Main To Mohan Rup Lubhani

रूप लुभानी मैं तो मोहन रूप लुभानी सुंदर वदन कमल-दल लोचन, चितवन की मुसकानी जमना के नीर तीरे धेनु चरावै, मुरली मधुर सुहानी तन मन धन गिरिधर पर वारूँ, ‘मीराँ’ पग लपटानी

Sakhi Meri Nind Nasani Ho

विरह व्यथा सखी, मेरी नींद नसानी हो पिव को पंथ निहारत सिगरी, रैण बिहानी हो सखियन मिल कर सीख दई मन, एक न मानी हो बिन देख्याँ कल नाहिं पड़त, जिय ऐसी ठानी हो अंग-अंग व्याकुल भये मुख ते, पिय पिय बानी हो अंतर-व्यथा विरह की कोई, पीर न जानी हो चातक जैहि विधि रटे […]

Dhuri Dhusrit Nil Kutil Kach Kare Kare

अन्तर्धान लीला धुरि धूसरित नील कुटिल कच, कारे कारे मुखपै बिथुरे मधुर लगें, मनकूँ अति प्यारे झोटा खात बुलाक, मोर को मुकुट मनोहर ऐसो वेष बनाइ जाउ जब, बन तुम गिरिधर तब पल-पल युग-युग सरिस, बीतत बिनु देखे तुम्हें अब निशिमहँ बन छाँड़ि तुम, छिपे छबीले छलि हमें

Madhav Mera Moh Mita Do

मोह मिटा दो माधव! मेरा मोह मिटा दो किया इसी ने विलग आप से, इसको नाथ हटा दो जल तरंगवत भेद न तुमसे, इसने भेद कराया इसही ने कुछ दूर-दूर रख, भव-वन में भटकाया यही मोह माया है जिसने, तुमसे विरह कराया जिसका मोह मिटा वह तुमसे निस्संदेह मिल पाया

Udho Vo Sanwari Chavi Ne

विरथ व्यथा उधो वो साँवरी छवि ने, हमारा दिल चुराया है बजाकर बाँसुरी मीठी, सुनाकर गीत गोविन्द ने रचाकर रास कुंजन में, प्रेम हमको लगाया है छोड़ कर के हमें रोती, बसे वो मधुपुरी जाकर खबर भी ली नहीं फिर के, हमें दिल से भुलाया है हमारा हाल जाकर के, सुनाना श्यामसुन्दर को वो ‘ब्रह्मानन्द’ […]

Aaj Braj Main Chayo Anand

श्रीकृष्ण प्राकट्य आज व्रज में छायो आनन्द नंद महर घर ढोटा आयो, पूरण परमानंद विविध भाँति बाजे बाजत हैं, वेद पढ़त द्विज-वृंद छिरकत दूध दही घृत माखन, मोहन-मुख अरविन्द देत दान ब्रजराज मगन मन, फूलत नाहिं समाय देते असीस सबहिं जन ब्रज के, बार-बार बलि जाय

Chalo Man Kalindi Ke Tir

कालिंदी कूल चलो मन कालिन्दी के तीर दरशन मिले श्यामसुन्दर को, हरे हिये की पीर तरु कदम्ब के नीचे ठाड़े, कूजत कोयल कीर अधर धरे मुरली नट-नागर, ग्वाल बाल की भीर मोर-मुकुट बैजंती माला, श्रवणन् लटकत हीर मन्द मन्द मुस्कान मनोहर, कटि सुनहरो चीर रास विलास करे मनमोहन, मन्थर बहे समीर शोभित है श्री राधा-माधव, […]

Ja Rahe Pran Dhan Mathura Ko

मथुरा प्रवास जा रहे प्राणधन मथुरा को राधा रानी हो रही व्यथित, सूझे कुछ भी नहीं उनको अंग अंग हो रहे शिथिल, और नीर भरा नयनों में आर्त देख राधा को प्रियतम, स्वयं दुःखी है मन में प्रिया और प्यारे दोनों की, व्याकुल स्थिति ऐसी दिव्य प्रेम रस की यह महिमा, उपमा कहीं न वैसी […]

Nand Grah Bajat Aaj Badhai

श्रीकृष्ण प्राकट्य नंद गृह बाजत आज बधाई जुट गई भीर तभी आँगन में, जन्मे कुँवर कन्हाई दान मान विप्रन को दीनो, सबकी लेत असीस पुष्प वृष्टि सब करें, देवगण जो करोड़ तैंतीस व्रज-सुंदरियाँ सजी धजी, कर शोभित कंचन थाल ‘परमानंद’ प्रभु चिर जियो, गावत गीत रसाल  

Prabhu Ki Kaisi Sundar Riti

करुणामय प्रभु प्रभु की कैसी सुन्दर रीति विरुद निभाने के कारण ही पापीजन से प्रीति गई मारने बालकृष्ण को, स्तन पे जहर लगाया उसी पूतना को शुभगति दी, श्लाघनीय फल पाया सुने दुर्वचन शिशुपाल के, द्वेषयुक्त जो मन था लीन किया उसको अपने में, अनुग्रह तभी किया था हरि चरणों में मूर्ख व्याध ने, भूल […]