Yah Lila Sab Karat Kanhai

अन्नकूट यह लीला सब करत कन्हाई जेंमत है गोवर्धन के संग, इत राधा सों प्रीति लगाई इत गोपिनसों कहत जिमावो, उत आपुन जेंमत मन लाई आगे धरे छहों रस व्यंजन, चहुँ दिसि तें सोभा अधिकाई अंबर चढ़े देव गण देखत, जय ध्वनि करत सुमन बरखाई ‘सूर’ श्याम सबके सुखकारी, भक्त हेतु अवतार सदाई

Sabse Unchi Prem Sagai

प्रेम का नाता सबसे ऊँची प्रेम सगाई दुर्योधन को मेवा त्याग्यो, साग विदुर घर खाई जूठे फल सबरी के खाये, बहु विधि स्वाद बताई प्रेम के बस नृप सेवा कीन्हीं, आप बने हरि नाई राज सुयज्ञ युधिष्टिर कीन्हों, तामे झूठ उठाई प्रेम के बस पारथ रथ हांक्यो, भूलि गये ठकुराई ऐसी प्रीति बढ़ी वृन्दावन, गोपिन […]

Ham Bhaktan Ke Bhakta Hamare

भक्त के भगवान हम भक्तन के, भक्त हमारे सुन अर्जुन, परतिग्या मेरी, यह व्रत टरत न टारे भक्तै काज लाज हिय धरिकैं, पाय-पियादे धाऊँ जहँ-जहँ भीर परै भक्तन पै, तहँ-तहँ जाइ छुड़ाऊँ जो मम भक्त सों बैर करत है, सो निज बैरी मेरो देखि बिचारि, भक्तहित-कारन, हाँकत हौं रथ तेरो जीते जीत भक्त अपने की, […]

Karan Gati Tare Naahi Tare

कर्म-विपाक करम गति टारे नाहिं टरे सतवादी हरिचंद से राजा, नीच के नीर भरे पाँच पांडु अरु कुंती-द्रोपदी हाड़ हिमालै गरे जग्य कियो बलि लेण इंद्रासन, सो पाताल परे ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, विष से अमृत करे

Josida Ne Laakh Badhai

श्याम घर आये जोसीड़ा ने लाख बधाई, अब घर आये स्याम आज अधिक आनंद भयो है, जीव लहे सुखधाम पाँच सखी मिलि पीव परसि कै, आनँद आठूँ ठाम बिसरि गयो दुख निरखि पिया कूँ, सफल मनोरथ काम ‘मीराँ’ के सुखसागर स्वामी, भवन गवन कियो राम

Payo Ji Mhe To Ram Ratan Dhan Payo

हरि भक्ति पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो वास्तु अमोलक दी म्हाने सतगुरु, किरपा कर अपनायो जनम-जनम की पूँजी पाई, जग में सभी खोवायो खरच न हौवे, चोर न लेवै, दिन दिन बढ़त सवायो सत की नाव केवटिया सतगुरु, भव-सागर तर आयो ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, हरख हरख जस गायो

Bhaj Man Charan Kamal Avinasi

नश्वर संसार भज मन चरण-कमल अविनासी जे तई दीसे धरण गगन बिच, ते तई सब उठ जासी कहा भयो तीरथ व्रत कीन्हें, कहा लिए करवत कासी या देही को गरब न करियो, माटी में मिल जासी यो संसार चहर की बाजी, साँझ पड्या उठ जासी कहा भयो भगवाँ का पहर्या, घर तज के सन्यासी जोगी […]

Main To Sanware Ke Rang Rachi

प्रगाढ़ प्रीति मैं तो साँवरे के रँग राची साजि सिंगार बाँधि पग घुँघरू, लोक-लाज तजि नाची गई कुमति लई साधु की संगति, स्याम प्रीत जग साँची गाय गाय हरि के गुण निस दिन, काल-ब्याल सूँ बाँची स्याम बिना जग खारो लागत, और बात सब काँची ‘मीराँ’ गिरिधर-नटनागर वर, भगति रसीली जाँची

Sakhi Mharo Kanho Kaleje Ki Kor

प्राणनाथ कन्हैया सखी म्हारो कान्हो कलेजे की कोर मोर मुकुट पीतांबर सोहे, कुण्डल की झकझोर वृंदावन की कुञ्ज-गलिन में, नाचत नंदकिशोर ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, चरण-कँवल चितचोर

Nand Ghar Aaj Bhayo Anand

श्री कृष्ण प्राकट्य नन्द घर आज भयो आनन्द मातु यशोदा लाला जायो, ज्यों पूनों ने चन्द गोपी गोप गाय गायक-गन, सब हिय सरसिज वृन्द नन्दनँदन रवि उदित भये हिय, विकसे पंकज वृन्द वसुधा मुदित समीर बहत वर, शीतल मन्द सुगन्ध गरजत मन्द मन्द घन नभ महँ, प्रकटे आनँद कन्द माया बन्धु सिन्धु सब सुख के, […]