Kaho Tumh Binu Grah Mero Kon Kaj
अनुरोध कहौ तुम्ह बिनु गृह मेरो कौन काज ? विपिन कोटि सुरपुर समान मोको, जो प्रिय परिहर् यो राज वलकल विमल दुकूल मनोहर, कंदमूल – फल अमिय अनाज प्रभु पद कमल विलोकहुँ छिन छिन इहितें, अधिक कहा सुख साज हो रहौ भवन भोग लोलुप ह्वै, पति कानन कियो मुनि को साज ‘तुलसिदास’ ऐसे विरह वचन […]
Meri Yah Abhilash Vidhata
अभिलाषा मेरी यह अभिलाष विधाता कब पुरवै सखि सानुकूल ह्वैं हरि सेवक सुख दाता सीता सहित कुसल कौसलपुरआय रहैं सुत दोऊ श्रवन-सुधा सम वचन सखी कब, आइ कहैगो कोऊ जनक सुता कब सासु कहैं मोहि, राम लखन कहैं मैया कबहुँ मुदित मन अजर चलहिंगे, स्याम गौर दोउ भैया ‘तुलसिदास’ यह भाँति मनोरथ करत प्रीति अति […]
Udatta Charit Shri Raghav Ka
श्रीराम चरित्र उदात्त चरित श्री राघव का कर पाये थोड़ा अनुसरण, आदर्श बने जीवन उसका शील, शक्ति व सदाचार का, संगम प्रभु का जीवन है वे सत्वादी स्थित-प्रज्ञ, गम्भीर, गुणों के सागर है श्री राम धर्म के विग्रह ही अन्यत्र जो मिलना दुर्लभ है आदर्श पुत्र, भ्राता व मित्र पति की भी वे अभिव्यक्ति है […]
Ram Sumir Ram Sumir
माया राम सुमिर, राम सुमिर, यही तेरो काज रे माया को संग त्याग, प्रभुजी की शरण लाग मिथ्या संसार सुख, झूठो सब साज रे सपने में धन कमाय, ता पर तूँ करत मान बालू की भीत जैसे, दुनिया को साज रे ‘नानक’ जन कहत बात, बिनसत है तेरो गात छिन-छिन पर गयो काल, तैसे जात […]
Koshalpur Me Bajat Badhai
श्री राम जन्म कौशलपुर में बजत बधाई सुंदर सुत जायो कौशल्या, प्रगट भये रघुराई जात कर्म दशरथ नृप कीनो, अगणित धेनु दिवाई गज तुरंग कंचन मणि भूषण, दीन्हे मन हरषाई देत असीस सकल नरनारी, चिरजियो सतभाई ‘तुलसिदास’ आस पूरन भई, रघुकुल प्रकटे आई
Mero Bhalo Kiya Ram, Apni Bhalai
उदारता मेरो भलो कियो राम, आपनी भलाई मैं तो साईं-द्रोही पै, सेवक- हित साईं रामसो बड़ो है कौन, मोसो कौन छोटो राम सो खरो है कौन, मोसो कौन खोटो लोक कहै रामको, गुलाम हौं कहावौं एतो बड़ो अपराध भौ न मन बावों पाथ-माथे चढे़तृन ‘तुलसी’ ज्यों नीचो बोरत न वारि ताहि जानि आपुसींचो
Karuna Ke Sukh Sagar Data
श्रीराम प्राकट्य करुणा के सागर, सुखदाता, यश गाये जिनका वेद संत श्यामल सुन्दर राजीव नयन, शोभा-सागर कीरति अनन्त माँ कौसल्या ने जन्म दिया, आयुध है चार भुजाओं में भूषण गल माला अद्वितीय, हर्षित सब ऋषि मुनि सुर मन में अवतार लिया दशरथ सुत हो, शिशु रूप धरा तब राघव ने प्रिय लीला करने लगे तभी, […]
Re Man Ram So Kar Preet
श्री राम भजो रे मन राम सों कर प्रीत श्रवण गोविंद गुण सुनो, अरु गा तू रसना गीत साधु-संगत, हरि स्मरण से होय पतित पुनीत काल-सर्प सिर पे मँडराये, मुख पसारे भीत आजकल में तोहि ग्रसिहै, समझ राखौ चीत कहे ‘नानक’ राम भजले, जात अवसर बीत
Jay Jayti Jay Raghuvansh Bhushan
श्री राम वन्दना जय जयति जय रघुवंशभूषण राम राजिवलोचनम् त्रैताप खंडन जगत्-मंडन ध्यानगम्य अगोचरम् अद्वैत अविनाशी अनिन्दित, मोक्षप्रद अरि गंजनम् तव शरण भवनिधि-पारदायक, अन्य जगत् विडम्बनम् हे दीन-दारिद के विदारक, दयासिन्धु कृपाकरम हे भक्तजन के राम जीवन-मूल मंगल मंगलम्
Raghuvar Tumko Meri Laj
विरूद रघुवर तुमको मेरी लाज सदा सदा मैं सरन तिहारी, तुम बड़े गरीब-निवाज पतित उधारन विरूद तिहारो, श्रवनन सुनी आवाज हौं तो पतित पुरातन कहिये, पार उतारो जहाज अघ खंडन, दुख-भंजन जन के, यही तिहारो काज, ‘तुलसिदास’ पर किरपा करिये, भक्ति दान देहु आज