Satyam Shivam Sundaram

सत्यं शिवं सुन्दरम् सत्यं शिवं सुन्दरम् ही तो श्री हरि का रूप है सुख शांति का यह सार है, अकल्पनीय अनूप है जीवन मे सत्य विचार हो, व्यवहार वाणी शुद्ध हो उत्तम यही तो मार्ग है अन्तःकरण भी शुद्ध हो शिव-भाव से तात्पर्य है, कल्याणमय जीवन रहे सारे अमंगल दूर हों, मालिन्य को न जरा […]

Ab Tum Kab Simaroge Ram

हरिनाम स्मरण अब तुम कब सुमरो गे राम, जिवड़ा दो दिन का मेहमान गरभापन में हाथ जुड़ाया, निकल हुआ बेइमान बालापन तो खेल गुमाया, तरूनापन में काम बूढ़ेपन में काँपन लागा, निकल गया अरमान झूठी काया झूठी माया, आखिर मौत निदान कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, क्यों करता अभिमान

Bhajo Re Bhaiya Ram Govind Hari

हरि कीर्तन भजो रे भैया राम गोविन्द हरी जप तप साधन कछु नहिं लागत, खरचत नहिं गठरी संतति संपति सुख के कारण, जासे भूल परी कहत ‘कबीर’ राम नहिं जा मुख, ता मुख धुल भरी

Tum Bin Jiwan Bhar Bhayo

शरणागति तुम बिन जीवन भार भयो! कब लगि भटकाओगे प्रीतम, हिम्मत हार गयो कहाँ करों अब सह्यो जात नहिं, अब लौ बहुत सह्यो अपनो सब पुरुषारथ थाक्यों, तव पद सरन गह्यो सरनागत की पत राखत हो, सब कोऊ यही कह्यो करुणानिधि करुणा करियो मोहि, मन विश्वास भयो  

Satsang Kare Jo Jivan Main

शिव स्तवन सत्संग करे जो जीवन में, हो जाये बेड़ा पार काशी जाये मधुरा जाये, चाहे न्हाय हरिद्वार चार धाम यात्रा कर आये, मन में रहा विकार बिन सत्संग ज्ञान नहीं उपजे, हो चाहे यत्न हजार ‘ब्रह्मानंद’ मिले जो सदगुरु, हो अवश्य उद्धार

Ichchaaon Ka Parityag Karo

प्रबोधन इच्छाओं का परित्याग करो कर्त्तव्य करो, निष्काम रहो एवम् सेवा का कार्य करो जो कुछ भी प्रभु से मिला हमें,वह करें समर्पित उनको ही संकल्प जो कि हम करें जभी संयमित जपें प्रभु को ही मन को मत खाली रहने दो, वरना प्रपंच घुस जायेगा इसलिये सदा शुभ कर्म करो, दुर्भाव न मन में […]

Kya Yagya Ka Uddeshya Ho

यज्ञ क्या यज्ञ का उद्देश्य हो दम्भ अथवा अहं हो नहीं, शुद्ध सेवा भाव हो हो समर्पण भावना, अरु विश्व का कल्याण हो इन्द्रिय-संयम भी रहे, अवशिष्ट भोगे यज्ञ में शाकल्य का मंत्रों सहित, हो हवन वैदिक यज्ञ में संयम रूपी अग्नि में, इन्द्रिय-सुखों का हवन हो अध्यात्म की दृष्टि से केवल, शास्त्र का स्वाध्याय […]

Jab Haar Kisi Ke Hath Nahi

समदृष्टि जय हार किसी के हाथ नहीं जब विजय प्राप्त हो अपने को, ले श्रेय स्वयं यह ठीक नहीं हम तो केवल कठपुतली हैं, सब कुछ ही तो प्रभु के वश में है जीत उन्हीं के हाथों में और हार भी उनके हाथों में जब मिलें पराजय अपयश हो, पुरुषार्थ हमारा जाय कहाँ हो हार […]

Jo Vishva Vandya Karuna Sagar

स्तुति जो विश्वबंद्य करुणासागर मैं शरण उन्हीं की जाता हूँ शरणागत पालक विश्वरूप, मैं प्रभु का वंदन करता हूँ जिनके प्रविष्ट कर जाने परे, जड़ भी चेतन हो जाते हैं जो कारण कार्य पर सबके, मेरे अवलम्बन वे ही है ऋषि मुनि देवता भी जिनका कैसा स्वरूप न जान सके फिर तो साधारण जीव भला, […]

Dharti Mata Ye Samjhaye

निर्वेद धरती माता यह समझाये जिसको तू अपना है कहता, कुछ भी साथ न जाए मुझको पाने को ही प्यारे तुम, आपस में क्यों लड़ते खोया विवेक जो मिला प्रभु से मिल जुल क्यों नहीं रहते जो महाराजा सम्राट समझते, पृथ्वीपति अपने को हुए मृत्यु के ग्रास अन्त में, अहंकार था जिनको खोद-खोद मुझको जिसने […]