Sabhi Taj Bhajiye Nand Kumar
श्री कृष्ण स्मरण सभी तज भजिये नंदकुमार और भजें ते काम सरे नहिं, मिटे न भव जंजार यह जिय जानि, इहीं छिन भजि, दिन बीते जात असार ‘सूरदास’ औसर मत चूकै, पाये न बारम्बार
Ham Bhaktan Ke Bhakta Hamare
भक्त के भगवान हम भक्तन के, भक्त हमारे सुन अर्जुन, परतिग्या मेरी, यह व्रत टरत न टारे भक्तै काज लाज हिय धरिकैं, पाय-पियादे धाऊँ जहँ-जहँ भीर परै भक्तन पै, तहँ-तहँ जाइ छुड़ाऊँ जो मम भक्त सों बैर करत है, सो निज बैरी मेरो देखि बिचारि, भक्तहित-कारन, हाँकत हौं रथ तेरो जीते जीत भक्त अपने की, […]
Aali Mhane Lage Vrindawan Niko
वृन्दावन आली! म्हाँने लागे वृन्दावन नीको घर घर तुलसी ठाकुर पूजा, दरसण गोविन्दजी को निरमल नीर बहे जमना को, भोजन दूध दही को रतन सिंघासण आप बिराजे, मुगट धरै तुलसी को कुंजन कुंजन फिरै राधिका, सबद सुणै मुरली को ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, भजन बिना नर फीको
Jogi Mat Ja Mat Ja Mat Ja
विरह व्यथा जोगी मत जा, मत जा, मत जा, पाँव पड़ू मैं तोरे प्रेम भगति को पंथ है न्यारो, हमकूँ गैल बता जा अगर चंदन की चिता बनाऊँ, अपने हाथ जला जा जल-जल भई भस्म की ढेरी, अपने अंग लगा जा ‘मीराँ’ कहे प्रभु गिरिधर नागर, जोत में जोत मिला जा
Nato Nam Ko Mosu Tanak Na Todyo Jay
गाढ़ी प्रीति नातो नाम को मोसूँ, तनक न तोड्यो जाय पानाँ ज्यूँ पीली पड़ी रे, लोग कहै पिंड रोग छाने लँघन मैं कियो रे, श्याम मिलण के जोग बाबुल वैद बुलाइया रे, पकड़ दिखाई म्हाँरी बाँह मूरख वैद मरम नहि जाणे, दरद कलेजे माँह जाओ वैद घर आपणे रे, म्हाँरो नाम न लेय ‘मीराँ’ तो […]
Baadar Dekh Dari Shyam
बादल देख डरी बादर देख डरी हो श्याम! मैं तो बादर देख डरी काली-पीली घटा उमड़ी, बरस्यो एक घरी जित जाऊँ तित पानी ही पानी, भई सब भोम हरी जाको पिव परदेस बसत है, भीजै बार खरी ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर,कीज्यो प्रीत खरी
Main Giridhar Ke Rang Rati
गिरिधर के रंग मैं गिरिधर के रंग राती पचरँग चोला पहर सखी मैं, झिरमिट रमवा जाती झिरमिट में मोहि मोहन मिलिग्यो, आनँद मंगल गाती कोई के पिया परदेस बसत हैं, लिख-लिख भेजें पाती म्हारे पिया म्हारे हिय में बसत हैं, ना कहुँ आती जाती प्रेम भट्ठी को मैं मद पीयो, छकी फिरूँ दिन राती ‘मीराँ’ […]
Shri Radhe Rani De Daro Ni Bansuri Mori
बंसी राधे रानी दे डारो नी बाँसुरी मोरी जो बंशी में मोरे प्राण बसत है, सो बंशी गई चोरी काहे से गाऊँ प्यारी काहे से बजाऊँ, काहे से लाऊँ गैया घेरी मुखड़ा से गाओ कान्हा हाथ से बजाओ, लकुटी से लाओ गैया घेरी हा हा करत तेरी पइयाँ पड़त हूँ, तरस खाओ री प्यारी मोरी […]
Karam Gati Tare Nahi Tari
कर्म विपाक करम गति तारे नाहिं टरी मुनि वसिष्ठ से पण्डित ज्ञानी, सोध के लगन धरी सीता हरण, मरण दशरथ को, वन में विपति परी नीच हाथ हरिचन्द बिकाने, बली पताल धरी कोटि गाय नित पुण्य करत नृग, गिरगिट जोनि परी पाण्डव जिनके आप सारथी, तिन पर विपति परी दुर्योधन को गर्व घटायो, जदुकुल नाश […]
Mat Kar Moh Tu Hari Bhajan Ko Man Re
भजन महिमा मत कर मोह तू, हरि-भजन को मान रे नयन दिये दरसन करने को, श्रवण दिये सुन ज्ञान रे वदन दिया हरि गुण गाने को, हाथ दिये कर दान रे कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, कंचन निपजत खान रे