Dadhi Bechati Braj Galini Fire

प्रेमानुभूति दधि बेचति ब्रज-गलिनि फिरै गोरस लैन बुलावत कोऊ, ताकी सुधि नैकौ न करै उनकी बात सुनति नहिं स्रवनन, कहति कहा ए घरनि जरै दूध, दही ह्याँ लेत न कोऊ, प्रातहि तैं सिर लिऐं ररै बोलि उठति पुनि लेहु गुपालै, घर-घर लोक-लाज निदरै ‘सूर’ स्याम कौ रूप महारस, जाकें बल काहू न डरै

Naina Bhaye Anath Hamare

विरह व्यथा नैना भये अनाथ हमारे मदनगुपाल यहाँ ते सजनी, सुनियत दूरि सिधारे वै हरि जल हम मीन बापुरी, कैसे जियहिं नियारे हम चातक चकोर श्यामल घन, बदन सुधा-निधि प्यारे मधुबन बसत आस दरसन की, नैन जोई मग हारे ‘सूरदास’ ऐसे मनमोहन, मृतक हुते पुनि मारे

Biharat Ras Rang Gopal

रास लीला बिहरत रास रंग गोपाल नवल स्यामहि संग सोभित, नवल सब ब्रजबाल सरद निसि अति नवल उज्जवल, नव लता बन धाम परम निर्मल पुलिन जमुना, कलपतरु विश्राम कोस द्वादस रास परिमिति, रच्यो नंदकुमार ‘सूर’ प्रभु सुख दियो निसि रमि, काम कौतुक हार

Main Ik Nai Bat Sun Aai

श्री कृष्ण प्राकट्य मैं इक नई बात सुन आई महरि जसोदा ढोटा जायौ, घर घर होति बधाई द्वारैं भीर गोप-गोपिन की, महिमा बरनि न जाई अति आनन्द होत गोकुल में, रतन भूमि सब छाई नाचत वृद्ध, तरुन अरु बालक, गोरस कीच मचाई ‘सूरदास’ स्वामी सुख-सागर, सुन्दर स्याम कन्हाई

Mohan Jagi Ho Bali Gai

प्रभाती मोहन जागि, हौं बलि गई तेरे कारन श्याम सुन्दर, नई मुरली लई ग्वाल बाल सब द्वार ठाड़े, बेर बन की भई गय्यन के सब बन्ध छूटे, डगर बन कौं गई पीत पट कर दूर मुख तें, छाँड़ि दै अलसई अति अनन्दित होत जसुमति, देखि द्युति नित नई जगे जंगम जीव पशु खग, और ब्रज […]

Lochan Bhaye Shyam Ke Nere

श्री कृष्ण छबि लोचन भए स्याम के नेरे एते पै सुख पावत कोटिक, मो न फेरि तन हेरे हा हा करत, परिहरि चरननि, ऐसे बस भए उनहीं उन कौ बदन बिलोकत निस दिन, मेरो कह्यौ न सुनहीं ललित त्रिभंगी छबि पै अटके, फटके मौसौं तोरि ‘सूर’, दसा यह मेरी कीन्ही, आपुन हरि सौं जोरि

Sune Ri Maine Nirbal Ke Balram

शरणागति सुने री मैंने निरबल के बल राम पिछली साख भरूँ संतन की, आइ सँवारे काम जब लगि गज बल अपनो बरत्यो, नेक सर्यो नहिं काम निरबल ह्वै हरि नाम पुकार्यो, आये आधे नाम द्रुपद-सुता निरबल भई ता दिन, तजि आये निज धाम दुःशासन की भुजा थकित भई, बसन रूप भये स्याम अप-बल, तप-बल और […]

Hari Binu Meet Nahi Kou Tere

प्रबोधन हरि बिनु मीत नहीं कोउ तेरे सुनि मन, कहौं पुकारी तोसौं, भजो गोपालहिं मेरे यह संसार विषय-विष सागर, रहत सदा सब घेरे ‘सूर’ श्याम बिन अंतकाल में, कोई न आवत नेरे

Ab To Sanjh Bit Rahi Shyam

होली अब तो साँझ बीत रही श्याम, छोड़ो बहियाँ मोरी तुम ठहरे ब्रजराज कुँवरजी, हम ग्वालिन अति भोरी आनंद मगन कहूँ मैं मोहन,अब तो जाऊँ पौरी लाज बचेगी मोरी सास, ननद के चुपके छाने, तुम संग खेली होरी अँगुली पकरत पहुँचो पकरयो और करी बरजोरी हम हैं ब्रज की छोरी मीठी-मीठी तान बजाकर, लेन सखिन […]

Kaha Sukh Braj Ko So Sansar

ब्रज-महिमा कहाँ सुख ब्रज कौ सौ संसार कहाँ सुखद बंसी-वट जमुना, यह मन सदा विचार कहाँ बन धाम कहाँ राधा सँग, कहाँ संग ब्रज वाम कहाँ विरह सुख बिन गोपिन सँग, ‘सूर’ स्याम मन साम