Kahe Re Van Dhoondhan Jaai

अन्तर्यामी काहे रे वन ढूँढन जाई घट घट वासी सदा अलेपा, तोही संग समाई पुष्प मध्य ज्यों गंध बसत है, मुकुर माँहि जस छार्इं तैसे ही हरि बसे निरन्तर, घट घट खोजौ भाई बाहर भीतर एकौ जानौ, ‘नानक’ ज्ञान बताई 

Guru Charno Me Shish Nava Ke Raghuvar

धनुष-भंग (राजस्थानी) गुरुचरणों में सीस नवा के, रघुवर धनुष उठायोजी बाण चढ़ावत कोई न देख्यो, झटपट तोड़ गिरायोजी तीन लोक अरु भवन चतुर्दश, सबद सुणत थर्रायोजी धरणी डगमग डोलन लागी, शेष नाग चकरायोजी शूरवीर सब धुजण लाग्या, सबको गरब मिटायो जी 

Dhwast Kiya Haygriv Detya

दशावतार ध्वस्त किया हयग्रीव दैत्य और वेदों का भी उद्धार मत्सत्य रूप धार्यो नारायण, जय जगदीश हरे पृथ्वी को जल पर स्थिर की, हिरण्याक्ष को मारा शूकर रूप धर्यो नारायण, जय जगदीश हरे हिरण्यकाशीपु का नाश हुआ, भक्त प्रहलाद की रक्षा की नरसिंह रूप धर्यो नारायण, जय जगदीश हरे अमृत से वंचित हुए असुर देवों […]

Jagat Main Jivan Kuch Din Ka

नश्वर जीवन जगत् में जीवन कुछ दिन का देह मिली मानव की प्रभु से कर न गर्व इसका सदुपयोग तूँ कर विवेक का, मत कर तूँ मन का काल बली माथे पर नाचे, पता नहीं छिन का राम नाम के दो अक्षर में, सब सुख शांति समाई राम नाम भजले मनवा तूँ, भवसागर तर जाई […]

Jab Haar Kisi Ke Hath Nahi

समदृष्टि जय हार किसी के हाथ नहीं जब विजय प्राप्त हो अपने को, ले श्रेय स्वयं यह ठीक नहीं हम तो केवल कठपुतली हैं, सब कुछ ही तो प्रभु के वश में है जीत उन्हीं के हाथों में और हार भी उनके हाथों में जब मिलें पराजय अपयश हो, पुरुषार्थ हमारा जाय कहाँ हो हार […]

Jhula Jhule Shri Giridhari

झूला झूला झूले श्री गिरधारी मणिमय जटित हिंडोला बैठे, संग में प्राण पियारी वाम भाग सोहत श्री राधा, पहन लहरिया सारी शीतल मन्द सुगन्धित वायु, श्याम घटा मनहारी कोकिल मोर पपीहा बोले, मधुर गान सुखकारी फूल-हार, फूलों का गजरा, युगल रूप छबि न्यारी  

The To Aarogo Ji Madan Gopal

दुग्ध अर्पण थे तो आरोगोजी मदनगोपाल! कटोरो ल्याई दूध को भर्यो दूधाजी दीनी भोलावण, जद में आई चाल धोली गाय को दूध गरम कर, ल्याई मिसरी घाल कईयाँ रूठ गया हो म्हारा नाथ! कटोरो…. कद ताई रूठ्या रोगा थे बोलो जी महाराज दूध-कटोरो धर्यो सामने, पीवणरी काँई लाज भूखा मरता तो चिप जासी थारा चिकणा […]

Nand Bhawan Ko Bhushan Bhai

कृष्ण कन्हैया नंद भवन को भूषन भाई अतुलित शोभा स्याम सुँदर की नवनिधि ब्रज में छाई जसुमति लाल वीर हलधर को राधारमन परम सुखदाई काल को काल, परम् ईश्वर को सामर्थ अतुल न तोल्यो जाई ‘नन्ददास’ को जीवन गिरिधर, गोकुल गाँव को कुँवर कन्हाई  

Pashu Hinsa Ka Ho Gaya Ant

भगवान बुद्ध पशु-हिंसा का हो गया अन्त, भगवान बुद्ध अवतरित हुए लख यज्ञ कर्म में पशु-वध को, अन्याय घोर प्रभु द्रवित हुए वे कृपा सिन्धु करुणानिधि थे, वैराग्यवान् जो बुद्ध हुए राजा शुद्धोधन की रानी, मायादेवी से जन्म लिया सोचा पशु का वध क्रूर कर्म, जड़ता को तत्पर दूर किया पशु-हिंसा द्वारा यज्ञों से, हो […]

Prabhu Ji Main To Tharo Hi Tharo

समर्पण (राजस्थानी) प्रभुजी मैं तो थारो ही थारो भलो बुरो जैसो भी हूँ मैं, पर हूँ तो बस थारो बिगड्यो भी तो थारो बिगड्यो, थे ही म्हने सुधारो म्हारी बात जाय तो जाये, नाम बिगड़ सी थारो चाहे कहे म्हने तो बिगडी, विरद न रहसी थारो जँचे जिस तरे करो नाथ, थे मारो चाहे तारो […]