Kab Aaoge Krishna Murare
प्रतीक्षा कब आओगे कृष्ण मुरारे, आस में बैठी पंथ निहारूँ सूरज डूबा साँझ भी आई, दर पे खड़ी हूँ आस लगाये रात हुई और तारे निकले, कब आओगे कृष्ण मुरारे आधी रात सुनसान गली है, मैं हूँ अकेली गगन में तारे जागा सूरज सोए तारे, कब आओगे कृष्ण मुरारे भोर भई जग सारा जागा, हुआ […]
Ghanshyam Mujhe Apna Leo
शरणागति घनश्याम मुझे अपना लेओ, मैं शरण तुम्हारे आन पड़ी मैंने मात, पिता घर बार तजे, तो लोग कहें मैं तो बिगड़ी अब छोड़ सभी दुनियादारी, मैं आस लगा तेरे द्वार खड़ी यौवन के दिन सब बीत गये, नहिं चैन मुझे अब एक घड़ी हे प्राणेश्वर, हे मुरलीधर, मुझको है तुमसे आस बड़ी वह नयन […]
Tum Bin Pyare Kahun Sukh Nahi
स्वार्थी संसार तुम बिन प्यारे कहुँ सुख नाहीं भटक्यो बहुत स्वाद-रस लम्पट, ठौर ठौर जग माहीं जित देखौं तित स्वारथ ही की निरस पुरानी बातें अतिहि मलिन व्यवहार देखिकै, घृणा आत है तातें जानत भले तुम्हारे बिनु सब, व्यर्थ ही बीतत सांसे ‘हरिचन्द्र’ नहीं टूटत है ये, कठिन मोह की फाँसे
Nand Mahar Ghar Bajat Badhai
श्रीकृष्ण प्राकट्य नंद महर घर बजत बधाई, बड़े भाग्य जाये सुत जसुदा, सुनि हरषे सब लोग लुगाई भाँति भाँति सो साज साजि सब, आये नंदराय गृह धाई नाचहिं गावहिं हिय हुलसावहिं, भरि-भरि भाण्ड के लई मिठाई भयो अमित आनन्द नंदगृह, करहिं महर सबकी पहुनाई ‘परमानँद’ छयो त्रिभुवन में, चिरजीवहु यह कुँवर कन्हाई
Biraj Main Holi Khelat Nandlal
होली बिरज में होरी खेलत नँदलाल ढोलक झाँझ मँजीरा बाजत, सब सखियाँ मिल होरी गावत, नाचत दे दे ताल भर भरके पिचकारी मारत, भीजत है ब्रज के नर नारी, मुग्ध भई ब्रज-बाल धरती लाल, लाल भयो अम्बर, लाल राधिका, लालहि नटवर, उड़त अबीर गुलाल होरी खेलत है कुँवर कन्हाई, जमुना तट पर धूम मचाई, क्रीड़ा […]
Mangal Diwas Chathi Ko Aayo
उत्सव मंगल दिवस छठी को आयो आनन्दित नंदराय जसोदा, मानों निर्धन धन को पायो न्हवा कान्ह को जसुमति मैया, कुल देवी के चरण परायो विविध भाँति के व्यंजन धर के, देवी को भलिभाँति मनायो सब ब्रज नारी बधावन आई, बालकृष्ण को तिलक करायो जय जयकार होत गोकुल में, ‘परमानंद’ हरषि जस गायो
Mo Se Kaha Na Jay Kaha Na Jay
मोहन के गुण मो से कहा न जाय, कहा न जाय, मनमोहन के गुण सारे अविनाशी घट घट वासी, यशुमति नन्द दुलारे लाखों नयना दरस के प्यासे, वे आँखों के तारे गोपियन के संग रास रचाये, मुरलीधर मतवारे शरद पूर्णिमा की रजनी थी, रास रचायो प्यारे उनके गुण सखि कितने गाऊँ, वे सर्वस्व हमारे
Sakhiyon Ko Sang Liye
नाचे बनवारी सखियों को संग लिये, नाचत बनवारी मन्द मन्द चलत पवन, पूनम को चाँद गगन बाँसुरी बजाये श्यामसुन्दर सुखकारी कंकण किंकिंणी कलाप, गोपीजन मन उमंग मंडल बीच श्याम संग, राधा सुकुमारी बाजे मृदंग ताल, छनन छनन नूपुर-ध्वनि वृन्दावन यमुना-तट, शोभा प्रियकारी
Aaj Grah Nand Mahar Ke Badhai
जन्मोत्सव आज गृह नंद महर के बधाई प्रात समय मोहन मुख निरखत, कोटि चंद छवि छाई मिलि ब्रज नागरी मंगल गावति, नंद भवन में आई देति असीस, जियो जसुदा-सुत, कोटिन बरस कन्हाई अति आनन्द बढ्यौ गोकुल में, उपमा कही न जाई ‘सूरदास’ छवि नंद की घरनी, देखत नैन सिराई
Kahi Main Aise Hi Mari Jeho
वियोग व्यथा कहीं मैं ऐसै ही मरि जैहौं इहि आँगन गोपाल लाल को कबहुँ कि कनियाँ लैहौं कब वह मुख पुनि मैं देखौंगी, कब वैसो सुख पैंहौं कब मोपै माखन माँगेगो, कब रोटी धरि दैंहौं मिलन आस तन प्राण रहत है, दिन डस मारग चैहौं जौ न ‘सूर’ कान्ह आइ हैं तो, जाइ जमुन धँसि […]