Rachyo Annakut Vidhivat Hai
अन्नकूट रच्यौ अन्नकूट विधिवत् है ब्रज में पाक बनाये गोप गोपियाँ ग्वाल-बाल, मन मोद बढ़ाये मीठे और चरपरे व्यंजन, मन ललचाये गिनती हो नहीं सके, देख सब ही चकराये तुलसी दल की पुष्पमाल गोवर्धन पहने चंदन केशर तो ललाट पे, शोभित गहने मोरपंख का मुकट, गले में तो वनमाला गोवर्धन ये नहीं, किन्तु है नंद […]
Banar Jabaro Re
लंका दहन (राजस्थानी) बानर जबरो रे, लंका नगरी में मच गयो हाँको रे मात सीताजी आज्ञा दीनी, फल खा तूँ पाको रे कूद पड्यो इतने में तो हनुमत मार फदाको रे रूख उठाय पटक धरती पर, भोग लगाय फलाँ को रे राक्षसियाँ अरडावे सारी, काल आ गयो म्हाको रे उजड़ गई अशोक वाटिका, बिगड़ग्यो सारो […]
Shivshankar Ka Jo Bhajan Kare
आशुतोष शिव शिवशंकर का जो भजन करें, मनचाहा वर प्रभु से पाते वे आशुतोष औढरदानी, भक्तों के संकट को हरते जप में अर्जुन थे लीन जहाँ पर, अस्त्र-शस्त्र जब पाने को दुर्योधन ने निशिचर भेजा, अर्जुन का वध करने को मायावी शूकर रूप धरे, शीघ्र ही वहाँ पर जब आया शिव ने किरात का रूप […]
Shri Radhe Pyari De Daro Ri Bansuri
बंसी की चोरी श्री राधे प्यारी, दे डारो री बाँसुरी मोरी काहे से गाऊँ राधे, काहे से बजाऊँ, काहे से लाऊँ गैया घेरि मुखड़े से गाओ कान्हा, ताल बजावो, चुटकी से लाओ गैया घेरि या बंशी में मेरो प्राण बसत है, सो ही गई अब चोरी न तो सोने की, ना ही चाँदी की, हरे […]
Satswarup Hai Aatma
सत्य दर्शन सत्स्वरूप है आत्मा, जो स्वभावतः सत्य झूठ बाहरी वस्तु है, जो अवश्य ही त्याज्य धन आसक्ति प्रमादवश, व्यक्ति बोलता झूठ सत्य आचरण ही करें, प्रभु ना जाए रूठ छद्म पूर्ण हो चरित तो, कहीं न आदर पाय कपट शून्य हो आचरण, विश्वासी हो जाय काम क्रोध व लोभ है, सभी नरक के द्वार […]
Om Jay Narsingh Hare
नरसिंह आरती ॐ जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह —-हरे प्रभु …. चरण-कमल जो ध्याये, संकट दूर करे —-ॐ ….. खम्भ फाड़ के श्री हरि, लियो आप अवतार —-प्रभु …. सिंह रूप को धार्यो, महिमा अपरम्पार —-ॐ …. मुख जिह्वा भयकारी, उग्ररूप धारी —-प्रभु …. नाटी मोटी गरदन, अस्त्र-शस्त्र भारी —-ॐ जय …. नख से […]
Aarti Karen Bhagwat Ji Ki
श्रीमद्भागवत आरती आरती करें भागवतजी की, पंचम वेद से महा पुराण की लीलाएँ हरि अवतारों की, परम ब्रह्म भगवान कृष्ण की कृष्ण वाङ्मय विग्रह रूप, चरित भागवत अमृत पीलो श्रवण करो तरलो भव-कूपा, हरि गुण गान हृदय से कर लो कथा शुकामृत मन को भाये, शुद्ध ज्ञान वैराग्य समाये लीला रसमय प्रेम जगाये, भक्ति भाव […]
Apane Ko Sukhi Banaye Ham
अनासक्ति अपने को सुखी बनायें हम कामना पूर्ति जब नहीं होती, तत्काल क्रोध तब आ जाता जब खो देते विवेक तभी, संतुलन नहीं तब रह पाता हम अनासक्त हो कर्म करें, तो अहम् भाव ही मिट जाये प्रभु के हित होए कार्य तभी, कर्तापन भाव न रह पाये होए सहिष्णुता प्रेम भाव, ईर्ष्या व द्वेष […]
Aaj Braj Main Chayo Anand
श्रीकृष्ण प्राकट्य आज व्रज में छायो आनन्द नंद महर घर ढोटा आयो, पूरण परमानंद विविध भाँति बाजे बाजत हैं, वेद पढ़त द्विज-वृंद छिरकत दूध दही घृत माखन, मोहन-मुख अरविन्द देत दान ब्रजराज मगन मन, फूलत नाहिं समाय देते असीस सबहिं जन ब्रज के, बार-बार बलि जाय
Udho Hamen Na Shyam Viyog
प्रीति की रीति ऊधौ! हमें न श्याम वियोग सदा हृदय में वे ही बसते, अनुपम यह संजोग बाहर भीतर नित्य यहाँ, मनमोहन ही तो छाये बिन सानिध्य श्याम के हम को, कुछ भी नहीं सुहाये तन में, मन में, इस जीवन में, केवल श्याम समाये पल भर भी विलग नहीं वे होते, हमें रोष क्यों […]