Hamro Pranam Banke Bihari Ko
मीरा का प्रणाम हमरो प्रणाम बाँके बिहारी को मोर मुकुट माथे तिलक बिराजै, कुण्डल अलका कारी को अधर धर मुरली मधुर बजावै, रिझावै राधा प्यारी को यह छबि देख मगन भई ‘मीराँ’, मोहन गिरिवर धारी को
Kahe Aise Bhaye Kathor
निहोरा काहे ऐसे भये कठोर टेरत टेरत भई वयस अब, तक्यो न मेरी ओर कहा करों, कोउ पंथ न दीखत, साधन भी नहिं और पै तुम बिनु मेरे मनमोहन, दीखत और न ठौर काहे अब स्वभाव निज भूले, करहुँ न करुना कोर हूँ मैं दीन भिखारी प्यारे, तुम उदार-सिरमौर
Sakhi Ri Main To Rangi Shyam Ke Rang
श्याम का रंग सखी री मैं तो रंगी श्याम के रंग पै अति होत विकल यह मनुआ, होत स्वप्न जब भंग हो नहिं काम-काज ही घर को, करहिं स्वजन सब तंग किन्तु करुँ क्या सहूँ सब सजनी, चढ्यो प्रेम को रंग आली, चढ़ी लाल की लाली, अँग-अँग छयो अनंग स्याममयी हो गई सखी मैं तो, […]
Anurag Gopiyon Jaisa Ho
गोपियों की प्रीति अनुराग गोपियों जैसा हो श्रीकृष्ण प्रेम का मूर्तिमान, विग्रह है श्री राधाजी ही महाभाव रूप उनका पावन,राधारानी का प्रेम वही श्री राधा का उद्देश्य यही, बस सुख पहुँचाएँ प्यारे को वे करते प्रेम प्रियाजी से, यह श्रेय श्री कृष्ण बड़प्पन को जीवन में जो कुछ सुख दुख है, हम स्वीकारें सहर्ष उसे […]
Kahe Kanhaiya Bada Ho Gaya
गौचारण लीला कहे कन्हैया बड़ा हो गया, सुन जसुमति हर्षाये नेह नीर भर के नयनों में, लाला को समझाये नटखट बालकृष्ण नहीं माने, नन्दराय मुसकाये करा कलेवा ग्वाल-बाल सँग, वन को लाल पठाये लिये लकुटिया हाथ, कामरी कंधे पर लटकाये मोर-मुकुट सिर सोहे, कटि में पीत वसन लहराये पावन अधिक आज वृन्दावन, मुरली मधुर सुनाये […]
Chit Chura Liya Is Chitwan Ne
मोहन की मोहिनी चित्त चुरा लिया इस चितवन ने आनंद न समाये उर माहि, सखि अटक गया मनमोहन में यशुमति के आंगन खेल रहा, मैं मुग्ध हुई उसकी छबि पर मैं भूल गई घर बार सभी, जादू छाया उसका मुझ पर कानों में कुण्डल को पहने, सखि चमक गाल पर झलक रही आभास हुआ मुझको […]
Tha Magh Mas Braj Balayen
चीर हरण था माघ मास ब्रज बालाएँ, यमुना जल में सब स्नान करें होता था ऊषाकाल जभी, श्रीकृष्ण चरित गुणगान करें जल क्रीडा में थी मग्न सभी, तत्काल श्याम वहाँ पहुँच गये अभिलाषा जो उनके मन में, सर्वेश्वर उसको जान गये ले वस्त्र उठा बालाओं के, वे तरु कदम्ब पर चढ़े तभी वे बोले सुन्दरियों […]
Nayan Main Daro Mati Gulal
होली नयन में डारो मती गुलाल, तिहारे पाँय परत नन्दलाल अंतर होत पिया दरसन में, बिन दरसन बेहाल कनक बेलि वृषभानु-नन्दिनी, प्रीतम स्याम तमाल ऋतु बसंत वृंदावन फूल्यो, नाचत गोपी ग्वाल वेणु बजावे मधुरे गावे, नाना विधि दे ताल ‘रामदास’ प्रभु गिरिधर नागर, पिक रंग सोहे गाल
Braj Ke Birahi Log Bichare
वियोग ब्रज के बिरही लोग बिचारे बिन गोपाल ठगे से ठाढ़े, अति दुरबल तनु हारे मात जसोदा पंथ निहारति, निरखति साँझ सकारे सबही कान्ह कान्ह कहि बोलत, अँखियन बहत पनारे यह मथुरा काजर की रेखा, जे निकसे ते कारे ‘परमानंद’ स्वामी बिन ऐसे, ज्यों चंदा बिनु तारे
Manmohan Hamko Ati Pyare
बालकृष्ण प्रति प्रेम मनमोहन हम को अति प्यारे बार-बार किलकारी मारे, चले कन्हैया घुटनों से ब्रज-वधुएँ आनन्दित होकर, उसे लगायें छाती से कहें-इसे हम जभी देखतीं, प्यार उमड़ता हम सबको रोक नहीं पाती उमंग को, सुध-बुध रहे नहीं हमको कितनी बार गोद में लेतीं, किन्तु न मन ही भरता है धन्य प्रेम इनका कान्हा प्रति, […]