Vrandavan Saghan Kunj

युगल विहार वृन्दावन सघन कुंज माधुरी द्रुम भँवर गुंज नित विहार प्रिया प्रीतम, देखिबौई कीजै गौर श्याम युगल वर्ण, सुन्दर अति चित्त चोर निरखि निरखि रूप सुधा, नैनन भर पीजै सखियन संग करत गान, सारँग सुर लेत तान मंद मंद मधुर मधुर, सुनि सुनि सुख लीजै  

Shyam Sundar Mathura Jayen

मथुरा गमन श्याम सुन्दर मथुरा जायें क्रूर बने अक्रूर, प्राणधन को लेने आये बिलख रही है राधारानी, धैर्य बँधाये कोई आने लगीं याद क्रीड़ाएँ, सुध-बुध सबने खोई प्यारी चितवन, मुख मण्डल को, देख गोपियाँ जीतीं संभावित मोहन वियोग से, कैसी उन पर बीती चित्त चुराया नेह लगाया, वही बिछुड़ जब जाये वाम विधाता हुआ सभी […]

Shri Hari Vishnu Aashray Sabke

श्री विष्णु सहस्त्रनाम महिमा श्री हरि विष्णु आश्रय सबके, गुणगान करें हम श्रद्धा से यह धर्म बड़ा है जीवन में, जो मुक्त करे जग बंधन से भगवान विष्णु के नाम सहस्त्र, अर्चन हो, दे शुभ संस्कार सब दुःखों से हो छुटकारा, सुख शान्ति मिले, छूटें विकार अविनाशी पिता प्राणियों के, कर्ता धर्ता हर्ता जग के […]

Samarpan Karun Buddhi Bal Mera

भीष्मजी द्वारा स्तवन समर्पण करूँ बुद्धि बल मेरा और न कुछ भी दे पाऊँ प्रभु, जो भी है वह तेरा मेरा मन आबद्ध जगत् में, घट घट के प्रभु वासी दो प्रबोध हे त्रिभुवन-सुन्दर! वृन्दावन के वासी पंकज-नयन, तमाल-वर्ण, आवृत अलकावली मुख पे पीत वसन रवि-किरणों के सम, शोभित श्यामल तन पे अनुपम शोभा कुरुक्षेत्र […]

Om Jay Govind Hare

कृष्ण आरती ॐ जय गोविन्द हरे, प्रभु जय गोपाल हरे सत्य सनातन सुन्दर, मन-वच-बुद्धि परे नव नीरद सम श्यामल, शोभा अति भारी चपल कमल दल लोचन, ब्रज जन-बलिहारी शरद पूर्णिमा शशि सम, मुख-मण्डल अभिराम मृग-मद तिलक विराजत, कुंचित केश ललाम मोर-मुकुट कर मुरली, पीताम्बर धारी गल बैजंती माला, राजत बनवारी —- नवनीत चोर कहावे, विश्वम्भर […]

Aarti Reva Ki Kije

नर्मदा आरती आरती रेवा की कीजै, अमृत-पय मन भर पी लीजै साधु संतों की प्रियकारी, सुभग सौभाग्य कीर्तिवारी नर्मदे बहती करि हर हर, सुधा सम जल में नित भीजै दरस से दुख दुष्कृत काटो, अमृत-रस भक्तों को बाँटो सतत यमदूतों को डाँटो, शरण चरणों की माँ दीजै शम्भु की पुत्री सुकुमारी, जननि गिरिजा की अति […]

Ishwar Ans Jiv Avinasi

सुभाषित ईश्वर अंस जीव अविनासी, चेतन अमल सहज सुखरासी उलटा नाम जपत जगजाना, वाल्मीकि भये ब्रह्म समाना जहाँ सुमति तहँ संपति नाना, जहाँ कुमति तहँ विपति निदाना जा पर कृपा राम की होई, तापर कृपा करहिं सब कोई जिनके कपट, दम्भ नहिं माया, तिनके ह्रदय बसहु रघुराया जिन हरि –भक्ति ह्रदय नहिं आनी, जीवत शव […]

Ab Sonp Diya Is Jiwan Ka

समर्पण अब सौंप दिया इस जीवन को, सब भार तुम्हारे हाथों में है जीत तुम्हारे हाथो में और हार तुम्हारे हाथों में मेरा निश्चय बस एक यही, एक बार तुम्हें पा जाऊँ मैं अर्पण कर दूँ दुनिया भर का, सब प्यार तुम्हारे हाथों में जो जग में रहूँ तो ऐसे रहूँ, ज्यों जल में कमल […]

Anand Adhik Hai Bhakti Main

भक्ति-भाव आनन्द अधिक है भक्ति में आकर्षण ऐसा न त्याग में, योग, ज्ञान या यज्ञों में गोदी में बैठ यशोदा के, जो माँ का मोद बढ़ाते वे बिना बुलाये प्रायः ही, पाण्डव के घर प्रभु आते रुक्मिणी के हित व्याकुल इतने, सो नहीं रात्रि में पाते वे लगते गले सुदामा के तो अश्रु प्रवाहित होते […]

Omkar Rup Shri Gajanan

श्री गणपति वन्दन ओंकार (ॐ) रूप श्री गजानन, प्रत्यक्ष तत्व ब्रह्म स्वरूप कर्ता, धर्ता एवं हर्ता, भगवान् आपके कर्इं रूप तीनों गुण से हो परे आप, योगीजन जिनका ध्यान धरें प्रभु वक्र-तुण्ड लम्बोदर हैं, जो सुमिरें उनका विघ्न टरें ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र, जो जपे कामना सिद्ध करें जो लाल पुष्प द्वारा पूजे, उनके […]