Pragati Anup Rup Vrashbhanu

श्री राधा प्राकट्य प्रगटी अनूप रूप, वृषभानु की दुलारी राधा शुचि मधुर-मधुर, कीर्तिदा-कुमारी चंद्र-वदन रूप सौम्य, दोऊ कर-कमल मधुर विशद नयन-कमल मधुर, आनँद विस्तारी अरुन चरन-पद्म सदृश, भौंह मधुर भाव मधुर अधरनि मुसकान मधुर, सरवस बलिहारी आए तहँ दरसन हित, शिव, ऋषि व्रतधारी रासेश्वरि श्री राधा के, कान्हा की प्यारी  

Prabhu Tum Ho Din Bandhu

प्रार्थना प्रभु! तुम हो दीनबन्धु, हम दास हैं तुम्हारे माता पिता तुम्हीं हो, एकमात्र तुम सहारे ज्योतित सभी हैं तुम से, रवि चाँद हों कि तारे हैं प्राणवान तुमसे, पशु पक्षी जीव सारे हों पाप दोष हमसे, तुम से छिपें न प्यारे सन्तान हम तुम्हारी, होएँ न तुमसे न्यारे पीड़ा जनम मरण की, दूजा नहीं […]

Prarabhda Mita Nahi Koi Sake

अमिट प्रारब्ध प्रारब्ध मिटा कोई न सके अपमान अयश या जीत हार, भाग्यानुसार निश्चित आते व्यापारिक घाटा, रोग मृत्यु, इनको हम रोक नहीं पाते विपरीत परिस्थिति आने पर, सत्संग, भजन हो शांति रहे चित में विक्षेप नहीं आये, दृढ़ता व धैर्य से विपद् सहे सुख-दुख तो आते जाते हैं, उनके प्रति समता हो मन में […]

Braj Ko Bacha Lo Mohan

गोवर्धन लीला ब्रज को बचा लो मोहन, रक्षा करो हमारी हो कु्रद्ध शची के पति ने, वर्षा करी है भारी आँधी भी चल रही है, ओले बरस रहे हैं पानी से भर गया ब्रज, सब कष्ट से घिरे हैं गिरिराज को उखाड़ा, ले हाथ पर हरि ने उसको उठाये रक्खा, दिन सात तक उन्होंने ब्रज […]

Bhawani Dur Karo Dukh Maa

निवेदन भवानी, दूर करो दु:ख माँ तेरो बालक करे पुकार, भवानी! दूर करो दुख माँ मैं तो हूँ अति कपटी पापी, औगुण को घर माँ राग-द्वेष में डूब रह्यो नित, शुभ लक्षण नहीं माँ पूजा-पाठ कछू नहीं जाणूँ, भक्ति न जाणू माँ साधु-संगत कबहुँ न किन्ही, तीरथ व्रत नहीं माँ बालपणो तरुणाई बीती, तन-जर्जर अब […]

Maa Kshma Karo Aparadh

काली देवी स्तवन माँ क्षमा करो अपराध, शरण मोहि लीजे हे काली! दुर्गा दुर्गति दु:ख विनाशिनि, खड्ग चक्र वाली हे परमेश्वरि, हे कामेश्वरि, विविध रूप वाली अद्भुत शोभा श्रीअंगों की विद्युत-उजियारी हेम-गिरि पे वास तिहारो, चन्द्रमुकुट धारी सर्जन, पालन, प्रलयकारिणी, दिव्य शक्तिशाली दैत्य विदारिणि, ब्रह्मस्वरूपा श्याम वर्णवाली कार्तिकेय, गणपति की जननी, अगणित गुणवाली यश, मंगल, […]

Main Bhul Gai Sakhi Apne Ko

गोपी की प्रीति मैं भूल गई सखि अपने को नित्य मिलन का अनुभव करती, जब से देखा मोहन को प्रात: संध्या दिवस रात का, भान नहीं रहता मुझको सपने में भी वही दिखता, मन की बात कहूँ किसको कैसी अनुपम मूर्ति श्याम की, कैसा मनहर उसका रूप नयन हुए गोपी के गीले, छाया मन सौन्दर्य […]

Rasiya Ko Nar Banao Ri

होली रसिया को नार बनाओ री, रसिया को कटि लहँगा, उर माँहि कंचुकी, चूनर आज ओढ़ाओरी बिंदी भाल नयन में कजरा, नक बेसर पहनाओरी सजा धजा जसुमति के आगे, याको नाच नचाओरी होरी में न लाज रहे सखियाँ, मिल कर के आज चिढ़ाओरी 

Vipatti Ko Samjhen Ham Vardaan

विपदा का लाभ विपत्ति को समझें हम वरदान सुख में याद न आये प्रभु की, करें नहीं हम गान कुन्ती ने माँगा था प्रभु से, विपदायें ही आयें कष्ट दूर करने प्रभु आये, दर्शन तब हो जायें हुआ वियोग श्याम से जिनका, गोपियन अश्रु बहाये स्मरण करे प्रतिपल वे उनको, दिवस रात कट जाये अनुकुल […]

Shobhit Shri Vrindavan Dham

श्री वृन्दावन धाम शोभित श्री वृन्दावन धाम यमुनाजी की पावन धारा, क्रीड़ा रत घनश्याम गिरि गोवर्धन पास यहाँ पर, भ्रमण करे गोपाल गौएँ चरतीं, मोर नाचते, मुरली शब्द रसाल मग्न मोर ने पाँख गिराई, सिर पर धरली श्याम राधा रानी के मयूर ने, करी भेंट अभिराम धन्य धन्य अनुपम वृन्दावन, जहाँ गोपियों संग रास रचायो […]