Sandesha Shyam Ka Le Kar
गोपियों का वियोग संदेशा, श्याम का लेकर, उधोजी ब्रज में आये हैं कहा है श्यामसुन्दर ने गोपियों दूर मैं नहीं हूँ सभी में आत्मवत् हूँ मैं, चेतना मैं ही सबकी हूँ निरन्तर ध्यान हो मेरा, रखो मन पास में मेरे वृत्तियों से रहित होकर, रहोगी तुम निकट मेरे गोपियों ने कहा ऊधो, सिखाते योग विद्या […]
Samast Srushti Jis Ke Dwara
बुद्धियोग समस्त सृष्टि जिसके द्वारा, सर्वात्मा ईश्वर एक वही सब लोक महेश्वर शक्तिमान, सच्चिदानन्दमय ब्रह्म वही जो कर्म हमारे भले बुरे, हो प्राप्त शुभाशुभ लोक हमें उत्तम या अधम योनियाँ भी, मिलती हैं तद्नुसार हमें हम शास्त्र विहित आचरण करें, शास्त्र निषिद्ध का त्याग करें सांसारिक सुख सब नश्वर है, भगवत्प्राप्ति का यत्न करें निष्काम […]
Aarti Girivar Dhari Ki
राधाकृष्ण आरती आरती गिरिवरधारी की, मोहिनी कीर्ति-कुमारी की बैजंती माला उर धारी, पीत-पट की शोभा न्यारी लाड़िली की शोभा भारी, वदन स्वर्णिम है मनहारी युगल सुन्दरता सुखकारी, —-आरती …. भाल पर तिलक बेंदी दमके, कान में कुण्डल भी चमके चरण में नुपूर ध्वनि झमके, दिव्य शोभा मन में अटके माधुरी मुख की रुचिकारी, —-आरती ….. […]
Jay Jay Jay Tulsi Maharani
तुलसी आरती जय जय जय तुलसी महारानी, महिमा अमित पुराण बखानी प्रादुर्भाव विष्णु के द्वारा, पूजनीय भक्तन मन मानी तेरे श्री अंगो से प्रकटे, मंजरिया, पल्लव मन-भाये शालिग्राम शिला का पूजन, तुमसे करे सदा सुख पाये हरि पूजन में तुम्हें चढ़ाये, कलिमल-नाश करे पुण्यार्जन गो का दान दिलाये जो फल, सुलभ कराये तेरा दर्शन विश्वपूजिता, […]
Anguli Par Dhar Giriraj
गिरिधारी अँगुली पर धर गिरिराज नाम गिरधारी पायो है बन्द हुयो सुरपति पूजन, गिरिराज पुजायो है सवा लाख मण सामग्री को, भोग लगायो है पड़ी स्वर्ग में खबर, क्रोध शचीपति को आयो है मूसलधार अपार बहुत ही, जल बरसायो है पड़ी न ब्रज पर बूँद, इन्द्र मन में घबरायो है ब्रजवासी सब कहें श्याम, गिरिराज […]
Abhiman Vyakti Ka Patan Kare
अभिमान अभिमान व्यक्ति का पतन करे धन, बुद्धि, विद्या, पद का हो, अभिमान व्यक्ति का ज्ञान हरे अपमान करे कोई का जो, वह बीज द्वेष का बोता है परमात्म तत्त्व ही आत्मा तो, आत्मा का अनादर होता है हम क्षमा मैत्री का भाव रखें, हम अहंकार से दूर रहें सन्मति से शत्रु मित्र बने, हो […]
Anand Kand Shri Krishna Chandra
श्रीकृष्ण सौन्दर्य आनन्दकन्द श्री कृष्णचन्द्र, सिर मोर-मुकुट की छवि न्यारी मुसकान मधुर चंचल चितवन, वह रूप विलक्षण मनहारी कटि में स्वर्णिम पीताम्बर है, शोभा अपूर्व अति सुखकारी जो कामकला के सागर हैं, नटनागर यमुना-तट चारी वंशी की मधुर ध्वनि करते, संग में श्री राधा सुकुमारी गोवर्धन धारण की लीला, वर्णनातीत अति प्रियकारी कालियानाग के मस्तक […]
Kathinai Se Dhan Arjan Ho
सात्विक दान कठिनाई से धन अर्जन हो, और दान कर पाये धन का लोभ सदा ही रहता, त्याग कठिन हो जाये याद रहे अधिकांश धर्म में व्यय हो, कमी न आये कुएँ से जल जितना निकले, फिर से वह भर जाये धन कमाय जो भी ईमान से, वह सात्विक कहलाये कृषि एवं व्यवसाय से अर्जित, […]
Kahe Ko Soch Kare Manwa Tu
कर्मयोग काहे को सोच करे मनवा तूँ! होनहार सब होता प्यारे मंत्र जाप से शांति मिले पर, विधि -विधान को कैसे टारे कर्म किया हो जैसा तुमने, तदनुसार प्रारब्ध बना है जैसी करनी वैसी भरनी, नियमबद्ध सब कुछ होना है हरिश्चन्द्र, नल, राम, युधिष्ठिर, नाम यशस्वी दुनिया जाने पाया कष्ट गये वो वन में, कर्म-भोग […]
Gayo Man Shyam Sang Hi Bhag
श्याम रंग गयो मन श्याम संग ही भाग मुरली की धुन पड़ी कान में, मन उमग्यो अनुराग अधर-सुधा-रस भरी सुनाई, दिव्य मधुरतम राग मधुर मिलन की गोपीजन मन, उठी कामना जाग कैसा प्रबल प्रेम है इनका, जग से हुआ विराग दर्शन जिसको मिले श्याम का, उसका ही बड़भाग श्रुतियाँ ढूँढ रहीं हैं जिनको, पाये न […]