Nand Dwar Ek Jogi Aayo Singi Nad Bajayo

शिव द्वारा दर्शन नंद द्वार इक जोगी आयो सिंगी नाद बजायो सीस जता ससि बदन सोहायो, अरुन नयन छबि छायो रोवत खीजत कृष्ण साँवरो, रहत नहीं हुलरायो लियो उठाय गोद नँदरानी, द्वारे जाय दिखायो अलख अलख करि लियो गोद में, चरन चूमि उर लायो श्रवण लाग कछु मंत्र सुनायो, हँसि बालक किलकायो चिर-जीवौ सुत महरि […]

Biharat Ras Rang Gopal

रास लीला बिहरत रास रंग गोपाल नवल स्यामहि संग सोभित, नवल सब ब्रजबाल सरद निसि अति नवल उज्जवल, नव लता बन धाम परम निर्मल पुलिन जमुना, कलपतरु विश्राम कोस द्वादस रास परिमिति, रच्यो नंदकुमार ‘सूर’ प्रभु सुख दियो निसि रमि, काम कौतुक हार

Main To Ta Din Kajara Dehon

श्री कृष्ण से प्रीति मैं तो ता दिन कजरा दैहौं जा दिन नंदनँदन के नैननि, अपने नैन मिलैहौं सुन री सखी, यही जिय मेरे, भूलि न और चितैहौं अब हठ ‘सूर’ यहै व्रत मेरौ विष खाकरि मरि जैहौ

Yadyapi Man Samujhawat Log

विरह व्यथा यद्यपि मन समुझावत लोग सूल होत नवनीत देखि कै, मोहन के मुख जोग प्रात-समय ही माखन रोटी, को बिन माँगे दैहे को मेरे बालक कुँवर कान्ह को, छन छन गोदी लैहे कहियौ जाय पथिक घर आवैं, राम स्याम दौउ भैया ‘सूर’ वहाँ कत होत दुखारी, जिनके मो सी मैया

Sab Din Gaye Vishay Ke Het

विस्मरण सब दिन गये विषय के हेत तीनों पन ऐसे ही बीते, केस भये सिर सेत रूँधी साँस, मुख बैन न आवत चन्द्र ग्रसहि जिमि केत तजि गंगोदक पियत कूप जल, हरि तजि पूजत प्रेत करि प्रमाद गोविंद, बिसार्यौ, बूड्यों कुटुँब समेत ‘सूरदास’ कछु खरच न लागत, रामनाम सुख लेत

Ham Na Bhai Vrindawan Renu

वृन्दावन हम न भईं वृंदावन-रेनु जिनपे चरनन डोलत नित प्रति, श्याम चरावैं धेनु हमतें धन्य परम ये द्रुम-बन, बाल बच्छ अरु धेनु ‘सूर’ ग्वाल हँसि बोलत खेलत, संग ही पीवत धेनु

Aeri Main To Darad Diwani

विरह व्यथा ऐरी मैं तो दरद दिवानी, मेरो दरद न जाने कोय घायल की गति घायल जाने, जो कोई घायल होय जोहरी की गति जोहरी जाने, जो कोई जोहरी होय सूली ऊपर सेज हमारी, सोवण किस विध होय गगन मँडल पर सेज पिया की, किस विध मिलणा होय दरद की मारी बन-बन डोलूँ, वैद मिल्यो […]

Jo Tum Todo Piya Main Nahi Todu Re

अटूट प्रीति जो तुम तोड़ो पिया, मैं नाहीं तोड़ूँ तोरी प्रीत तोड़ के मोहन, कौन संग जोड़ूँ तुम भये तरुवर मैं भई पँखियाँ, तुम भये सरवर मैं भई मछियाँ तुम भये गिरिवर मैं भई चारा, तुम भये चन्दा, मैं भई चकोरा तुम भये मोती प्रभु, मैं भई धागा, तुम भये सोना, मैं भई सुहागा ‘मीराँ’ […]

Patiyan Main Kaise Likhu Likhi Hi Na Jay

विरह व्यथा पतियाँ मैं कैसे लिखूँ, लिखि ही न जाई कलम धरत मेरो कर कंपत है, हियड़ो रह्यो घबराई बात कहूँ पर कहत न आवै, नैना रहे झर्राई किस बिधि चरण कमल मैं गहिहौं, सबहि अंग थर्राई ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, बेगि मिल्यो अब आई

Braj Main Kanha Dhum Machai

होली ब्रज में कान्हा धूम मचाई, ऐसी होरी रमाई इतते आई सुघड़ राधिका, उतते कुँवर कन्हाई हिलमिल के दोऊ फाग रमत है, सब सखियाँ ललचाई, मिलकर सोर मचाई राधेजी सैन दई सखियन के, झुंड-झुंड झट आई रपट झपट कर श्याम सुन्दर कूँ, बैयाँ पकड़ ले जाई, लालजी ने नाच नचाई मुरली पीताम्बर छीन लियो है, […]