Nand Rani Ji Ke Putra Hua

श्रीकृष्ण प्राकट्य नन्दरानीजी के पुत्र हुआ यह सुन करके ब्रज में सबके मन में भारी आनन्द हुआ कई मनौतियाँ अरु पुण्यों के परिणाम रूप बेटा आया तभी बधाई में दाई ने, मनचाहा रत्न हार पाया गोप गोपियाँ सजे धजे, आशीष दे रहे लाला को चिरजीवों यशोदा के लाल, परिपूर्ण कर दिया आशा को डफ झाँझ […]

Biraj Main Holi Ki Hai Dhum

होली बिरज में होली की है धूम लेकर हाथ कनक पिचकारी, यहाँ खड़ें हैं कृष्ण मुरारी, उतते आई गोपकुमारी, पकड़ लियो झट से बनवारी मुख पर मल दी तभी गुलाल, बिरज में होली है अब आई वृजभानु-दुलारी, और साथ में सखियाँ न्यारी, घेर लियो फिर नँद-नंदन को, पहना दी रेशम की सारी रंग दियो श्याम […]

Mathura Se Shyam Nahin Loute

ज्ञान पर भक्ति की विजय मथुरा से श्याम नहीं लौटे हैं, दुःखी सब ही ब्रज में मात यशोदा बाबा नन्द को, लाला की याद आय मन में मथुरा राजमहल में व्याकुल, रहें सदा ही राधाकान्त रोक नहीं पाते अपने को रोते थे पाकर एकान्त ब्रज बालाएँ डूब रहीं थीं, विरह वेदना में दिन रात उद्धव […]

Mohan Ne Murali Adhar Dhari

मुरली का जादू मोहन ने मुरली अधर धरी वृन्दावन में ध्वनि गूंज रही, सुन राधे-स्वर सब मुग्ध हुए कोई न बचा इस जादू से, सबके मन इसने चुरा लिए जड़ भी चैतन्य हुए सुन कर, उन्मत्त दशा पशु पक्षी की जल प्रवाह कालिन्दी में रुक गया, कला ये वंशी की गोपीजन की गति तो विचित्र, […]

Samarpan Karun Buddhi Bal Mera

भीष्मजी द्वारा स्तवन समर्पण करूँ बुद्धि बल मेरा और न कुछ भी दे पाऊँ प्रभु, जो भी है वह तेरा मेरा मन आबद्ध जगत् में, घट घट के प्रभु वासी दो प्रबोध हे त्रिभुवन-सुन्दर! वृन्दावन के वासी पंकज-नयन, तमाल-वर्ण, आवृत अलकावली मुख पे पीत वसन रवि-किरणों के सम, शोभित श्यामल तन पे अनुपम शोभा कुरुक्षेत्र […]

Aaj Jo Harihi N Shastra Gahau

भीष्म प्रतिज्ञा आज जो हरिहिं न शस्त्र गहाऊँ तौं लाजौं गंगा-जननी को, सांतनु-सुत न कहाऊँ स्यंदन खंडि महारथ खंडौं, कपिध्वज सहित डुलाऊँ इती न करो सपथ मोहिं हरि की, क्षत्रिय-गतिहि न पाऊँ पांडव-दल सन्मुख हौं धाऊँ, सरिता रुधिर बहाऊँ ‘सूरदास’ रण-भूमि विजय बिनु, जियत न पीठ दिखाऊँ

Kanh Kahat Dadhi Dan N Deho

जकाती श्याम कान्ह कहत दधि दान न दैहों लैहों छीनि दूध दधि माखन, देखत ही तुम रैहों सब दिन को भरि लेहुँ आज ही, तब छाँड़ौं मैं तुमको तुम उकसावति मात पिता को, नहीं जानो तुम हमको (सखी) हम जानत हैं तुमको मोहन, लै लै गोद खिलाए ‘सूर’ स्याम अब भये जकाती, वे दिन सब […]

Jabahi Ban Murli Stravan Padi

मुरली का जादू जबहिं बन मुरली स्रवन पड़ी भौंचक भई गोप-कन्या सब, काम धाम बिसरी कुल मर्जाद वेद की आज्ञा, नेकहुँ नाहिं डरी जो जिहि भाँति चली सो तेसेंहि, निसि में उमंग भरी सुत, पति-नेह, भवन-जन-संका, लज्जा नाहिं करी ‘सूरदास’ प्रभु मन हर लीन्हों, नागर नवल हरी

Tum Pe Kon Dehave Gaiya

गौ-दोहन तुम पै कौन दुहावै गैया लिये रहत कर कनक दोहनी, बैठत हो अध पैया इत चितवत उत धार चलावत, एहि सखियो है मैया ‘सूरदास’ प्रभु झगरो सीख्यौ, गोपिन चित्त चुरैया

Naina Bhaye Anath Hamare

विरह व्यथा नैना भये अनाथ हमारे मदनगुपाल यहाँ ते सजनी, सुनियत दूरि सिधारे वै हरि जल हम मीन बापुरी, कैसे जियहिं नियारे हम चातक चकोर श्यामल घन, बदन सुधा-निधि प्यारे मधुबन बसत आस दरसन की, नैन जोई मग हारे ‘सूरदास’ ऐसे मनमोहन, मृतक हुते पुनि मारे