Muraliya Kahe Guman Bhari
मुरली का जादू मुरलिया काहे गुमान भरी? जड़ तोरी जानों, पेड़ पहिचानों, मधुवन की लकरी कबहुँ मुरलिया प्रभु-कर सोहे, कबहुँ अधर धरी सुर-नर-मुनि सब मोहि गये हैं, देवन ध्यान धरी ‘सूर’ श्याम अस बस भई ग्वालिन, हरि पे ध्यान धरी
Maiya Mohi Dau Bahut Khijayo
खीजना मैया, मोहिं दाऊ बहुत खिझायौ मोंसो कहत मोल को लीन्हौं, तोहिं जसुमति कब जायौ कहा कहौं यहि रिस के मारे, खेलन हौं नहिं जात पुनि पुनि कहत कौन है माता, को है तेरो तात गोरे नन्द जसोदा गोरी, तुम कत श्याम शरीर चुटकी दै दै हँसत ग्वाल सब, सिखे देत बलबीर तू मोहीं को […]
Lal Teri Fir Fir Jat Sagai
माखन चोरी लाल तेरी फिर फिर जात सगाई चोरी की लत त्याग दे मोहन, लड़ लड़ जाय लुगाई दूध दही घर में बहुतेरो, माखन और मलाई बार बार समुझाय जसोदा, माने न कुँवर कन्हाई नंदराय नन्दरानी परस्पर, मन में अति सुख पाई सूर श्याम के रूप, शील गुण, कोउ से कहा न जाई
Sune Ri Maine Nirbal Ke Balram
शरणागति सुने री मैंने निरबल के बल राम पिछली साख भरूँ संतन की, आइ सँवारे काम जब लगि गज बल अपनो बरत्यो, नेक सर्यो नहिं काम निरबल ह्वै हरि नाम पुकार्यो, आये आधे नाम द्रुपद-सुता निरबल भई ता दिन, तजि आये निज धाम दुःशासन की भुजा थकित भई, बसन रूप भये स्याम अप-बल, तप-बल और […]
Hari Binu Meet Nahi Kou Tere
प्रबोधन हरि बिनु मीत नहीं कोउ तेरे सुनि मन, कहौं पुकारी तोसौं, भजो गोपालहिं मेरे यह संसार विषय-विष सागर, रहत सदा सब घेरे ‘सूर’ श्याम बिन अंतकाल में, कोई न आवत नेरे
Chalo Re Man Jamna Ji Ke Tir
यमुना का तीर चलो रे मन जमनाजी के तीर जमनाजी को निरमल पाणी, सीतल होत शरीर बंसी बजावत गावत कान्हो, संग लिये बलबीर मोर मुकुट पीताम्बर सोहे, कुण्डल झलकत हीर मीराँ के प्रभु गिरिधर नागर, चरण-कँवल पर सीर
Daras Bina Dukhan Lage Nain
विरह व्यथा दरस बिन दूखँण लागै नैन जब से तुम बिछुड़े मेरे प्रभुजी, कबहुँ न पायो चैन सबद सुनत मेरी छतियाँ काँपें, कड़वे लागै बैन विरह कथा कासूँ कहुँ सजनी, बह गई करवत ऐन कल न परत, हरि को मग जोवत, भई छमासी रैन ‘मीरा’ के प्रभु कबरे मिलोगे, दुख मेटण सुख दैन
Fagun Ke Din Char Re Hori Khel Mana Re
आध्यात्मिक होली फागुन के दिन चार रे, होरी खेल मना रे बिन करताल पखावज बाजै, अणहद की झणकार रे बिन सुर राग छतीसूँ गावै, रोम-रोम रणकार रे सील संतोष की केसर घोली, प्रेम प्रीति पिचकार रे उड़त गुलाल लाल भयो अंबर, बरसत रंग अपार रे घट के सब पट खोल दिये हैं, लोक लाज सब […]
Mukhada Ni Maya Lagi Re
मोहन का सौंदर्य (गुजराती) मुखड़ानी माया लागी रे, मोहन प्यारा मुखड़ूँ मैं जोयुँ तारूँ, सब जग थयुँ खारूँ, मन मारूँ रह्युँ न्यारूँ रे संसारी, नुँ सुख एवुँ, झाँझवाना नीर जेवुँ, तेने तुच्छ करी फरिये रे ‘मीराँबाई’ बलिहारी, आशा मने एक तारी, हवे हुँ तो बड़भागी रे
Ya Braj Me Kachu Dekho Ri Tona
मुग्धा या वृज में कछु देखोरी टोना ले मटुकी गिर चली गुजरिया, आय मिले बाबा नंद को छोना दधि की पांग बिसरि गई प्यारी, लीजो रीं कोई श्याम सलौना बृन्दावन की कुंज गलिन में, आँख लगायो री मन-मोहना ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, सुन्दर श्याम सुघर रस लोना