Ek Aur Vah Kshir Nir Main Sukh Se Sowen

श्री राधाकृष्ण एक ओर वह क्षीर नीर में, सुख से सोवैं करि के शैया शेष लक्ष्मीजी, जिन पद जोवैं वे ही राधेश्याम युगल, विहरत कुंजनि में लोकपाल बनि तऊ चरावत, धेनु वननि में निज ऐश्वर्य भुलाय कें, करैं अटपटे काम है तेज पुंज उन कृष्ण को, बारम्बार प्रणाम है

Radha Ras Ki Khani Sarasta Sukh Ki Beli

श्री राधा राधा रस की खानि, सरसता सुख की बेली नन्दनँदन मुखचन्द्र चकोरी, नित्य नवेली नित नव नव रचि रास, रसिक हिय रस बरसावै केलि कला महँ कुशल, अलौकिक सुख सरसावै यह अवनी पावन बनी, राधा पद-रज परसि के जिह राज सुरगन इन्द्र अज, शिव सिर धारें हरषि के

Priti Pagi Shri Ladili Pritam Shyam Sujan

युगल से प्रीति प्रीति पगी श्री लाड़िली, प्रीतम स्याम सुजान देखन में दो रूप है, दोऊ एक ही प्रान ललित लड़ैती लाड़िली, लालन नेह निधान दोउ दोऊ के रंग रँगे, करहिं प्रीति प्रतिदान रे मन भटके व्यर्थ ही, जुगल चरण कर राग जिनहिं परसि ब्रजभूमि को, कन कन भयो प्रयाग मिले जुगल की कृपा से, […]

Sakhi Ri Ati Natkhat Nandkishor

नटखट कन्हैया सखी री! अति नटखट नंद-किसोर करत छेड़खानी वह हमसों, सुनत न नैंकु निहोर मैया को अति लाड़-लड़ैतो, भयो बड़ो मुँहजोर घर में पैठि चुरावैं माखन, दैत मटुकिया फोर जमुना-तट जा चीर चुरावै, मग में घट दे तोर ऐसे कौतुक करत तदपि सखि, चलत न मन सों जोर चीर-छीर की कहा चलै इन, लियो […]

Radha Ghar Kanan Main Radha

जीवन सर्वस्व राधा राधा घर, कानन में राधा, राधा नित यमुना के तीर राधा मोद, प्रमोद राधिका, राधा बहै नयन बन नीर राधा प्राण बुद्धि सब राधा, राधा नयनों की तारा राधा ही तन मन में छाई, प्रेमानंद सुधा धारा राधा भजन, ध्यान राधा ही, जप तप यज्ञ सभी राधा राधा सदा स्वामिनी मेरी, परमाराध्या […]

Prabhu Tera Paar Na Paya

शरणागत प्रभु तेरा पार न पाया तूँ सर्वज्ञ चराचर सब में, तू चैतन्य समाया प्राणी-मात्र के तन में किस विधि, तू ही तो है छाया जीव कहाँ से आये जाये, कोई समझ न पाया सूर्य चन्द्रमा तारे सब में, ज्योति रूप चमकाया यह सृष्टि कैसी विचित्र है, उसमें मैं भरमाया ‘ब्रह्मानंद’ शरण में तेरी, छोड़ […]

Anupranit Vaidik Dharma Kiya

आद्य शंकराचार्य अनुप्राणित वैदिक धर्म किया, श्रद्धा से उनका स्मरण करें वे ज्ञान मूर्ति शंकर ही थे, हम सादर उन्हें प्रणाम करें जब धर्म अवैदिक फैल गया तो ब्रह्मवाद हो गया मन्द अवतरित हुए शंकराचार्य तो श्रुति विरोध का हुआ अंत आचार्य-चरण से सुलभ हमें स्तुतियाँ श्रेष्ठ प्रभु-विग्रह की श्रद्धापूर्वक हम गान करें, हो सुदृढ़ […]

Are Man Jap Le Prabhu Ka Nam

नाम स्मरण अरे मन जप ले प्रभु का नाम पाँच तत्व का बना पींजरा, मढ़ा उसी पर चाम आज नहीं कल छूट जायगा, भज ले करुणाधाम द्रुपद-सुता ने उन्हें पुकारा, वसन रूप भये श्याम श्रद्धा-भाव रहे मन में नित, जपो प्रभु का नाम अजामील ने पुत्र-भाव से, नारायण का लिया नाम सुलभ हो गई सद्गति […]

Aawat Hi Yamuna Bhar Pani

मोहन की मोहिनी आवत ही यमुना भर पानी श्याम रूप काहूको ढोटा, चितवानि देख लुभानी मोहन कह्यो तुमहीं या ब्रज में, हम कूँ नहिं पहिचानी ठगी रही मूरत मन अटक्यो, मुख निकसत नहीं बानी जा दिन तें चितये री वह छबि, हरि के हाथ बिकानी ‘नंददास’ प्रभु सों मन मिलियो, ज्यों सागर में पानी

Karahu Prabhu Bhavsagar Se Par

नाम-महिमा करहुँ प्रभु भवसागर से पार कृपा करहु तो पार होत हौं, नहिं बूड़ति मँझधार गहिरो अगम अथाह थाह नहिं, लीजै नाथ उबार हौं अति अधम अनेक जन्म की, तुम प्रभु अधम उधार ‘रूपकुँवरि’ बिन नाम श्याम के, नहिं जग में निस्तार