Chal Rahe Bakaiyan Manmohan

बालकृष्ण चल रहे बकैयाँ मनमोहन, सन गये धूल में जो सोहन जब नहीं दिखी मैया उनको किलकारी मारे बार बार माँ निकट रसोईघर में थी, गोदी में लेकर किया प्यार आँचल से अंगों को पोछा और दूध पिलाने लगी उन्हें क्षीरोदधि में जो शयन करें, विश्वम्भर कहते शास्त्र जिन्हें

Chaitanya Swarup Hi Atma Hai

आत्मानुभूति चैतन्य स्वरूप ही आत्मा है यह शुद्ध देह का शासक है, अन्तःस्थित वही शाश्वत है आत्मा शरीर को मान लिया, मिथ्या-विचार अज्ञान यही यह देह मांसमय अपवित्र और नाशवान यह ज्ञान सही है इच्छाओं का तो अन्त नहीं, मन में जिनका होता निवास मृग-तृष्णा के ही तो सदृश, मानव आखिर होता निराश यह राग […]

Jay Jayati Maruti Vir

श्री हनुमान स्तवनजय जयति मारुति वीर जय शंकर सुवन हनुमान जय असीम बल के धाम हो, कलि कुमति का हरते हो भय उद्धार दीनों का किया, निर्बल जनों को बल दिया तेरी शरण में जो गया, भव-ताप से वह बच गया तुम शक्ति के आधार हो, बल ज्ञान के आकार हो तुम राम के वर […]

Jo Karna Ho Karlo Aaj Hi

वर्तमान जो करना हो कर लो आज ही अनुकूल समय का मत सोचो, मृत्यु का कुछ भी पता नहीं चाहे भजन ध्यान या धर्म कार्य, इनमें विलम्ब हम नहीं करें सत्कार्य जो सोचा हो मन में, कार्यान्वित वह तत्काल करे वैभव नहिं शाश्वत, तन अनित्य, शुभ कर्मों में मन लगा रहे कल करना हो वह […]

Tan Man Pe Manhar Ne Rang Diyo Dar

होली तन मन पे मनहर ने रंग दियो डार गात सखी पल भर में मेरा भिगोया, चीर दियो फार पीछे से छुपके आये और लियो प्यार मैं क्या से क्या हो गई, वो कुछ न सकी जान नैनो में नैन डाल, लूट लियो प्रान होली फिर गाने लगा, हृदय का तार हाथों में रंग रहा, […]

Thali Bhar Kar Lai Main Khicado

नैवेद्य अर्पण थाली भरकर लाई मैं खीचड़ो, ऊपर घी की वाटकी जीमो म्हारा कृष्ण कन्हाई, जिमावै बेटी जाट की बापू म्हारो गाँव गयो है, न जाणे कद आवेगो बाट देख बैठ्या रहणे से, भूखो ही रह जावेगो आज जिमाऊँ थने खीचड़ो, काल राबड़ी छाछ की जीमो म्हारा कृष्ण कन्हाई, जिमावें बेटी जाट की बार-बार पड़दो […]

Dhanya Dhanya Vrindavan Dham

वृन्दावान महिमा धन्य धन्य वृन्दावान धाम राधा के संग क्रीड़ा करते जहाँ नित्य घनश्याम ग्वाल-सखा सँग यमुना तट पे, तरु कदंब की छैंया मुरली मधुर बजाये मोहन, और चराये गैंया इसका जो भी ध्यान लगाये, हर्ष न हृदय समाये छटा वर्णनातीत लाल की, कोई पार न पाये वृन्दावन की पावन रज का, सादर तिलक लगाये […]

Nishkam Karma Se Shanti Mile

निष्काम कर्म निष्काम कर्म से शान्ति मिले जीवन में चाहों के कारण, केवल अशांति मन छायेगी सुख शांति सुलभ निश्चित, संतृप्ति भाव मन में होगी सम्मान प्राप्ति का भाव रहे, तो कुण्ठाएँ पैदा होगी संयम बरते इच्छाओं पर, मन में न निराशा तब होगी स्वाभाविक जो भी कर्म करें, फल की इच्छा न रखें मन […]

Pragati Nagari Rup Nidhan

श्री राधा प्राकट्य प्रगटी नागरि रूप-निधान निरख निरख सब कहे परस्पर, नहिं त्रिभुवन में आन कृष्ण-प्रिया का रूप अद्वितीय, विधि शिव करे बखान उपमा कहि कहि कवि सब हारे, कोटि कोटि रति-खान ‘कुंभनदास’ लाल गिरधर की, जोरी सहज समान  

Prabhu Ke Adbhut Karma Kiya

पृथ्वी का उद्धार प्रभु ने अद्भुत कर्म किया करुणा-निधि श्री हरि तुमने, जो शूकर रूप लिया ऊँच नीच का भेद जीव में, यह भम्र दूर किया यज्ञ रूप हो तुम्हीं शास्त्र में, यह स्पष्ट किया पृथ्वी जल से बाहर लाये, जनहित कार्य किया