Nirmal Vivek Ho Ant Samay

गजेन्द्र स्तुति निर्मल विवेक हो अन्त समय गजेन्द्र-मोक्ष स्तवन करे, नित ब्रह्म मुहूर्त में हो तन्मय अद्भुत स्तुति नारायण की, जो गजेन्द्र द्वारा सुलभ हमें हो अन्त समय में जैसी मति, वैसी ही गति हो प्राप्त हमें पापों, विघ्नों का शमन करें, स्तुति श्रेय यश को देती निष्काम भाव अरू श्रद्धा से, हम करें कष्ट […]

Prabhu Ki Satta Hai Kahan Nahi

सर्व शक्तिमान् प्रभु की सत्ता है कहाँ नहीं घट घट वासी, जड़ चेतन में, वे सर्व रूप हैं सत्य सही प्रतिक्षण संसार बदलता है, फिर भी उसमें जो रम जाये जो नित्य प्राप्त परमात्म तत्व, उसका अनुभव नहीं हो पाये स्थित तो प्रभु हैं कहाँ नहीं, पर आवृत बुद्धि हमारी है मन, बुद्धि, इन्द्रियों से […]

Prabho Vah Kab Din Aayega

प्रतीक्षा प्रभो, वह कब दिन आयेगा होगा जब रोमांच, हृदय गद्गद् हो जायेगा कृष्ण कृष्ण उच्चारण होगा, प्रेमाश्रु नयनों में विस्मृत होगी सारी दुनिया, मग्न पाद-पद्मों में रूप-माधुरी पान करूँगा, बिठलाऊँ हृदय में मिट जायेगा तमस् अन्ततः, लीन होउ भक्ति में  

Man Main Shubh Sankalp Ho

अभिलाषा मन में शुम संकल्प हों, शुरू करूँ जब काम सर्वप्रथम सुमिरन करूँ, नारायण का नाम मनोवृत्ति वश में रहे, कार्यसिद्धि को पाय ऋद्धि-सिद्धि गणपति सहित, पूजूँ विघ्न न आय नहीं चाहिये जगत् या राज्य स्वर्ग सुख-भोग प्राणिमात्र का दुख हरूँ, सुखी रहें सब लोग सभी रोग से रहित हों, सबका हो कल्याण दीन दुखी […]

Ladili Surang Palne Jhule

झूला लाड़िली सुरंग पालने झूले कीरति रानी सुलावै, गावै, हर्षित अति मन फूले भाँति भाँति के लिये खिलौना, प्रमुदित गोद खिलावे देखि देखि मुसकाति सलोनी द्वैदंतुलि दरसावे शोभा की सागर श्री राधा, उमा रमा रति वारी तिहि छन की शोभा कछु-न्यारी, विधि निज हाथ सँवारी  यशोदा का सुखलाल को पलना मात पौढ़ाये स्नान करा झँगुला […]

Sandesha Shyam Ka Le Kar

गोपियों का वियोग संदेशा, श्याम का लेकर, उधोजी ब्रज में आये हैं कहा है श्यामसुन्दर ने गोपियों दूर मैं नहीं हूँ सभी में आत्मवत् हूँ मैं, चेतना मैं ही सबकी हूँ निरन्तर ध्यान हो मेरा, रखो मन पास में मेरे वृत्तियों से रहित होकर, रहोगी तुम निकट मेरे गोपियों ने कहा ऊधो, सिखाते योग विद्या […]

Ja Din Man Panchi Udi Jehain

देह का गर्व जा दिन मन पंछी उड़ि जैहैं ता दिन तेरे तन तरुवर के, सबै पात झरि जैहैं या देही की गरब न करियै, स्यार, काग, गिध खैहैं ‘सूरदास’ भगवंत भजन बिनु, वृथा सु जनम गँवैंहैं

Jiwan Ko Vyartha Ganwaya Hai

चेतावनी जीवन को व्यर्थ गँवाया है मिथ्या माया जाल जगत में, फिर भी क्यों भरमाया है मारी चोंच तो रुई उड़ गई, मन में तूँ पछताया है यह मन बसी मूर्खता कैसी, मोह जाल मन भाया है कहे ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, मनुज जन्म जो पाया है

Main Kase Kahun Koi Mane Nahi

पाप कर्म मैं कासे कहूँ कोई माने नहीं बिन हरि नाम जनम है विरथा, शास्त्र पुराण कही पशु को मार यज्ञ में होमे, निज स्वारथ सब ही इक दिन आय अचानक तुमसे, ले बदला ये ही पाप कर्म कर सुख को चाहे, ये कैसे निबहीं कहे ‘कबीर’ कहूँ मैं जो कछु, मानो ठीक वही

Bana Do Vimal Buddhi Bhagwan

विमल बुद्धिबना दो विमल बुद्धि भगवान् तर्कजाल सारा ही हर लो, हरो द्वेष अभिमान हरो मोह, माया, ममता, मद, मत्सर, अपना जान कलुष काम-मति, कुमति हरो हरि, हरो त्वरित अज्ञान दम्भ, दोष, दुर्नीति हरण कर, करो सरलता दान भरदो हृदय भक्ति-श्रद्धा से, करो प्रेम का दान