Kutiya Par Raghav Aaye To Shabari

शबरी का प्रेम कुटिया पर राघव आये तो, शबरी की साधना पूर्ण हुई तन मन की सुधि वह भूल गई, प्रभु के चरणों में लिपट गई आसन देकर वह रघुवर को, छबड़ी में बेरों को लाई चख चख कर मीठे बेर तभी, राघव को दे मन हर्षाई यह स्नेह देख कर शबरी का, निज माँ […]

Gopi Vallabh Ke Darshan Main

प्रीति-माधुरी गोपीवल्लभ के दर्शन में, मिलता सुख वैसा कहीं नहीं गोपीजन का था प्रेम दिव्य, प्रेमानुराग की सरित् बही दण्डकवन के ऋषि मुनि ही तो, आकर्षित थे राघव प्रति जो वे बनी गोपियाँ, पूर्ण हुर्इं, अभिलाषा थी इनके मन जो वे देह दशा को भूल गर्इं, हृदय में कोई और न था श्रीकृष्णचन्द्र से प्रेम […]

Ghanshyam Bulawe Radha

हिंडोला (राजस्थानी) घनश्याम बुलावे राधा, थे झूलण चालो बाग में मलय-चँदन को बन्यो हिंडोलो, बँधी रेशमी डोर झूलो आप झुलावे मोहन, नाच रह्यो मन-मोर सजधज आई बाग में राधा, कण्ठ फूल को हार चम्पा, जूही और चमेली, शीतल बहे बयार दादुर, मोर, पपीहा बोले, पीव पीव करे पुकार शिव, ब्रह्मा सनकादिक निरखे, कोई न पायो […]

Jagat Se Prabho Ubaro

शरणागति जगत से प्रभो उबारो हे घट घट वासी, मैं पापी, मुझको आप सँभारो मुझे विदित है तुम सेवक के, दोष नहीं मन लाते ग्वाल-बाल संग क्रीड़ा करते, गाय चराने जाते तुम को प्यार गरीबों से प्रभु, साग विदुर घर खाते शबरी, सुदामा, केवट को, प्रभु तुम ही हो अपनाते तार दिया तुमने भव जल […]

Ja Ko Manvranda Vipin Haryo

वंदनावन-महिमा जाको मन वृन्दा विपिन हर्यो निरिख निकुंज पुंज-छवि राधे, कृष्ण नाम उर धर्यो स्यामा स्याम स्वरूप सरोवर, परी जगत् बिसर्यो कोटि कोटि रति काम लजावै, गोपियन चित्त हर्यो ‘श्रीभट’ राधे रसिकराय तिन्ह, सर्वस दै निबर्यो  

Tan Man Se Gopiyan Priti Kare

व्यथित गोपियाँ तन मन से गोपियाँ प्रीति करें, यही सोच कर प्रगटे मोहन कटि में पीताम्बर वनमाला और मोर मुकुट भी अति सोहन कमनीय कपोल, मुस्कान मधुर, अद्वितीय रूप मोहन का था उत्तेजित कर तब प्रेम भाव जो परमोज्ज्वल अति पावन था वे कण्ठ लगे उल्लास भरें, श्रीकृष्ण करें क्रीड़ा उनसे वे लगीं सोचने दुनियाँ […]

Devi Doshon Ka Daman Kare

देवी चरित्र देवी दोषों का दमन करे करती कृपा सदा भक्तों पर, उनके कष्ट हरे नष्ट करें दुष्टो को माता, कर त्रिशूल धरे मूल प्रकृति से सृष्टि का सृजन, ये भी आप करे चन्द्रवदनी माँ दिव्याभूषण, वस्त्र धरे रति लाजे वे ही तो हिमाचल की पुत्री जो, शिव वामांग विराजै महिषासुर निशुम्भ शुम्भ का भी, […]

Nayan Main Daro Mati Gulal

होली नयन में डारो मती गुलाल, तिहारे पाँय परत नन्दलाल अंतर होत पिया दरसन में, बिन दरसन बेहाल कनक बेलि वृषभानु-नन्दिनी, प्रीतम स्याम तमाल ऋतु बसंत वृंदावन फूल्यो, नाचत गोपी ग्वाल वेणु बजावे मधुरे गावे, नाना विधि दे ताल ‘रामदास’ प्रभु गिरिधर नागर, पिक रंग सोहे गाल 

Pragati Anup Rup Vrashbhanu

श्री राधा प्राकट्य प्रगटी अनूप रूप, वृषभानु की दुलारी राधा शुचि मधुर-मधुर, कीर्तिदा-कुमारी चंद्र-वदन रूप सौम्य, दोऊ कर-कमल मधुर विशद नयन-कमल मधुर, आनँद विस्तारी अरुन चरन-पद्म सदृश, भौंह मधुर भाव मधुर अधरनि मुसकान मधुर, सरवस बलिहारी आए तहँ दरसन हित, शिव, ऋषि व्रतधारी रासेश्वरि श्री राधा के, कान्हा की प्यारी  

Prabhu Ji Tumko Arpit Yah Jiwan

मेरी भावना प्रभुजी! तुमको अर्पित यह जीवन जीवन बीते सत्कर्मों में, श्रद्धा हो प्रभु की पूजा में करो हृदय में ध्यान सदा, लगूँ नहीं कभी दुष्कर्मों में इच्छा न जगे कोई मन में, प्रभु प्रेम-भाव से तृप्त रहूँ सुख दुख आये जो जीवन में, प्रभु का प्रसाद में जान गहूँ जो मात-पिता वे जीवन-धन, उनकी […]