Sakhi Ri Sundarta Ko Rang
दिव्य सौन्दर्य सखी री सुन्दरता को रंग छिन-छिन माँहि परत छबि औरे, कमल नयन के अंग स्याम सुभग के ऊपर वारौं, आली, कोटि अनंग ‘सूरदास’ कछु कहत न आवै, गिरा भई अति पंग
Shyam Liyo Giriraj Uthai
गिरिराज धरण स्याम लियो गिरिराज उठाई धीर धरो हरि कहत सबनि सौं, गिरि गोवर्धन करत सहाई नंद गोप ग्वालिनि के आगे, देव कह्यो यह प्रगट सुनाई काहै कौ व्याकुल भै डोलत, रच्छा करत देवता आई सत्य वचन गिरिदेव कहत हैं, कान्ह लेहिं मोहिं कर उचकाई ‘सूरदास’ नारी नर ब्रज के, कहत धन्य तुम कुँवर कन्हाई
Ab To Nibhayan Saregi Rakh Lo Mhari Laj
शरणागति अब तो निभायाँ सरेगी, रख लो म्हारी लाज प्रभुजी! समरथ शरण तिहारी, सकल सुधारो काज भवसागर संसार प्रबल है, जामे तुम ही जहाज निरालम्ब आधार जगत्-गुरु, तुम बिन होय अकाज जुग जुग भीर हरी भक्तन की, तुम पर उनको नाज ‘मीराँ’ सरण गही चरणन की, पत राखो महाराज
Jaago Bansi Ware Lalna
प्रभाती जागो बंसीवारे ललना, जागो मोहन प्यारे रजनी बीती भोर भयो है, घर घर खुले किवारे गोपी दही मथत सुनियत है, कँगना के झनकारे उठो लालजी भोर भयो है, सुर नर ठाड़े द्वारे ग्वाल बाल सब करत कुलाहल, जय जय सबद उचारे माखन रोटी करो कलेवा, गउवन के रखवारे ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, शरणागत […]
Namo Namo Tulsi Maharani
तुलसी की महिमा नमो नमो तुलसी महारानी, नमो नमो हरि की पटरानी जाको दरस परस अघ नासे, महिमा वेद पुराण बखानी साखा पत्र मंजरी कोमल, श्री पति चरण-कमल लपटानी धन्य आप ऐसो व्रत कीन्हो, सालिगराम के शीश चढ़ानी छप्पन भोग धरे हरि आगे, तुलसी बिन प्रभु एक न मानी प्रेम प्रीत कर हरि वश कीन्हे, […]
Barse Badariya Sawan Ki
प्रतीक्षा बरसे बदरिया सावन की, सावन की मनभावन की सावन में उमग्यो मेरो मनवा, भनक सुनी हरि आवन की नन्हीं-नन्हीं बूँदन मेहा बरसे, शीतल पवन सुहावन की ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, आनँद मंगल गावन की
Mere Ghar Aao Sundar Shyam
विरह व्यथा मेरे घर आवो सुन्दर श्याम तुम आया बिन सुख नहीं मेरे, पीरी परी जैसे पान मेरे आसा और न स्वामी, एक तिहारो ही ध्यान ‘मीराँ’ के प्रभु वेग मिलो अब, राखोजी मेरो मान
Rana Ji Ruthe To Mharo Kai Karsi
गोविंद का गान राणाजी रूठे तो म्हारो काई करसी, मैं तो गोविन्द का गुण गास्याँ राणाजी भले ही वाँको देश रखासी, मैं तो हरि रूठ्याँ कठे जास्याँ लोक लाज की काँण न राखाँ मैं तो हरि-कीर्तन करास्याँ हरि-मंदिर में निरत करस्याँ, मैं तो घुँघरिया घमकास्याँ चरणामृत को नेम हमारो, मैं तो नित उठ दरसण जास्याँ […]
Ho Ji Hari Kit Gaye Neha Lagay
विरह व्यथा हो जी हरि!कित गए नेहा लगाय नेह लगाय मेरो मन हर लियो, रस-भरी टेर सुनाय मेरे मन में ऐसी आवै, प्राण तजूँ विष खाय छाँड़ि गए बिसवासघात करि, नेह की नाव चढ़ाय ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, रहे मधुपुरी छाय
Pani Main Min Piyasi Re
आत्म ज्ञान पानी में मीन पियासी रे, मोहे सुन-सुन आवे हाँसी रे जल थल सागर पूर रहा है, भटकत फिरे उदासी रे आतम ज्ञान बिना नर भटके, कोऊ मथुरा, कोई कासी रे गंगा और गोदावरी न्हाये, ज्ञान बिना सब नासी रे कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, सहज मिले अविनासी रे