Soi Rasna Jo Hari Gun Gawe

हरि भक्ति सोइ रसना जो हरि गुन गावै नैनन की छबि यहै चतुरता, जो मुकुन्द-मकरन्दहिं ध्यावै निरमल चित तो सोई साँचो, कृष्ण बिना जिहिं और न भावै श्रवननि की जु यहै अधिकाई, सुनि हरि-कथा सुधारस पावै कर तेई जो स्यामहिं सैवै, चरननि चलि वृन्दावन जावै ‘सूरदास’ जैयै बलि ताके, जों हरि जू सों प्रीति बढ़ावै

He Govind He Gopal He Govind Rakho Sharan

शरणागति हे गोविन्द, हे गोपाल, हे गोविन्द राखो शरण अब तो जीवन हारे, हे गोविन्द, हे गोपाल नीर पिवन हेतु गयो, सिन्धु के किनारे सिन्धु बीच बसत ग्राह, चरन धरि पछारे चार प्रहर युद्ध भयो, ले गयो मझधारे नाक कान डूबन लागे, कृष्ण को पुकारे द्वारका में शब्द गयो, शोर भयो भारे शंख-चक्र, गदा-पद्म, गरूड़ […]

Chalan Vahi Des Pritam Chalan Vahi Des

प्रीतम के देश चालाँ वाही देस प्रीतम, चालाँ वाही देस कहो कसूमल साड़ी रँगावाँ, कहो तो भगवाँ भेस कहो तो मोतियाँ माँग भरावाँ, कहो बिखरावाँ केस ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, सुण लो बिरद नरेस

Daras Mhane Bega Dijyo Ji

विरह व्यथा दरस म्हाने बेगा दीज्यो जी, खबर म्हारी बेगी लीज्यो जी आप बिना मोहे कल न पड़त है, म्हारा में गुण एक नहीं है जी तड़पत हूँ दिन रात प्रभुजी, सगला दोष भुला दिज्यो जी भगत-बछल थारों बिरद कहावे, श्याम मोपे किरपा करज्यो जी मीराँ के प्रभु गिरिधर नागर, आज म्हारी लाज राखिज्यो जी

Bansiwala Aajo Mhare Des

विरह व्यथा बंसीवाला आजो म्हारे देस, थाँरी साँवरी सूरति वालो भेष आऊगा कह गया साँवरा, कर गया कौल अनेक गणता गणता घिस गई म्हारी, आँगुलिया की रेख तेरे कारण साँवराजी, धर लियो जोगण भेष ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, आओ मिटे कलेस

Muraliya Baji Jamna Teer

मुरली की मोहिनी मुरलिया बाजी जमना तीर मुरली म्हारो मन हर लीन्हों, चित्त धरे नहीं धीर स्याम कन्हैया स्याम कमरिया, स्याम ही जमुना नीर मुरली धुन सुण सुध बुध बिसरी, शीतल होत सरीर ‘मीराँ’ के प्रभु गुरुधर नागर, बेग हरो म्हारी पीर

Rana Ji Ab Na Rahungi Tori Hatki

वैराग्य राणाजी! अब न रहूँगी तोरी हटकी साधु-संग मोहि प्यारा लागै, लाज गई घूँघट की पीहर मेड़ता छोड्यो अपनो, सुरत निरत दोउ चटकी सतगुरु मुकर दिखाया घट का, नाचुँगी दे दे चुटकी महल किला कुछ मोहि न चहिये, सारी रेसम-पट की भई दिवानी ‘मीराँ’ डोलै, केस-लटा सब छिटकी

Hari Tum Haro Jan Ki Pir

पीड़ा हरलो हरि तुम हरो जन की भीर द्रौपदी की लाज राखी, तुम बढ़ायो चीर भक्त कारन रूप नरहरि, धर्यो आप सरीर हरिणकस्यप मारि लीन्हौं, धर्यो नाहिं न धीर बूड़तो गजराज राख्यौ, कियो बाहर नीर दासी ‘मीराँ’ लाल गिरिधर, हरो म्हारी पीर

Kou Ya Kanha Ko Samujhawe

नटखट कन्हैया कोउ या कान्हा को समुझावै कैसो यह बेटो जसुमति को, बहुत ही धूम मचावै हम जब जायँ जमुन जल भरिबे घर में यह घुस जावै संग सखा मण्डली को लै यह, गोरस सबहिं लुटावै छींके धरी कमोरी को सखि, लकुटी सो ढुरकावै आपु खाय अरु धरती पर, गोरस की कीच बनावै जब हम […]

Shyam Binu Bairin Rain Bhai

विरह व्यथा स्याम बिनु बैरिन रैन भई काटे कटत न घटत एक पल, सालत नित्य नई पल भर नींद नयन नहिं आये, तारे गिनत गई उलटि-पुलटि करवट लैं काटूँ, ऐसी दशा भई कहा बात मैं कहूँ गात की, जात न कछु कही अँखियन में पावस सी छाई, जब पल रूकत नहीं भये निठुर ऐसे नँदनंदन, […]