Jab Jab Murli Knah Bajawat
मुरली मोहिनी जब जब मुरली कान्ह बजावत तब तब राधा नाम उचारत, बारम्बार रिझावत तुम रमनी, वे रमन तुम्हारे, वैसेहिं मोहि जनावत मुरली भई सौति जो माई, तेरी टहल करावत वह दासी, तुम्ह हरि अरधांगिनि, यह मेरे मन आवत ‘सूर’ प्रगट ताही सौं कहि कहि, तुम कौं श्याम बुलावत
Tiharo Krishna Kahat Ka Jat
चेतावनी तिहारौ कृष्ण कहत का जात बिछुड़ैं मिलै कबहुँ नहिं कोई, ज्यों तरुवर के पात पित्त वात कफ कण्ठ विरोधे, रसना टूटै बात प्रान लिये जैम जात मूढ़-मति! देखत जननी तात जम के फंद परै नहि जब लगि, क्यों न चरन लपटात कहत ‘सूर’ विरथा यह देही, ऐतौ क्यों इतरात
Nainan Nirkhi Syam Swarup
विराट स्वरूप नैनन निरखि स्याम-स्वरूप रह्यौ घट-घट व्यापि सोई, जोति-रूप अनूप चरन सातों लोक जाके, सीस है आकास सूर्य, चन्द्र, नक्षत्र, पावक, ‘सूर’ तासु प्रकास
Makhan Ki Chori Te Sikhe
चित चोर माखन की चोरी तै सीखे, कारन लगे अब चित की चोरी जाकी दृष्टि परें नँद-नंदन, फिरति सु मोहन के सँग भोरी लोक-लाज, कुल कानि मेटिकैं, बन बन डोलति नवल-किसोरी ‘सूरदास’ प्रभु रसिक सिरोमनि, देखत निगम-बानि भई भोरी
Maiya Mori Main Nahi Makhan Khayo
माखन चोरी मैया मोरी मैं नहिं माखन खायौ भोर भयो गैयन के पाछे, मधुवन मोहि पठायौ चार पहर वंशीवट भटक्यो, साँझ परे घर आयौ मैं बालक बहियन को छोटो, छींको केहि विधि पायौ ग्वाल-बाल सब बैर परे हैं, बरबस मुख लपटायौ तू जननी मन मन की अति भोरी, इनके कहे पतियायौ जिय तेरे कछु भेद […]
Re Man Murakh Janam Gawayo
असार संसार रे मन मूरख जनम गँवायो करि अभिमान विषय रस राच्यो, श्याम सरन नहिं आयो यह संसार सुवा सेमर ज्यों, सुन्दर देखि भुलायो चाखन लाग्यो रूई गई उड़ि, हाथ कछु नहीं आयो कहा भयो अबके मन सोचे, पहिले पाप कमायो कहत ‘सूर’ भगवंत भजन बिनु, सिर धुनि धुनि पछितायो
Sun Ri Sakhi Bat Ek Mori
ठिठोली सुन री सखी, बात एक मेरी तोसौं धरौं दुराई, कहौं केहि, तू जानै सब चित की मेरी मैं गोरस लै जाति अकेली, काल्हि कान्ह बहियाँ गही मेरी हार सहित अंचल गहि गाढ़े, इक कर गही मटुकिया मेरी तब मैं कह्यौ खीझि हरि छोड़ौ, टूटेगी मोतिन लर मेरी ‘सूर’ स्याम ऐसे मोहि रीझयौ, कहा कहति […]
Hari Dekhe Binu Kal Na Pare
विरह व्यथा हरि देखे बिनु कल न परै जा दिन तैं वे दृष्टि परे हैं, क्यों हूँ चित उन तै न टरै नव कुमार मनमोहन ललना, प्रान जिवन-धन क्यौं बिसरै सूर गोपाल सनेह न छाँड़ै, देह ध्यान सखि कौन करै
Ghar Aavo Pritam Pyara
विरह व्यथा घर आओ प्रीतम प्यारा, अब आओ प्रीतम प्यारा है तुम बिन सब जग खारा, घर आओ प्रीतम प्यारा तन मन धन सब भेंट करूँ, व भजन करूँ मैं थारा तुम गुणवंत बड़े नटनागर, मोमें औगुण न्यारा मैं निगुणी कुछ गुण तो नाहीं, तुम में ही गुण सारा ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, […]
Thane Kai Kai Samjhawan
विरह व्यथा थाने काँईं काँईं समझाँवा, म्हारा साँवरा गिरधारी पुरब जनम की प्रीत हमारी, अब नहीं जाय बिसारी रोम रोम में अँखियाँ अटकी, नख सिख की बलिहारी सुंदर बदन निरखियो जब ते, पलक न लागे म्हाँरी अब तो बेग पधारो मोहन, लग्यो उमावो भारी ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, सुधि लो तुरत ही म्हारी