Naitik Aachar Ho Jivan Main

मर्यादा नैतिक आचार हो जीवन में सम्माननीय वह व्यक्ति जो मर्यादित जीवन ही जीये सार्थक जीना तो उसका ही परहित के जिसने कार्य किये हमको शरीर जो प्राप्त हुआ, वरदान प्रभु से मिला यही पालन हो सत्य अहिंसा का, हरि नाम स्मरण आवश्यक ही जहाँ प्राणिमात्र प्रति प्रेम रहे, है धन्य धन्य व्यक्ति ऐसा भोगों […]

Prabhu Ji Tum Bhakton Ke Hitkari

भक्त-वत्सल भगवान प्रभुजी तुम भक्तों के हितकारी हिरणाकश्यप ने भक्त प्रहलाद को कष्ट दिया जब भारी नरसिंह रूप लिये प्रभु प्रकटें, भक्तों के रखवारी जभी ग्राह ने पकड़ा गज को, आया शरण तुम्हारी सुन गुहार के मुक्त किया गज, भारी विपदा टारी दुष्ट दुःशासन खींच रहा था, द्रुपद-सुता की साड़ी दौड़े आये लाज बचाई, हे […]

Prarabhda Mita Nahi Koi Sake

अमिट प्रारब्ध प्रारब्ध मिटा कोई न सके अपमान अयश या जीत हार, भाग्यानुसार निश्चित आते व्यापारिक घाटा, रोग मृत्यु, इनको हम रोक नहीं पाते विपरीत परिस्थिति आने पर, सत्संग, भजन हो शांति रहे चित में विक्षेप नहीं आये, दृढ़ता व धैर्य से विपद् सहे सुख-दुख तो आते जाते हैं, उनके प्रति समता हो मन में […]

Manavka Tan Jinse Paya

भक्ति-भाव मानव का तन जिनसे पाया, उन राम कृष्ण की भक्ति हो आसक्ति त्याग कर दुनिया की, करुणानिधि में अनुरक्ति हो श्रीरामचरितमानस हमको, भक्ति की समुचित शिक्षा दे नवधा भक्ति के जो प्रकार, अनुगमन करें प्रभु शक्ति दे सत्संग तथा हरिकथा सुने, गुरुसेवा प्रभु गुणगान करें हो आस्था प्रभु का मंत्र जपें, इन्द्रिय -निग्रह, सत्कर्म […]

Van Main Ruchir Vihar Kiyo

वन विहार वन में रुचिर विहार कियो शारदीय पूनम वृन्दावन, अद्भुत रूप लियो धरी अधर पे मुरली मोहन स्वर लहरी गुंजाई ब्रज बालाएँ झटपट दौड़ी, सुधबुध भी बिसराई छलिया कृष्ण कहे सखियों को, अनुचित निशि में आना लोक लाज मर्यादा हेतु, योग्य पुनः घर जाना अनुनय विनय करें यों बोली, ‘तुम सर्वस्व हमारे’ ‘पति-पुत्र घर […]

Sakhi Ye Naina Bahut Bure

प्रीति माधुर्य सखि, ये नैना बहुत बुरे तब सौं भये पराये हरि सो, जबलौं जाई जुरे मोहन के रस बस ह्वै डोलत, जाये न तनिक दुरे मेरी सीख प्रीति सब छाँड़ी, ऐसे ये निगुरे खीझ्यौ बरज्यौ पर ये नाहीं, हठ सो तनिक मुरे सुधा भरे देखत कमलन से, विष के बुझे छुरे  

Prabhu Tero Vachanbharoso Sancho

भक्त-वत्सलता प्रभु तेरो वचन भरोसो साँचो पोषन भरन विसंभर स्वामी, जो कलपै सो काँचौ जब गजराज ग्राह सौं अटक्यौ, बली बहुत दुख पायौ नाम लेट ताही छन हरिजू, गरुड़हि छाँड़ि छुड़ायौ दुःशासन जब गही द्रौपदी, तब तिहिं वसन बढ़ायौ ‘सूरदास’ प्रभु भक्त बछल हैं, चरन सरन हौं आयौ

Tune Hira So Janam Gawayo

भजन महिमा तूँने हीरा सो जनम गँवायो, भजन बिना बावरे ना संता के शरणे आयो, ना तूँ हरि गुण गायो पचि पचि मर्यो बैल की नाईं, सोय रह्यो उठ खायो यो संसार हात बनियों की, सब जग सौदे आयो चतुर तो माल चौगुना कीना, मूरख मूल गवाँयो यो संसार माया को लोभी, ममता महल चितायो […]

Ram Bhaja So Hi Jag Main Jita

भजन महिमा राम भजा सोहि जग में जीता हाथ सुमिरनी, बगल कतरनी, पढ़े भागवत गीता हृदय शुद्ध कीन्हों नहीं तेने, बातों में दिन बीता ज्ञान देव की पूजा कीन्ही, हरि सो किया न प्रीता धन यौवन तो यूँ ही जायगा, अंत समय में रीता कहे ‘कबीर’ काल यों मारे, जैसे हरिण को चीता

Nam Liya Prabhu Ka Jisane

सदुपदेश नाम लिया प्रभु का जिसने चाहे साधन और किया न किया जड़ चेतन जग में भी जितने, घट में सम इनको जान सदा परमारथ का नित कार्य किया, चाहे दान किसी को दिया न दिया जिसके घर में हरि चर्चा हो, दिन रात छोड़ दुनियादारी सत्संग कथामृत पान किया, चाहे तीर्थ का नीर पिया […]