Sab Din Gaye Vishay Ke Het

विस्मरण सब दिन गये विषय के हेत तीनों पन ऐसे ही बीते, केस भये सिर सेत रूँधी साँस, मुख बैन न आवत चन्द्र ग्रसहि जिमि केत तजि गंगोदक पियत कूप जल, हरि तजि पूजत प्रेत करि प्रमाद गोविंद, बिसार्यौ, बूड्यों कुटुँब समेत ‘सूरदास’ कछु खरच न लागत, रामनाम सुख लेत

Ham To Nandgaon Ke Vasi

गोकुल की महिमा हम तो नंदग्राम के वासी नाम गोपाल, जाति कुल गोपहिं, गोप-गोपाल उपासी गिरिवरधारी, गोधनचारी, वृन्दावन-अभिलाषी राजा नंद जसोदा रानी, जलधि नदी जमुना सी प्रान हमारे परम मनोहर, कमल नयन सुखरासी ‘सूरदास’ प्रभु कहौ कहाँ लौं, अष्ट महासिधि दासी

Ab To Hari Nam Lo Lagi

चैतन्य महाप्रभु अब तो हरी नाम लौ लागी सब जग को यह माखन चोरा, नाम धर्यो बैरागी कित छोड़ी वह मोहक मुरली, कित छोड़ी सब गोपी मूँड मुँडाई डोरी कटि बाँधी, माथे मोहन टोपी मात जसोमति माखन कारन, बाँधे जाके पाँव श्याम किसोर भयो नव गौरा, चैतन्य जाको नाँव पीताम्बर को भाव दिखावे, कटि कोपीन […]

Jogiya Kab Re Miloge Aai

मिलने की आतुरता जोगिया, कब रे मिलोगे आई तेरे कारण जोग लियो है, घर-घर अलख जगाई दिवस न भूख, रैन नहिं निंदियाँ, तुम बिन कछु न सुहाई ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, मिल कर तपन बुझाई

Nahi Aiso Janam Barambar

नश्वर जीवन नहीं ऐसो जनम बारम्बार क्या जानूँ कछु पुण्य प्रगटे, मानुसा अवतार बढ़त पल पल घटत छिन-छिन, जात न लागे वार बिरछ के ज्यों पात टूटैं, लगे नहीं पुनि डार भौसागर अति जोर कहिये, विषय ऊँडी धार राम नाम का बाँध बेड़ा, उतर परले पार साधु संत महन्त ज्ञानी, चालत करत पुकार दासी मीराँ […]

Baso Mere Nainan Me Nandlal

मोहिनी मूर्ति बसो मोरे नैनन में नंदलाल मोहनी मूरति, साँवरी सूरति, नैणा बने बिसाल अधर सुधारस मुरली राजत, उर बैजंती माल छुद्र घंटिका कटि तट सोभित, नूपुर सबद रसाल ‘मीराँ’ प्रभु संतन सुखदाई, भगत-बछल गोपाल

Mero Man Ram Hi Ram Rate Re

नाम की महिमा मेरो मन रामहि राम रटै रे राम नाम जप लीजै प्राणी, कोटिक पाप कटे रे जनम जनम के लेख पुराने, नामहि लेत फटे रे कनक कटोरे अमृत भरियो, पीवत कौन नटे रे ‘मीराँ’ कहे प्रभु हरि अविनासी, तन-मन ताहि पटे रे

Ram Nam Ras Pije Manua

श्याम का रंग राम-नाम रस पीजै, मनुआ! राम-नाम रस पीजै ताज कुसंग, सत्संग बैठ नित, हरि-चर्चा सुन लीजै काम, क्रोध, मद लोभ, मोह कूँ बहा चित्त से दीजै ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, ताहि के रंग में भीजै

Ab Odhawat Hai Chadariya Vah Dekho Re Chalti Biriya

अंतिम अवस्था अब ओढ़ावत है चादरिया, वह देखो रे चलती बिरिया तन से प्राण जो निकसन लागे, उलटी नयन पुतरिया भीतर से जब बाहर लाये, छूटे महल अटरिया चार जने मिल खाट उठाये, रोवत चले डगरिया कहे ’कबीर’ सुनो भाई साधो, सँग में तनिक लकड़िया

Pritam Aaye Pritam Aaye Aaj Mere Ghar Pritam Aaye

हरि दर्शन प्रीतम आए प्रीतम आये, आज मेरे घर प्रीतम आये रहत रहत मैं अँगना बुहारूँ, मोतियाँ माँग भराऊँ, भराऊँ चरण पखार देख सुख पाऊँ, सब साधन बरसाऊँ पाँच सखी मिल मंगल गाये, राग सरस मैं गाऊँ करूँ आरती, प्रेम निछावर, पल-पल मैं बलि जाऊँ कहे ‘कबीर’ धन भाग हमारा, परम पुरुष वर पाऊँ