Kutiya Par Raghav Aaye To Shabari
शबरी का प्रेम कुटिया पर राघव आये तो, शबरी की साधना पूर्ण हुई तन मन की सुधि वह भूल गई, प्रभु के चरणों में लिपट गई आसन देकर वह रघुवर को, छबड़ी में बेरों को लाई चख चख कर मीठे बेर तभी, राघव को दे मन हर्षाई यह स्नेह देख कर शबरी का, निज माँ […]
Shat Shat Pranam Prabhu Raghav Ko
राघव को प्रणाम शत शत प्रणाम प्रभु राघव को कोई ऊँच नीच का भेद नहीं, सब लोग ही प्रेम करे उनको जो राजपाट को त्याग रहे, चौदह वर्षों तक वन में ही शबरी के जूठे बेर खाय, अरु गले लगाये केवट को वियोग हुआ वैदेही से, कई कष्ट सहे भी तुमने ही जब राक्षस रावण […]
Jay Ram Rama Ramnam Samanam
श्री राम वन्दना जय राम रमा- रमनं समनं , भव-ताप भयाकुल पाहिजनं अवधेस, सुरेस, रमेस विभो, सरनागत माँगत पाहि प्रभो दस-सीस-बिनासन बीस भुजा, कृत दूरि महा-महि भूरि-रुजा रजनी-चर-वृन्द-पतंग रहे, सर-पावक-तेज प्रचंड दहे महि-मंडल-मंडन चारुतरं, धृत-सायक-चाप-निषंग-बरं मद-मोह-महा ममता-रजनी, तमपुंज दिवाकर-तेज-अनी मनजात किरात निपात किए, मृग, लोभ कुभोग सरेनहिए हति नाथ अनाथनि पाहि हरे, विषया वन पाँवर […]
Raghav Gidh God Kari Linho
गिद्ध पर कृपा राघव गीध गोद करि लीन्हों नयन-सरोज सनेह-सलिल सुचि मनहुँ अर्घ्य जल दीन्हों बहु विधि राम कह्यो तनु राखन, परम धीर नहिं डोल्यो रोकि प्रेम अवलोकि बदन-बिधु, वचन मनोहर बोल्यो ‘तुलसी’ प्रभु झूठे जीवन लगि, समय न धोखे लैहों जाको नाम मरत मुनि दुर्लभ तुमहिं कहाँ पुनि पैहों
Guru Charno Me Shish Nava Ke Raghuvar
धनुष-भंग (राजस्थानी) गुरुचरणों में सीस नवा के, रघुवर धनुष उठायोजी बाण चढ़ावत कोई न देख्यो, झटपट तोड़ गिरायोजी तीन लोक अरु भवन चतुर्दश, सबद सुणत थर्रायोजी धरणी डगमग डोलन लागी, शेष नाग चकरायोजी शूरवीर सब धुजण लाग्या, सबको गरब मिटायो जी
Shri Ram Ko Maa Kaikai Ne
राम वनगमन श्रीराम को माँ कैकयी ने दिया जभी वनवास उनके मुख पर कहीं निराशा का, न तभी आभास मात कौसल्या और सुमित्रा विलपे, पिता अचेत उर्मिला की भी विषम दशा थी, त्यागे लखन निकेत जटा बनाई वल्कल पहने, निकल पड़े रघुनाथ जनक-नन्दिनी, लक्ष्मण भाई, गये उन्हीं के साथ आज अयोध्या के नर नारी, विह्वल […]
Jau Kahan Taji Charan Tumhare
रामाश्रय जाऊँ कहाँ तजि चरन तुम्हारे काको नाम पतित पावन जग, केहि अति दीन पियारे कौनहुँ देव बड़ाइ विरद हित, हठि हठि अधम उधारे खग मृग व्याध, पषान, विटप जड़यवन कवन सुर तारे देव दनुज, मुनि, नाग, मनुज सब माया-विवश बिचारे तिनके हाथ दास ‘तुलसी’ प्रभु, कहा अपुनपौ हारे
Ram Kam Ripu Chap Chadhayo
धनुष भंग राम कामरिपु चाप चढ़ायो मुनिहि पुलक, आनंद नगर, नभ सुरनि निसान बजायो जेहि पिनाक बिनु नाक किये, नृप सबहि विषाद बढ़ायो सोई प्रभु कर परसत टूटयो, मनु शिवशंभु पढ़ायो पहिराई जय माल जानकी, जुबतिन्ह मंगल गायो ‘तुलसी’ सुमन बरसि सुर हरषे, सुजसु तिहूँ पुर छायो
Goutam Rishi Patni Ahilya Hi
अहिल्या-उद्धार गौतम ऋषि पत्नि अहिल्या ही, शापित होकर पाषाणहुई श्रीराम चरण स्पर्श मिला, देवी तप-मूर्ति प्रकट भई बड़भागिन प्रभु के चरणों से, होकर अधीर तब लिपट गई बोली- ‘प्रभु मैं तो अभागिन हूँ, जो चरण शरण में हूँ आई मुनिवर ने शाप दिया था जो अनुग्रह का रूप लिया उसने वह दूर हुआ हरि दर्शन […]
Shri Ram Jape Ham Kaise Hi
राम नाम महिमा श्री राम जपें हम कैसे ही उलटा नाम जपा वाल्मीकि ने, ब्रह्मर्षि हो गये वही लिया अजामिल ने धोखे से नाम तर गया भवसागर द्रुपद-सुता जब घिरी विपद् से, लाज बचाई नटनागर गज, गणिका का काम बन गया, प्रभु-कृपा से ही तो प्रतीति प्रीति हो दो अक्षर में, श्रीराम मिले उसको तो […]