Kahiyo Syam So Samjhai

श्याम की याद कहियौ स्याम सौ समझाइ वह नातौ नहि मानत मोहन, मनौ तुम्हारी धाइ बारहिं बार एकलौ लागी, गहे पथिक के पाँइ ‘सूरदास’ या जननी को जिय, राखै बदन दिखाइ

Jag Me Jiwat Hi Ko Nato

मोह माया जग में जीवत ही को नातो मन बिछुरे तन छार होइगो, कोउ न बात पुछातो मैं मेरो कबहूँ नहिं कीजै, कीजै पंच-सुहातो विषयासक्त रहत निसि –वासर, सुख सियारो दुःख तातो साँच झूँट करि माया जोरी, आपन रूखौ खातो ‘सूरदास’ कछु थिर नहिं रहई, जो आयो सो जातो

Jo Lo Man Kamna N Chute

कामना का त्यचक्ष जो लौं मन कामना न छूटै तो कहा जोग जज्ञ व्रत कीन्हैं, बिनु कन तुस को कूटै कहा असनान किये तीरथ के, राग द्वेष मन लूटै करनी और कहै कछु औरे, मन दसहूँ दिसी टूटै काम, क्रोध, मद, लोभ शत्रु हैं, जो इतननि सों छूटै ‘सूरदास’ तब ही तम नासै, ज्ञान – […]

Dou Bhaiya Jewat Ma Aage

भोजन दोउ भैया जैंवत माँ आगै पुनि-पुनि लै दधि खात कन्हाई, और जननि पे माँगे अति मीठो दधि आज जमायौ, बलदाऊ तुम लेहु देखौ धौं दधि-स्वाद आपु लै, ता पाछे मोहि देहु बल-मोहन दोऊ जेंवत रूचि सौं, सुख लूटति नँदरानी ‘सूर’ श्याम अब कहत अघाने, अँचवन माँगत पानी

Prabhu Tero Vachanbharoso Sancho

भक्त-वत्सलता प्रभु तेरो वचन भरोसो साँचो पोषन भरन विसंभर स्वामी, जो कलपै सो काँचौ जब गजराज ग्राह सौं अटक्यौ, बली बहुत दुख पायौ नाम लेट ताही छन हरिजू, गरुड़हि छाँड़ि छुड़ायौ दुःशासन जब गही द्रौपदी, तब तिहिं वसन बढ़ायौ ‘सूरदास’ प्रभु भक्त बछल हैं, चरन सरन हौं आयौ

Madhukar Shyam Hamre Chor

चित-चोर मधुकर श्याम हमारे चोर मन हर लियो माधुरी मूरत, निरख नयन की कोर पकरे हुते आन उर अंतर, प्रेम प्रीति के जोर गये छुड़ाय तोर सब बंधन, दै गये हँसन अकोर उचक परों जागत निसि बीते, तारे गिनत भई भोर ‘सूरदास’ प्रभु हत मन मेरो, सरबस लै गयो नंदकिशोर

Maiya Main Nahi Makhan Khayo

माखन चोरी मैया मैं नहिं माखन खायौ ख्याल परे ये सखा सबै मिलि, मेरे मुख लपटायौ देखि तुही सींके पर भाजन, ऊँचे धरि लटकायौ हौ जु कहत, नन्हें कर अपने, मैं कैसे करि पायौ मुख दधि पौंछि बुद्धि इक कीन्हीं, दोना पीठि दुरायौ डारि साट मुसकाई जसोदा, स्यामहिं कण्ठ लगायौ बाल विनोद मोद मन मोह्यो, […]

Radha Ju Ke Pran Govardhandhari

राधा प्रेमी स्याम राधा जू के प्रान गोवर्धनधारी तरु-तमाल प्रति कनक लतासी, हरि की प्रान राधिका प्यारी मरकत-मणि सम श्याम छबीलो, कंचन-तन-वृषभानु दुलारी ‘सूरदास’ प्रभु प्रीति परस्पर, जोरी भली बनी बनवारी

Shri Krishna Chandra Mathura Ko Gaye

विरह व्यथा श्री कृष्णचन्द्र मथुरा को गये, गोकुल को आयबो छोड़ दियो तब से ब्रज की बालाओं ने, पनघट को जायबो छोड़ दियो सब लता पता भी सूख गये, कालिंदी किनारो छोड़ दियो वहाँ मेवा भोग लगावत हैं, माखन को खायबो छोड़ दियो ये बीन पखावज धरी रहैं, मुरली को बजायबो छोड़ दियो वहाँ कुब्जा […]

Shyam Moso Khelo Na Hori

होली स्याम मोसों खेलो न होरी, पाँव पडूं कर जोरी सगरी चुनरिया रँग न भिजाओ, इतनी सुन लो मोरी झपट लई मोरे हाथ ते गागर, करो मती बरजोरी दिल धड़कत मेरी साँस बढ़त है, देह कँपत रँग ढोरी अबीर गुलाल लिपट दियो मुख पे, सारी रँग में बोरी सास ननँद सब गारी दैहैं, आई उनकी […]