Ayodhya Durjan Dosh Hare
अयोध्या अयोध्या दुर्जय दोष हरे परमधाम साकेत राम का, शान्ति प्रदान करे सरयू-जल में स्नान ध्यान से, मन का मैल जरे स्मरण राम की लीलाओं का, मन को मुदित करे मनः बुद्धि निर्मल हो जाए, राघव कृपा करे
Aashadh Mas Ki Poonam Thi
महर्षि व्यास आषाढ़ मास की पूनम थी, तब व्यास देव का जन्म हुआ वेदों के मंत्रों, सूक्तों को, संहिता रूप से पिरो दिया पुराण अठारह उप-पुराण में, वेदों का विस्तार किया महाभारत द्वारा भारत का, सांस्कृतिक कोष निर्माण किया साहित्य समृद्ध इतना उनका, गुरु पद से उनको मान दिया भगवान व्यास के हम कृतज्ञ, उनको […]
Kanhaiya Murali Tan Sunaye
मुरली-माधुरी कन्हैया मुरली तान सुनाये ब्रज बालाओं को गृहस्थ सुख, नहीं तनिक भी भाये दही बिलोना खाना पीना, सभी तभी छुट जाये वेणु-रव चित की वृतियों को, वृन्दावन ले जाये मनमोहक श्रृंगार श्याम का, हृदय-देश में आये धन्य बाँस की बाँसुरिया धर, अधर सरस स्वर गाये
Kirtan Se Man Shanti Pate
कीर्तन महिमा कीर्तन से मन:शांति पाते प्रभु के स्वरूप का चिन्तन हो, आनन्दरूप मन में आते अनुभूति प्रेम की हो जाये, तो भक्ति स्वतः मिल जाती है अपनापन होने से ही तो, माँ हमको प्यारी लगती है तन्मयता से जब कीर्तन हो, तो हरि से लौ लग जायेगी सब छुट जायेगा राग द्वेष, प्रभु-प्रीति ही […]
Giridhari Ke Rang Mainrachi
प्रीति माधुरी गिरिधारी के रंग में राची सुध बुध भूल गई मैं तो सखि, बात कहूँ मैं साँची मारग जात मिले मोहि सजनी, मो तन मुरि मुसकाने मन हर लियो नंद के नंदन, चितवनि माँझ बिकाने जा दिन ते मेरी दृष्टि परी सखि, तब से रह्यो न जावै ऐसा है कोई हितू हमारो, श्याम सों […]
Garharsthya Dharma Sarvottam Hi
गृहस्थ जीवन गार्हस्थ्य धर्म सर्वोत्तमही इन्द्रिय-निग्रह व सदाचार, अरु दयाभाव स्वाभाविक ही सेवा हो माता पिता गुरु की, परिचर्या प्रिय पति की भी हो ऐसे गृहस्थी पर तो प्रसन्न, निश्चय ही पितर देवता हो हो साधु, संत, सन्यासी के, जीवनयापन का भी अधार जहाँ सत्य, अहिंसा, शील तथा, सद्गुण का भी निश्चित विचार
Jagat Se Prabho Ubaro
शरणागति जगत से प्रभो उबारो हे घट घट वासी, मैं पापी, मुझको आप सँभारो मुझे विदित है तुम सेवक के, दोष नहीं मन लाते ग्वाल-बाल संग क्रीड़ा करते, गाय चराने जाते तुम को प्यार गरीबों से प्रभु, साग विदुर घर खाते शबरी, सुदामा, केवट को, प्रभु तुम ही हो अपनाते तार दिया तुमने भव जल […]
Ja Rahe Pran Dhan Mathura Ko
मथुरा प्रवास जा रहे प्राणधन मथुरा को राधा रानी हो रही व्यथित, सूझे कुछ भी नहीं उनको अंग अंग हो रहे शिथिल, और नीर भरा नयनों में आर्त देख राधा को प्रियतम, स्वयं दुःखी है मन में प्रिया और प्यारे दोनों की, व्याकुल स्थिति ऐसी दिव्य प्रेम रस की यह महिमा, उपमा कहीं न वैसी […]
Jo Pran Tyage Dharma Hit
प्राणोत्सर्ग जो प्राण त्यागे धर्म हित, वह सद्गति को प्राप्त हो सम्राट नामी थे दिलीप, गौ-नन्दिनी भयग्रस्त थी दबोच रक्खा था उसे बली सिंह ने, संकट में थी तब गौ की रक्षा हेतु से, महाराज बोले सिंह को अपनी क्षुधा को शान्त कर, खा ले तूँ मेरी देह को गौ कामधेनु की सुता थी, जिसको […]
Tulsi Mira Sur Kabir
भक्त कवि तुलसी मीरा सूर कबीर कण्ठहार जन जन के चारों, हर लेते तन मन की पीर रामचरित के तुलसी गायक, कृष्ण भक्ति में सूर अधीर मीराबाई कृष्ण विरहिणी, कबीर देते ज्ञान गँभीर भक्ति, ज्ञान अरु कर्म समन्वय तुलसी की रामायण में बालकृष्ण की लीलाओं का भाव सूर के गीतों में गिरिधारी के दर्शन पाने […]