Hari Ko Herati Hai Nandrani
माँ का स्नेह हरि को हेरति है नँदरानी बहुत अबेर भई कहँ खेलत, मेरे साँरगपानी सुनहति टेर, दौरि तहँ आये, कबके निकसे लाल जेंवत नहीं बाबा तुम्हरे बिनु, वेगि चलो गोपाल स्यामहिं ल्यायी महरि जसोदा, तुरतहिं पाँव पखारे ‘सूरदास’ प्रभु संग नंद के, बैठे हैं दोऊ बारे
Ghadi Ek Nahi Aavade
विरह व्यथा घड़ी एक नहीं आवड़े, तुम दरशन बिन मोय तुम हो मेरे प्राणजी, किस विधि जीना होय दिवस तो हाय बिता दियो रे, रैन जँवाई सोय जो मैं ऐसो जाणती रे, प्रीति किया दुख होय नगर ढिंढोरो पीटती रे, प्रीति न करियो कोय पंथ निहारूँ डगर बुहारूँ, ऊभी मारग जोय ‘मीराँ’ को प्रभु कब […]
Tori Savari Surat Nandlala Ji
साँवरी सूरत तोरी साँवरी सुरत नन्दलालाजी जमुना के तीरे धेनु चरावत, काली कामली वालाजी मोर-मुकुट पीताम्बर शोभे, कुण्डल झलकत लालाजी ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, भक्तन के प्रति पालाजी
Pyari Darsan Dijyo Aay
विरह व्यथा प्यारे दरसन दीज्यो आय, तुम बिन रह्यो न जाय जल बिन कमल, चंद बिन रजनी, ऐसे तुम देख्या बिन सजनी आकुल-व्याकुल फिरूँ रैन-दिन, विरह कलेजो खाय दिवस न भूख, नींद नहिं रैना, मुख सूँ कथत न आवै बैना कहा कहूँ कछु कहत न आवे, मिलकर तपत बुझाय क्यूँ तरसाओ अंतरजामी, आय मिलो किरपा […]
Meera Magan Hari Ke Gun Gay
मग्न मीरा मीराँ मगन हरि के गुण गाय साँप-पिटारा राणा भेज्या, मीराँ हाथ दियो जाय न्हाय धोय जब देखण लागी, सालिगराम गई पाय जहर को प्याला राणाजी भेज्या, अमृत दियो बनाय न्हाय धोय जब पीवण लागी, हो गई अमर अँचाय सूल सेज राणाजी भेजी, दीज्यो मीराँ सुलाय साँझ भई मीराँ सोवण लागी, मानो फूल बिछाय […]
Mhare Ghar Aao Pritam Pyara
आओ प्रीतम म्हारे घर आओ प्रीतम प्यारा, जग तुम बिन लागे खारा तन-मन धन सब भेंट धरूँगी, भजन करूँगी तुम्हारा तुम गुणवंत सुसाहिब कहिये, मोमें औगुण सारा मैं निगुणी कछु गुण नहिं जानूँ, ये सब बगसण हारा ‘मीराँ’ कहे प्रभु कब रे मिलोगे, तुम बिन नैण दुखारा
Sanwara Mhari Prit Nibhajyo Ji
शरणागति साँवरा म्हारी प्रीत निभाज्यो जी थें छो सगला गुण रा सागर, म्हारा औगुण थे बिसराज्यो जी लोक न धीजै, मन न पतीजै, मुखड़े शब्द सुणाज्यो जी दासी थारी जनम-जनम री, म्हारै आँगण आज्यो जी ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, बेड़ो पार लगाज्यो जी
Van Te Aawat Shri Giridhari
वन से वापसी वनतैं आवत श्रीगिरिधारी सबहिं श्रवन दै सुनहु सहेली, बजी बाँसुरी प्यारी धेनु खुरनि की धुरि उड़त नभ, कोलाहल अति भारी गावत गीत ग्वाल सब मिलिकें, नाचत बीच बिहारी मलिन मुखी हम निशि सम नारी, बिनु हरि सदा दुखारी कृष्णचन्द्र ब्रजचन्द्र खिलें नभ, तब हम चन्द्र उजारी मिटै ताप संताप तबहिं जब, दृष्टि […]
Sakhi Lala Ke Mukh Pe Makkhan
माखन चोरी सखि लाला के मुँह पे मक्खन, मैंने जब लगा हुआ पाया भोलेपन से कुछ उत्तर दे, चित चुरा कन्हैया भाग गया जिनके घर अब तक नहीं पहुँचा, लाला मक्खन चोरी करने अति उत्कण्ठित वे गोपीजन, आ जाये वहीं उपकृत करने वास्तव में हर ग्वालिन का मन, अटका रहता है मोहन में वे उपालम्भ […]
He Sakhi Sun To Vrindawan Main
वृंदावन केलि हे सखि सुन तो वृन्दावन में, बंसी श्याम बजावत है सब साधु संत का दुख हरने, ब्रज में अवतार लिया हरि ने वो ग्वाल-बाल को संग में ले, यमुना-तट धेनु चरावत है सिर मोर-पंख का मुकुट धरे, मकराकृत कुण्डल कानों में वक्षःस्थल पे वनमाल धरे, कटि में पट पीत सुहावत है वृन्दावन में […]