Pahchan Le Prabhu Ko

परब्रह्म पहचान ले प्रभु को, घट घट में जो है बसते झूठे सभी है सारे, संसार के जो रिश्ते जड़ हो कि या हो चेतन, सबमें वही तो बसते प्रच्छन्न वे नहीं हैं, फिर भी न हमको दिखते कस्तूरी नाभि में पर, मृग खोजता है वन में सबके वही प्रकाशक, तूँ देख उनको मन में […]

Prabhu Ne Hamko Manuj Banaya

कर्मठता प्रभु ने हमको मनुज बनाया प्रभु का नाम हृदय में रख कर, कर्म करो तन मन से प्यारे निश्चित ही फल प्राप्त करोगे, कभी नहीं हिम्मत को हारें आलस या प्रमाद में खोयें, कभी नहीं अनमोल समय को बीत गया, कल लौट न आये, नहीं दोष दो व्यर्थ भाग्य को करे सदा सत्कर्म व्यक्ति […]

Prathvi Par Atyacharon Ka

प्रभु प्राकट्य पृथ्वी पर अत्याचारों का, है लग जाता अम्बार जभी मंगलमय जो है परब्रह्म, विष्णु लेते अवतार तभी पुरुषोत्तम श्रीमन् नारायण, हैं परमानन्द स्वरूप आप स्थापित करते पुनः धर्म, साधु सन्तों का हरें ताप कछुवा, वराह, हयग्रीव, मत्स्य का रूप धरे वे ही आते संहार करें वे असुरों का, पृथ्वी का भार वही हरते […]

Mila Hai Janma Manav Ka

प्रबोधन मिला है जन्म मानव का, गँवाया किन्तु यौवन को साथ में कुछ न जायेगा, चेत जा, याद कर प्रभु को अभी से आत्मचिंतन हो, पढ़ो तुम नित्य गीता को निदिध्यासन मनन भी हो, छुड़ा दे मोह माया को साधना के अनेकों पंथ भी, निर्गुण सगुण कोई श्रेष्ठ पर ज्ञान ही का मार्ग, दिखा सकते […]

Vipada Mangu Main Giridhari

विपदा की चाह विपदा माँगू मैं गिरिधारी कुन्ती देवी कहे आपने, कई आपदा टारी शत-शत करूँ प्रणाम अकिंचन, हूँ अबोध मैं नारी लाक्षा-गृह अग्नि, हिडिम्ब से रक्षा की असुरारी दुर्वासा भोजन को आये तब भी विपद् निवारी तृप्त किया उनको विश्वम्भर, बची द्रोपदी प्यारी दुष्ट दुशासन ने खीचीं थी, पुत्र-वधू की सारी लियो वस्त्र अवतार, […]

Sakhi Ye Badbhagi Hai Mor

बड़भागी नंद यशोदा सखी! ये बड़भागी हैं मोर जेहि पंखन को मुकुट बन्यो है धर लियो नंद किशोर बड़ भागी अति नंद यशोदा, पुण्य किये भर जोर शिव विरंचि नारद मुनि ज्ञानी, ठाड़े हैं कर जोर ‘परमानन्द’ दास को ठाकुर, गोपियन के चितचोर  

Prabhu More Avgun Chit N Dharo

समदर्शी प्रभु प्रभु मोरे अवगुण चित्त न धरो समदर्शी है नाम तिहारो, चाहो तो पार करो इक लोहा पूजा में राखत, इक घर बधिक परो यह द्विविधा पारस नहिं जानत, कंचन करत खरो इक नदिया इक नार कहावत, मैलो ही नीर भरो जब मिलि के दोउ एक वरण भए, सुरसरि नाम परो एक जीव, एक […]

Deh Dhara Koi Subhi Na Dekha

दुःखी दुनिया देह धरा कोई सुखी न देखा, जो देखा सो दुखिया रे घाट घाट पे सब जग दुखिया, क्या गेही वैरागी रे साँच कहूँ तो कोई न माने, झूट कह्यो नहिं जाई रे आसा तृष्णा सब घट व्यापे, कोई न इनसे सूना रे कहत ‘कबीर’ सभी जग दुखिया, साधु सुखी मन जीता रे

Ham To Ek Hi Kar Ke Mana

आत्म ज्ञान हम तो एक ही कर के माना दोऊ कहै ताके दुविधा है, जिन हरि नाम न जाना एक ही पवन एक ही पानी, आतम सब में समाना एक माटी के लाख घड़े है, एक ही तत्व बखाना माया देख के व्यर्थ भुलाना, काहे करे अभिमाना कहे ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, हम हरि हाथ […]

Prabhu Tera Paar Na Paya

शरणागत प्रभु तेरा पार न पाया तूँ सर्वज्ञ चराचर सब में, तू चैतन्य समाया प्राणी-मात्र के तन में किस विधि, तू ही तो है छाया जीव कहाँ से आये जाये, कोई समझ न पाया सूर्य चन्द्रमा तारे सब में, ज्योति रूप चमकाया यह सृष्टि कैसी विचित्र है, उसमें मैं भरमाया ‘ब्रह्मानंद’ शरण में तेरी, छोड़ […]