Maiya Main Nahi Makhan Khayo
माखन चोरी मैया मैं नहिं माखन खायौ ख्याल परे ये सखा सबै मिलि, मेरे मुख लपटायौ देखि तुही सींके पर भाजन, ऊँचे धरि लटकायौ हौ जु कहत, नन्हें कर अपने, मैं कैसे करि पायौ मुख दधि पौंछि बुद्धि इक कीन्हीं, दोना पीठि दुरायौ डारि साट मुसकाई जसोदा, स्यामहिं कण्ठ लगायौ बाल विनोद मोद मन मोह्यो, […]
Re Man Krishna Nam Kah Lije
नाम स्मरण रेमन, कृष्ण-नाम कह लीजै गुरु के वचन अटल करि मानहु, साधु-समागम कीजै पढ़ियै-सुनियै भगति-भागवत, और कथा कहि लीजै कृष्ण-नाम बिनु जनम वृथा है, वृथा जनम कहाँ जीजै कृष्ण-नाम-रस बह्यौ जात है, तृषावन्त ह्वै पीजै ‘सूरदास’ हरि-सरन ताकियै, जनम सफल करि लीजै
Sut Mukh Dekhi Jasoda Phuli
यशोदा का स्नेह सुत-मुख देखि जसोदा फूली हरषित देखि दूध की दंतुली, प्रेम-मगन तन की सुधि भूली बाहिर तें तब नन्द बुलाए, देखौं धौ सुन्दर सुखदाई तनक-तनक-सी दूध दँतुलियाँ, देखौ, नैन सफल कारौं आई आनँद सहित महर तब आये, मुख चितवत दोउ नैन अघाई ‘सूर’ स्याम किलकत द्विज देखे, लगै कमल पे बिज्जु छाई
Hari Kilkat Jasumati Ki Kaniyan
माँ का स्नेह हरि किलकत जसुमति की कनियाँ मुख में तीनि लोक दिखराए, चकित भई नँद-रनियाँ घर-घर आशीर्वाद दिवावति, बाँधति गरै बँधनियाँ ‘सूर’ स्याम की अद्भुत लीला, नहिं जानत मुनि जनियाँ
Govind Kabahu Mile Piya Mera
विरह व्यथा गोविन्द कबहुँ मिले पिया मेरा चरण कँवल को हँस-हँस देखूँ, राखूँ नैणा नेरा निरखण को मोहि चाव घणेरो, कब देखूँ मुख तेरा व्याकुल प्राण धरत नहीं धीरज, तुम सो प्रेम घनेरा ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, ताप तपन बहुतेरा
Tera Koi Nahi Rokanhar
मग्न मीरा तेरा कोइ नहिं रोकनहार, मगन होय मीराँ चली लाज सरम कुल की मरजादा, सिर से दूर करी मानापमान दोऊ घर पटके, निकसी हूँ ज्ञान गली ऊँची अटरिया लाल किवड़िया, निरगुण सेज बिछी पचरंगी झालर सुभ सोहे, फूलन फूल कली बाजूबंद कठूला सोहे, माँग सिंदुर भरी पूजन थाल हाथ में लीन्हा, सोभा अधिक भली […]
Piya Bin Suno Che Ji Mharo Des
विरह व्यथा पिया बिन सूनो छे जी म्हारो देस ऐसो है कोई पिवकूँ मिलावै, तन मन करूँ सब पेस तुम्हरे कारण बन बन डोलूँ, कर जोगण रो भेस अवधि बीती अजहूँ न आये, पंडर हो गया केस ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, तज दियो नगर नरेस
Mai Ri Main To Liyo Govind Mol
अनमोल गोविंद माई री मैं तो लियो री गोविन्दो मोल कोई कहै छाने, कोई कहै चोरी, लियो री बजंताँ ढोल कोई कहै कारो, कोई कहै गोरो, लियो री अखियाँ खोल कोई कहै महँगो कोई कहै सस्तो, लियो री अमोलक मोल तन का गहणाँ सब ही दीना, दियो री बाजूबँद खोल ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, […]
Mhari Sudh Kripa Kar Lijo
शरणागति म्हारी सुध किरपा कर लीजो पल पल ऊभी पंथ निहारूँ, दरसण म्हाने दीजो मैं तो हूँ बहु ओगुणवाली, औगुण सब हर लीजो मैं दासी थारे चरण-कँवल की, मिल बिछड़न मत कीजो ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, हरि चरणाँ में लीजो
Swami Sab Sansar Ka Ji Sancha Shri Bhagwan
संसार के स्वामी स्वामी सब संसार का जी, साँचा श्री भगवान दान में महिमा थाँरी देखी, हुई हरि मैं हैरान दो मुठ्ठी चावल की फाँकी, दे दिया विभव महान भारत में अर्जुन के आगे, आप हुया रथवान ना कोई मारे, ना कोई मरतो, यो कोरो अज्ञान चेतन जीव तो अजर अमर है, गीताजी को ज्ञान […]