Bangala Bhala Bana Maharaj

नश्वर देह बंगला भला बना महाराज, जिसमें नारायण बोले पाँच तत्व की र्इंट बनाई, तीन गुणों का गारा छत्तीसों की छत बनाई, चेतन चिनने हारा इस बँगले के दस दरवाजे, बीच पवन का थम्भा आवत जावत कछू ना दीखे, ये ही बड़ा अचम्भा इस बँगले में चौपड़ माँडी, खेले पाँच पचीसा कोर्ई तो बाजी हार […]

Bhagwan Aapke Ram Rup

श्री राम स्तुति भगवान् आपके राम रूप को, करता हूँ सादर प्रणाम प्रभु शुद्ध, शान्त, संतों के प्राण, सीतापति मर्यादा नीति धाम अखिलेश्वर हो, आनँदकंद, प्रभु अद्धितीय हितकारी हो हे लक्ष्मी पति, देवादि देव, सच्चिदानंद भयहारी हो गुणग्राम, अपका जपूँ नाम, सृष्टि के कर्ता धर्ता हो हे अविनाशी, हे विश्वात्मा, पालनहारी, संहर्ता हो हे रावणारि […]

Bhojan Kare Shyam Kanan Main

वन-विहार भोजन करे श्याम कानन में ग्वाल-बाल संग हँसे हँसाये, मुदित सभी है मन में छीके खोल सखा सब बैठे, यमुना तट पर सोहे उनके मध्य श्याम-सुन्दर छबि, सबके मन को मोहे जूठे का संकोच नहीं, सब छीन झपट के खायें सभी निहारें मोहन मुखड़ा, स्वाद से भोजन पायें छटा निराली नटनागर की, धरी वेणु […]

Mano Mano Nand Ji Ke Lal

होली मानो मानो नंदजी के लाल चूनर, चोली भिगा दी सारी, डारो न और गुलाल जमुना से जल भर मैं आई, तब भी करी ढिठाई दौड़ के मोरी गगरी गिराई, कैसो कर दियो हाल गीली चुनरिया सास लड़ेगी, ननँद साथ नहीं देगी काहू भाँति नहीं बात बनेगी, नटखट करी कुचाल नंदकुँवर खेली जो होरी, करी […]

Mope Kirpa Karo Giridhari

शरणागति मोपे किरपा करो गिरिधारी! मैं आई शरण तुम्हारी मैं हूँ अभागिन भाग जगाओ, डूबती नैया पार लगाओ दुखिया के हो तुम दुखहारी, कोई न जाने पीर हमारी अपनों से भी हुई पराई, अपनी विपदा उन्हें सुनाई सबने ही जब बात बनाई, रो रो कर के तुम्हें पुकारी तुम्हरे बिन कोई सुने न मोरी, तुम […]

Ramanuj Lakshman Ki Jay Ho

श्री लक्ष्मण रामानुज लक्ष्मण की जय हो भगवान् राम के भक्तों का, सारे संकट को हरते हो शेषावतार को लिये तुम्ही, पृथ्वी को धारण करते हो हो प्राणनाथ उर्मिला के, सौमित्र तुम्हीं कहलाते हो महान पराक्रमी, सत्-प्रतिज्ञ, रघुवर के काज सँवारते हो मुनि विश्वामित्र, जनक राजा, श्री रामचन्द्र के प्यारे हो अभिमान परशुरामजी का जो […]

Vedon Ki Mata Gayatri

वेदमाता गायत्री वेदों की माता गायत्री, सद्बुद्धि हमें कर दो प्रदान महात्म्य अतुल महादेवी का, शास्त्र पुराण करते बखान वरदायिनि देवी का विग्रह, ज्योतिर्मय रवि-रश्मि समान ब्रह्मस्वरूपिणि, सर्वपूज्य, परमेश्वरी की महिमा महान जो विद्यमान रवि-मण्डल में, उन आदि शक्ति को नमस्कार अभिलाषा पूर्ण करें, जप लो, गायत्री-मंत्र महिमा अपार  

Shri Krishna Chandra Madhurati Madhur

श्रीकृष्ण का माधुर्य श्री कृष्णचन्द्र मधुरातिमधुर है अधर मधुर मुख-कमल मधुर, चितवनी मधुर रुचि-वेश मधुर है भृकटि मधुर अरु तिलक मधुर, सिर मुकुट मधुर कच कुटिल मधुर है गमन मधुर अरु नृत्य मधुर, नासिका मधुर नखचन्द्र मधुर है रमण मधुर अरु हरण मधुर, महारास मधुर संगीत मधुर है गोप मधुर, गोपियाँ मधुर, संयोग मधुर उद्गार […]

Sandhyopasan Dwij Nitya Kare

सन्ध्योपासना संध्योपासन द्विज नित्य करे, पातक उनके अनिवार्य जरे प्रातः, मध्याह्न तथा सायं, होए उपासना क्लेश हरे संध्यावन्दन में सूरज को, जल से हम अर्घ्य प्रदान करें ब्रह्मस्वरूपिणी गायत्री का, मंत्र विधिवत् जाप करे संध्या-महत्व को नहीं जाने वह नहीं करे तक संध्या को शुभ कर्मों का फल नहीं मिले, जीते जी क्षुद्र कहें उसको […]

Sarvatra Bramh Ki Satta Hi

ब्रह्ममय जगत् सर्वत्र ब्रह्म की सत्ता ही यह जगत् जीव के ही सदृश, है अंश ब्रह्म का बात यही माया विशिष्ट हो ब्रह्म जभी, तब वह ईश्वर कहलाता है ईश्वर, निमित्त व उपादान से दृश्य जगत् हो जाता है जिस भाँति बीज में अंकुर है, उस भाँति ब्रह्म में जग भी है सो जीव, सृष्टि, […]