Raghav Gidh God Kari Linho
गिद्ध पर कृपा राघव गीध गोद करि लीन्हों नयन-सरोज सनेह-सलिल सुचि मनहुँ अर्घ्य जल दीन्हों बहु विधि राम कह्यो तनु राखन, परम धीर नहिं डोल्यो रोकि प्रेम अवलोकि बदन-बिधु, वचन मनोहर बोल्यो ‘तुलसी’ प्रभु झूठे जीवन लगि, समय न धोखे लैहों जाको नाम मरत मुनि दुर्लभ तुमहिं कहाँ पुनि पैहों
Aaj Vrashbhanu Geh Anand
श्री राधा जन्मोत्सव आज वृषभानु गेह आनन्द वदन प्रभा सी लागत मानो, प्रगट्यो पूरन-चंद बजे बाजने नाचे गाये, कोइ सुनावत टेर सुनि सब नारि बधावन आई, किये बिना कछु देर नंदराय अरु जसुमति रानी, न्योता पा चलि आये सुनतहि सबन भरे आनंद में, हुलसि भेंट को लाये अपने अपने मन को भाये, करत सकल ब्रज […]
Kanh Kahat Dadhi Dan N Deho
जकाती श्याम कान्ह कहत दधि दान न दैहों लैहों छीनि दूध दधि माखन, देखत ही तुम रैहों सब दिन को भरि लेहुँ आज ही, तब छाँड़ौं मैं तुमको तुम उकसावति मात पिता को, नहीं जानो तुम हमको (सखी) हम जानत हैं तुमको मोहन, लै लै गोद खिलाए ‘सूर’ स्याम अब भये जकाती, वे दिन सब […]
Jab Jab Murli Knah Bajawat
मुरली मोहिनी जब जब मुरली कान्ह बजावत तब तब राधा नाम उचारत, बारम्बार रिझावत तुम रमनी, वे रमन तुम्हारे, वैसेहिं मोहि जनावत मुरली भई सौति जो माई, तेरी टहल करावत वह दासी, तुम्ह हरि अरधांगिनि, यह मेरे मन आवत ‘सूर’ प्रगट ताही सौं कहि कहि, तुम कौं श्याम बुलावत
Jo Sukh Hot Gopalhi Gaye
गोपाल का गुणगान जो सुख होत गोपालहिं गाये सो न होत जपतप व्रत संयम, कोटिक तीरथ न्हाये गदगद गिरा नयन जल धारा, प्रेम पुलक तनु छाये तीन लोक सुख तृणवत लेखत, नँद-नंदन उर आये दिये लेत नहिं चार पदारथ, हरि चरणन अरुझाये ‘सूरदास’ गोविन्द भजन बिनु, चित नहीं चलत चलाये
Dhanya Nand Dhani Jasumati Rani
धन्य नन्द-यशोदा धन्य नन्द, धनि जसुमति रानी धन्य ग्वाल गोपी जु खिलाए, गोदहि सारंगपानी धन्य व्रजभूमि धन्य वृन्दावन, जहँ अविनासी आए धनि धनि ‘सूर’ आह हमहूँ जो, तुम सब देख न पाए
Prabhu More Avgun Chit N Dharo
समदर्शी प्रभु प्रभु मोरे अवगुण चित्त न धरो समदर्शी है नाम तिहारो, चाहो तो पार करो इक लोहा पूजा में राखत, इक घर बधिक परो यह द्विविधा पारस नहिं जानत, कंचन करत खरो इक नदिया इक नार कहावत, मैलो ही नीर भरो जब मिलि के दोउ एक वरण भए, सुरसरि नाम परो एक जीव, एक […]
Makhan Ki Chori Te Sikhe
चित चोर माखन की चोरी तै सीखे, कारन लगे अब चित की चोरी जाकी दृष्टि परें नँद-नंदन, फिरति सु मोहन के सँग भोरी लोक-लाज, कुल कानि मेटिकैं, बन बन डोलति नवल-किसोरी ‘सूरदास’ प्रभु रसिक सिरोमनि, देखत निगम-बानि भई भोरी
Maiya Mori Main Nahi Makhan Khayo
माखन चोरी मैया मोरी मैं नहिं माखन खायौ भोर भयो गैयन के पाछे, मधुवन मोहि पठायौ चार पहर वंशीवट भटक्यो, साँझ परे घर आयौ मैं बालक बहियन को छोटो, छींको केहि विधि पायौ ग्वाल-बाल सब बैर परे हैं, बरबस मुख लपटायौ तू जननी मन मन की अति भोरी, इनके कहे पतियायौ जिय तेरे कछु भेद […]
Radha Nain Neer Bhari Aai
मिलन उत्सुकता राधा नैन नीर भरि आई कबहौं स्याम मिले सुन्दर सखि, यदपि निकट है आई कहा करौं केहि भाँति जाऊँ अब, देखहि नहिं तिन पाई ‘सूर’ स्याम सुन्दर धन दरसे, तनु की ताप बुझाई