मैं शरण तुम्हारे आन पड़ी मैंने मात, पिता घर बार तजे, तो लोग कहें मैं तो बिगड़ी अब छोड़ सभी दुनियादारी, मैं आस लगा तेरे द्वार खड़ी यौवन के दिन सब बीत गये, नहिं चैन मुझे अब एक घड़ी हे प्राणेश्वर, हे मुरलीधर, मुझको है तुमसे आस बड़ी वह नयन […]
Jab Gaye Shyam Mathura Udho
विरह व्यथा जब गये श्याम मथुरा ऊधो, तब से गोकुल को भूल गये यो कहते नन्द यशोदा के, आँखों से आँसू छलक गये वह सुघड़ वेष कटि पीताम्बर, मुख कमल नित्य ही स्मरण करे संग ग्वाल सखा, वंशी वादन, वृन्दावन में लाला विचरे इस तरह नित्य मैया बाबा, सुत स्नेह लहर में थे बहते स्तन […]
Jagahu Brajraj Lal Mor Mukut Ware
प्रभाती जागहु ब्रजराज लाल मोर मुकुट वारे पक्षी गण करहि शोर, अरुण वरुण भानु भोर नवल कमल फूल, रहे भौंरा गुंजारे भक्तन के सुने बैन, जागे करुणा अयन पूजि के मन कामधेनु, पृथ्वी पगु धारे करके फिर स्नान ध्यान, पूजन पूरण विधान बिप्रन को दियो दान, नंद के दुलारे करके भोजन गुपाल गैयन सँग भये […]
Tan Rakta Mans Ka Dhancha Hai
चेतावनी तन रक्त माँस का ढाँचा है, जो ढका हुआ है चमड़े से श्रृंगार करे क्या काया का, जो भरी हुई है दुर्गन्धों से खाये पीये कितना बढ़िया, मल-मूत्र वहीं जो बन जाता ऐसे शरीर की रक्षा में, दिन रात परिश्रम है करता मन में जो रही वासनाएँ, वे अन्त समय तक साथ रहें मृत्योपरांत […]
Dekha Dekha Yashoda Tera Lal
श्रीकृष्ण माधुरी देखा देखा यशोदा तेरा लाल मैंने देखा कस्तूरी का तिलक बिराजे, उर पचरंगी माल मोर पखा सिर ऊपर सोहे, घूँघर वारे बाल पीताम्बर को कटि में धारे, काँधे कारी शाल कानों में तो कुण्डल सोहे और लालिमा गाल चरणों में नुपूर छमकाये, चले लटकनी चाल यमुना तट पे रास रचाये, नाचे दे-दे ताल […]
Narhari Chanchal Hai Mati Meri
भक्ति भाव नरहरि चंचल है मति मेरी, कैसी भगति करूँ मैं तेरी सब घट अंतर रमे निरंतर मैं देखन नहिं जाना गुण सब तोर, मोर सब अवगुण मैं एकहूँ नहीं माना तू मोहिं देखै, हौं तोहि देखूँ, प्रीति परस्पर होई तू मोहिं देखै, तोहि न देखूँ, यह मति सब बुधि खोई तेरा मेरा कछु न […]
Pragati Nagari Rup Nidhan
श्री राधा प्राकट्य प्रगटी नागरि रूप-निधान निरख निरख सब कहे परस्पर, नहिं त्रिभुवन में आन कृष्ण-प्रिया का रूप अद्वितीय, विधि शिव करे बखान उपमा कहि कहि कवि सब हारे, कोटि कोटि रति-खान ‘कुंभनदास’ लाल गिरधर की, जोरी सहज समान
Prabhu Lijyo Mera Pranam
प्रणाम प्रभु लिज्यो मेरा प्रणाम प्रभु लिज्यो मेरा प्रणाम मैं आन पड़ी तेरे पांव प्रभुजी, आन पड़ी हे श्याम सब घर बार प्रभु मैं दीना, तुम्हरे चरण का ध्यान है कीना बिन दरशन कैसे हो जीना, प्रभु जपूँ तिहारो नाम सफल जनम हो जाये मेरा, जो दरशन मैं पाऊँ तेरा औरन से क्या काम प्रभुजी, […]